नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राज्य विधानमंडलों में बैठकों की संख्या में कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि प्रत्येक निर्वाचित जनप्रतिनिधि को तथ्यों के आधार पर चर्चा करनी चाहिए और निराधार आरोपों से बचना चाहिए.
लोकसभा अध्यक्ष ने संसद भवन परिसर में हिमाचल प्रदेश विधान सभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए यह बात कही. लोकसभा सचिवालय के बयान के अनुसार, बिरला ने कहा कि सदस्यों को यथासंभव अनुभव प्राप्त करना चाहिए और विधायी कार्यवाही और चर्चा में भाग लेना चाहिए. उन्होंने राज्य विधानमंडलों में बैठकों की संख्या में कमी पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब भी विधान सभा सत्र की अवधि कम कर दी जाती है, तो नवनिर्वाचित सदस्य महत्वपूर्ण विधायी अनुभव से वंचित हो जाते हैं. बिरला ने इस बात की भी सराहना की कि हिमाचल विधानसभा को पहली ऐसी विधायिका होने का गौरव प्राप्त है जो पूरी तरह से डिजिटल और ‘‘पेपरलेस’’ है .
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा के भीतर और बाहर विधायकों का आचरण निंदा से परे होना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना प्रत्येक निर्वाचित जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी है कि विधायी निकाय हमेशा तथ्यात्मक जानकारी के आधार पर बहस करें. उन्होंने कहा कि विधान सभाओं में रचनात्मक बहस से लोगों में सकारात्मक संदेश जाता है और ऐसे में जनप्रतिनिधियों को निराधार तथ्यहीन आरोपों से बचना चाहिए. बिरला ने कहा कि लोकतंत्र की जननी के रूप में, भारत में लोकतांत्रिक निर्णय लेने की एक लंबी परंपरा रही है तथा स्वतंत्रता के 75 वर्ष में भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुपालन के फलस्वरूप बड़े पैमाने पर और व्यापक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन आया है. सोर्स- भाषा