VIDEO: पांच विधानसभा उप चुनाव सियासत, बीजेपी ने शुरू की तैयारी; CM भजन लाल शर्मा का झुंझुनूं से आगाज

जयपुर: विधानसभा सत्र के साथ ही राजस्थान की बीजेपी पांच विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों के लिए भी जुट गई. लोकसभा चुनाव परिणामों के मद्देनजर पांच विधानसभा उपचुनाव सत्ताधारी दल के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है. इन सीटों पर बीजेपी को कांग्रेस के साथ ही क्षेत्रीय दलों से भी मुकाबला करना है.सीएम भजनलाल शर्मा ने झुंझुनूं में बीजेपी की जिला कोर ग्रुप की बैठक लेने के साथ ही चुनावी तैयारियों का आगाज कर दिया. वहीं कांग्रेस के सामने परेशानी है कि खींवसर और चौरासी में गठबंधन करे या नहीं.

डूंगरपुर जिले की चौरासी,टोंक जिले की देवली उनियारा,दौसा जिले की दौसा, नागौर जिले की खींवसर और झुंझुनूं जिले की झुंझुनूं विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. इन सभी जगह के विधायक अब संसद सदस्य की शपथ ले चुके है और यहां अब नए विधायक के लिए चुनाव होगा. सत्ताधारी दल बीजेपी के लिए पांचों सीटें कठिन टास्क है..क्योंकि यहां बीते विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को पराजय मिली थी और फिर गैर बीजेपी दल का विधायक लोकसभा चुनाव में सांसद बन गया . खींवसर और झुंझुनूं सीट को जाट बेल्ट की सीटों में माना जाता है. बात झुंझुनूं की करे तो ये शेखावाटी की प्रमुख सीट है.

---झुंझुनूं विधानसभा सीट---
आजादी के बाद से ही बीजेपी यहां मजबूत नहीं रही और ओला परिवार का वर्चस्व रहा
शीशराम ओला ने कांग्रेस को मजबूत बनाए रखा
पिछले तीन चुनाव से बृजेंद्र ओला कांग्रेस के विधायक बनते आ रहे
आजादी के बाद 16चुनाव हुए
13 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज कर सीट को अभेद्य बना दिया
अब तक केवल सुमित्रा सिंह,माहिर आजाद और डॉ मूल सिंह शेखावत कांग्रेस का तिलिस्म तोड़ पाए
जाट,मुस्लिम,दलित यहां कांग्रेस की बड़ी ताकत
माली,राजपूत,ब्राह्मण वोट भी बड़ी तादाद में
बीजेपी के लिए स्थानीय स्तर पर पार्टी में गुटबाजी
लोकसभा चुनाव में पराजय के कारण में गुटबाजी और अंतर कलह को जिम्मेदार माना गया
बीजेपी उम्मीदवार शुभकरण चौधरी ने इस बात का दावा भी किया

मुख्यमत्री भजनलाल शर्मा ने झुंझुनूं दौरे से चुनावी तैयारियों का आगाज कर दिया हालांकि उनके दौरे था सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लाभार्थियों के खाते में अभिवृद्धित राशि के डीबीटी कार्यक्रम का शेखावाटी क्षेत्र से ही ताल्लुक रखने वाले और श्रीमाधोपुर से विधायक और यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा का दावा है कि उपचुनाव में पार्टी को जीत मिलेगी सरकार के कामों का असर है.

नागौर की खींवसर सीट पर उपचुनाव होना है. खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल और उनके परिवार का 2008 से प्रभाव है. बीजेपी की टिकट पर हनुमान बेनीवाल ने यहां से 2008 में चुनाव जीता था. उसके बाद वो निर्दलीय जीते और फिर रालोपा के टिकट पर फिर भाई नारायण बेनीवाल को विधायक बनकर खुद सांसद बन गए. इस बार इंडिया एलायंस के सहारे हनुमान बेनीवाल ने ज्योति मिर्धा का हरा दिया और सांसद बन गए. हालांकि उप चुनाव में बेनीवाल का प्रत्याशी इंडिया के या RLP के बैनर तले उम्मीदवार उम्मीदवार उतारेंगे इसे लेकर संशय है.

