जयपुर: दीपावली से पहले पराली जलाने से बढ़े प्रदूषण में दीपावली की आतिशबाजी ने और जहर घोल दिया है. राजधानी सहित प्रदेश के प्रमुख शहर प्रदूषण के रेड जोन में आ गए हैं और लोगों की सांसें फूलने लगी हैं. हरियाणा, पंजाब के किसानों द्वारा पराली जलाने और फेस्टिव सीजन में उद्योगों द्वारा प्रदूषण मंडल की गाइड लाइन का पालन न करने से हवा की शुद्धता तेजी से ख्मत्म हुई और प्रदूषणजनित बीमारियों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है.
प्रदेश के एक दर्जन जिलों की हवा में घुला जहर.
राजधानी जयपुर सहित दर्जनभर जिलों में AQI 300 के पार
AQI बढ़ने से रोगी, बुजुर्ग व बच्चों की सेहत पर बुरा असर
प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने जारी की एडवाइजरी
बीकानेर 407, भरतपुर 358, भिवाड़ी 340
चूरू 472, धौलपुर 376, हनुमानगढ़ 307
जैसलमेर 316 सवाईमाधोपुर 303, सीकर 443
गंगानगर 360, टोंक 357, जयपुर 362, कोटा 305
पराली जलाने व आतिशबाजी का इन जिलों में दिख रहा असर
300 से अधिक AQI होने पर सांस लेने में होती है भारी तकलीफ
दमा व अन्य संक्रामक रोगों से ग्रसित लोगों को समस्याएं बढ़ी
AQI श्रेणी प्रभाव
0- 50 अच्छा बेअसर
51-100 संतोषजनक संवेदनशील लोगों को सांस में हल्की तकलीफ
101-200 हल्का खराब फेफडे, हृदय और अस्थमा रोगियों को सांस में तकलीफ
201-300 खराब अधिकांश को सांस में तकलीफ
301-400 बेहद खराब श्वसन संबंधी बीमारी
401-500 गंभीर स्वस्थ लोगों को भी दिक्कत और रोगियों को गंभीर संमस्या
दीपावली से पहले दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पराली जलाने का सिलसिला पुराना रहा है. इससे प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है जो दिल्ली एनसीआर सहित राजस्थान के अधिकांश हिस्सों की आबोहवा को जहरीला कर देता है. बावजूद इसके इस बार भी प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने एडवाइजरी जारी कर इतिश्रि कर ली और लोग खुदके द्वारा फैला प्रदूषण की जद में घिरते चले गए. दरअसल कोरोना काल में प्रदेश ही नहीं देश के अधिकांश राज्यों में प्रदूषण का स्तर न्यूनतम पहुंच गया था कई किलोमीटर दूर से ही अरावली की पहाडियां दिखाई देने लगी थी और जब इंसान एक एक सांस के लिए अस्पतालों में जिंदगी की जंग लड़ रहा था तब प्रकृति उसे शुद्ध सांसें देने लगी थी.
हां यह बात अलग है कि उस दौर में कोरोना के चलते एक वायरस पूरी शिद्धत से इंसान की सांस उखाड़ने में लगा था. बहरहाल अब देश दुनिया से कोरोना की विदाई हो चुकी है प्रदूषण फिर से चुनौती देने लगा है. हवा में प्रदूषण का स्तर सामान्य से खतरे के निशान से पार जाता दिखाई दे रहा है. एयर क्वालिटी इंडेक्स पर नवम्बर की शुरुआत से ही कांटा आंखे तरेरने लगा था जो दीपावली के दौरान खतरे के निशान के पार चला गया. राजधानी जयपुर और कोटा से प्रदेश का सबसे शुद्ध शहर माना जाता है लेकिन पिछले एक सप्ताह में यहां भी एक्यूआई सामान्य और संतोषजनक श्रेणी से बाहर निकल खतरे के निशान के पार यानी 300 के पार जा पहुंचा है.
AQI को 0 से 50 तक सामान्य और 51 से 100 तक संतोषजनक माना ताजा है. पिछले 2 महीनों में राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के अधिकांश शहरों में अच्छी स्थिति थी. अब नवम्बर की शुरुआत के साथ ही AQI 300 के पार जाने से प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. अच्छी बात ये है कि बिन मौसम से बरसात से प्रदूषण का स्तर बीच बीच में कम हो जाता है इससे हालात अभी बेकाबू नहीं हुए हैं. हरियाणा और दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पराली जलाए जाने से और प्रदूषण की गाइड लाइन नहीं मानने से प्रदूषण खतरनाक स्तर पर चल रहा है. आज प्रदेश में प्रदूषण सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया.
राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के 13 जिलों में एक्यूआई खतरे के निशान यानी 300 के पार चल रहा है. AQI बढने आंखों में जलन, सांस में तकलीफ, मुंह का स्वाद खराब होना, उलटी, दस्त और खुजली की शिकायत होना आमबात है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है दीपावली के दौरान आतिशबाजी और चहल पहल बढ़ने से प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा आतिशबाजी से भी प्रदूषण में वृद्धी हुई इधर रबी की फसल काट रहे पंजाब, हरियाणा और एनसीआर के किसान पराली जला रहे हैं इसलिए प्रदूषण अधिकतम स्तर पर पहुंच गया है. ऐसे में आम लोगों को सतर्कता बरतने की जरूरत है.