---खींवसर विधानसभा सीट ---
परिसीमन के बाद खींवसर सीट का निर्माण
तभी से बेनीवाल परिवार का मिल रही चुनावी विजय
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने टक्कर दी मगर अभी विजय से दूर
बीजेपी प्रत्याशी रेवंत डांगा ने 2023 के चुनाव में बेनीवाल को कड़ी चुनौती जरूर दी
मगर नजदीकी मुकाबले में डांगा चुनाव नहीं जीत पाये
कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग नही चाहता है RLP से गठबंधन
नागौर में कांग्रेस और RLP के बीच अविश्वास की खाई गहरी
लोकसभा चुनाव से अलग समीकरण यहां दिख सकते है
बीजेपी यहां अपने दम पर उतरने का मन बना चुकी है
बीते चुनाव में बीजेपी ने RLP को कड़ी टक्कर दी थी
जाट ,दलित,मूल ओबीसी जातियां यहां निर्णायक वर्ग
बीजेपी से ज्योति मिर्धा टिकट की प्रबल दावेदार
हनुमान बेनीवाल इस बार अपनी पत्नी को उतार सकते है चुनावी समर में

भारतीय आदिवासी पार्टी ने वागड़ के सियासी समीकरण बदल दिए है. कद्दावर नेता महेंद्रजीत मालवीय को हराकर राजकुमार रोत ने इतिहास रच दिया. पहले राजकुमार ने चौरासी को जीता और बीजेपी उम्मीदवार सुशील कटारा को बड़े अंतर से हराकर सनसनी फैला दी. सुशील इस सीट से चुनाव भी नही लड़ना चाहते थे. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारकर भी BAP के राजकुमार का साथ दिया था. ये अलग बात है कि उदयपुर लोकसभा सीट पर आदिवासी पार्टी ने कांग्रेस का साथ नही दिया और प्रत्याशी उतारकर कांग्रेस उम्मीदवार को हरा दिया.

-- चौरासी विधानसभा सीट--
BTP के बाद BAP की ताकत का गवाह 
कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए सीट चुनौती पूर्ण
2018, 2023 के विधानसभा का चुनाव आदिवासी पार्टी ने जीता
 दो विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीतने के राजकुमार रोत की गिनती बड़े आदिवासी नेता के तौर पर
आदिवासी युवा BAP की सबसे बड़ी ताकत
बीजेपी की टिकट पर यहां आखरी बार 2013 में सुशील कटारा ने चौरासी को जीता
 कटारा को तत्कालीन वसुंधरा सरकार में मंत्री भी बनाया गया था
कांग्रेस के सामने दिक्कत फिर BAP का साथ दिया तो स्थानीय स्तर पर संगठन खत्म हो जाएगा
बीजेपी किसे चुनाव लड़ाए इसे लेकर संशय
जातीय समीकरण के तहत एसटी वोट ही प्रमुख

टोंक जिले की देवली उनियारा सीट को भी कांग्रेस की दबदबे वाली सीट माना जाता रहा है. इससे पहले जब उनियारा सीट हुआ करती तब पूर्व राजा दिग्विजय सिंह का दबदबा था. दिग्विजय सिंह प्रदेश में भैरों सिंह शेखावत सरकार में गृह मंत्री रहे थे. पूर्व डीजीपी और कांग्रेस विधायक हरीश मीना ने लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए और सुखबीर सिंह जौनपुरिया को हरा दिया.

--देवली उनियारा विधानसभा सीट--
परिसीमन के बाद चार चुनाव हुए इनमे तीन बार कांग्रेस जीती
बीजेपी ने 2013 में आखरी बार राजेंद्र गुर्जर की अगुवाई में चुनाव जीता था
2018 और 2023 में कांग्रेस के हरीश मीना ने यहां से चुनाव जीता
हरीश मीना को कांग्रेस में सचिन पायलट कैंप में माना जाता है
कांग्रेस यहां मीना को टिकट देगी या गुर्जर इसे लेकर संशय
जातीय समीकरण में मीना,गुर्जर,माली,दलित,,राजपूत,ब्राह्मण, जाट और मूल ओबीसी प्रभाव
बीजेपी गुर्जर या माली को चुनावी समर में उतार सकती है
पूर्व मंत्री और स्थानीय चेहरे प्रभु लाल सैनी बीजेपी में प्रमुख दावेदार
बीते चुनाव में बीजेपी ने कर्नल बैंसला के बेटे विजय को टिकट दिया मगर वो हार गए
कर्नल बैंसला की बेटी को भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है

बीजेपी की कमजोर कड़ी के तौर पर ही दौसा विधानसभा सीट को आंका जा रहा. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मुरारी लाल मीना ने बीजेपी के कन्हैया लाल मीणा को  दो लाख से अधिक मतों से हराकर ताकत दिखा दी. 2013 में शंकर शर्मा ने यहां से भाजपा के टिकट पर आखरी बार विधायक का चुनाव जीता था फिर शंकर शर्मा दो बार लगातार चुनाव हार गये. कांग्रेस में सचिन पायलट यहां बड़ी ताकत है. टिकट चयन में उनकी भूमिका रहेगी..बीजेपी में डॉ किरोड़ी लाल मीणा की भूमिका बेहद खास है उनके भाई जगमोहन मीना भी टिकट की दावेदार है. पूर्व सांसद जसकौर की बेटी टिकट मांग रही. बीजेपी फिर ब्राह्मण चेहरे को लाएगी या नही इसे लेकर संशय.

---दौसा विधानसभा सीट---
आजादी के बाद से ही किसी एक दल का दबदबा नही रहा
जब सीट एससी रिजर्व रही तब तक बीजेपी के बंशीवाल परिवार का दबदबा रहा
जियालाल और नंद लाल बंशीवाल दोनों भाई विधायक रहे
कांग्रेस के भूधर मल वर्मा ने यहां चुनाव जीता
परिसीमन के बाद जब सीट जनरल हो गई तब मुरारी लाल मीणा ने बांदीकुई से दौसा का रुख किया
पहली बार बीएसपी और बाद में कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव जीते
पायलट परिवार के नजदीकी होने का भी मुरारी लाल को लाभ मिला
पण्डित नवल किशोर शर्मा ,आनंद शर्मा ,चंद्र शेखर शर्मा सरीखे प्रमुख नेताओं को दौसा में प्रभाव रहा
राजेश पायलट, रमा पायलट और सचिन पायलट सांसद रहे
दौसा में मीना , ब्राह्मण, दलित, माली, गुर्जर वर्ग अहम

देश में मोदी सरकार बनने के बाद बीजेपी पांच उपचुनावों में एक ही नारा देगी डबल इंजिन की सरकार का टीम भजन लाल शर्मा ये बताने में अभी से जुट गई है कि डबल इंजिन सरकार के कारण क्षेत्र में विकास को नए पंख लगेंगे. ERCP का लाभ दौसा और देवली उनियारा तक पहुंचेगा तो ,यमुना जल का लाभ झुंझुनूं को मिलेगा.

हालांकि बीजेपी ने तैयारी शुरू कर दी है . कांग्रेस के लिए दिक्कत है की खींवसर में हनुमान बेनीवाल से समझौता कहीं भविष्य के लिए आत्मघाती ना हो जाए. कांग्रेस के प्रमुख जाट और अन्य नेता बेनीवाल के साथ चुनाव लड़ने के पक्ष में नही है .एक स्थानीय किसान नेता ने तो कह दिया कि कांग्रेस चुनावी समर में उतरेगी. बेनीवाल ने भी लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस को क्रेडिट देने में कंजूसी बरती,सूत्र बताते है कि बेनीवाल के अपने पुराने दल बीजेपी से भी नजदीकियां बढ़ रही है. उधर दक्षिण राजस्थान की कांग्रेस को चिंता है कि चौरासी में भारतीय आदिवासी पार्टी का साथ देना भविष्य में हमेशा के लिए अस्तित्व का संकट ना बन जाए. चिंताएं दोनों मुख्य पार्टियों के सामने है. लिहाजा पांच विधानसभा उपचुनाव में फूंक फूंक कर कदम रखा जा रहा.