जयपुर: दिसंबर के आखिर या नए साल के जनवरी में विधानसभा सत्र आहूत हो सकता है. तारीख का ऐलान अभी हुआ नहीं सत्र के मद्देनजर कांग्रेस विधायक दल शैडो कैबिनेट के निर्माण की ओर अग्रसर है. हालांकि नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने गुपचुप शैडो कैबिनेट की बात स्वीकारी है. हालांकि पूरी तरह ये अस्तित्व में नहीं आई दिखाते है सदन में कैसे हो सकती कांग्रेस की शैडो कैबिनेट अलबत्ता कांग्रेस के अनुभवी मुरारी लाल मीणा,बृजेंद्र ओला और हरीश मीणा अब विधायक नहीं है. कांग्रेस के विधायक भी घट गए है.
इसी साल जुलाई अगस्त के विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधायकों की बैठक में पहली मर्तबा नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने शैडो कैबिनेट की बात कही थी. तब पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने जूली की बात का समर्थन किया था हालांकि ये भी कहा था कि आपस में कोई मनमुटाव नहीं होना चाहिए. बहरहाल इसके बाद कांग्रेस विधायकों के बीच कोई औपचारिक शैडो कैबिनेट पर चर्चा नहीं हुई. ना ही कोई जिम्मेदारी दी गई. चर्चा जरूर रही. अब फिर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने फिर शैडो कैबिनेट का राग अलापा है. पिछली बार जब चर्चा थी तब अंदरखाने या गुपचुप कुछ नामों पर विचार विमर्श हुआ था हो सकता है कुछ को नेता प्रतिपक्ष ने कहा भी हो. अब विधानसभा उप चुनावों के परिणामों के बाद आने वाला विधानसभा सत्र पहला होगा. प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को घेरने के लिए शैडो कैबिनेट बनाने का निर्णय कर लिया है. .'शैडो कैबिनेट' का मकसद होगा मंत्रियों को उनके महकमें के कामों को लेकर घेरना . विधानसभा उप चुनावों की विराट जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी के हौंसले सातवें आसमान पर है. सीएम भजन लाल शर्मा पॉवरफुल बनकर उभरे है. बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुये ' शैडो कैबिनेट' का सिद्धांत हमेशा अपनाया है ,इस बार कांग्रेस ये प्रयोग करने जा रही.
--- क्या है शैड़ो कैबिनेट ---
-शैडो कैबिनेट की शुरुआत ब्रिटेन में 1937 में हुई थी
-इसे ऑफिशियल लॉयल अपोजिशन का नाम दिया गया
-आज दो दर्जन देशों में शैडो कैबिनेट अस्तित्व में है
-भारत में 1952 में यह व्यवस्था शुरु हो सकती थी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया
-सरकार पर नियंत्रण और निगरानी के लिये शैडो कैबिनेट बनाई जाती है
-भारत में संविधान विशेषज्ञ इसे वैधानिक नहीं मानते है
-राजस्थान में बीजेपी ने तीन बार विपक्ष में रहते हुये छाया मंत्रीमंडल बनाया है
-हालांकि यहां कांग्रेस ने कभी भी ऐसा नहीं किया
-छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुये ऐसा प्रयोग किया था
शैड़ो कैबिनेट पश्चिमी राष्ट्रों से लिया गया सिद्धांत है जहां विपक्ष दल सत्ताधारी दल के मंत्रियों को उनके विषय में घेरने के लिये शैड़ो कैबिनेट बनाते है, इसके तहत जो विपक्षी नेता जिस महकमें में दक्ष होता है उसे वहीं महकमा दिया जाता है. विषय में पारंगत होने के कारण वो विपक्षी विधायक सत्ताधारी दल के मंत्री को ज्यादा अच्छी तरह घेर सकता है .विधायकों को भी उनके अनुभव और इच्छा के मुताबिक जिम्मेदारी दी जाएगी. कांग्रेस शैड़ो कैबिनेट के मुख्य क्षत्रप होंगे नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा इनका साथ देंगे सचेतक रफीक खान और उपनेता प्रतिपक्ष रामकेश मीना. सदन में विपक्षी खेमे की कमान इनके हाथों में रहेगी. शैड़ो कैबिनेट में जिन्हें शामिल किया जा सकता है वो संभावित नाम इस प्रकार है.
---कांग्रेस की संभावित शैड़ो कैबिनेट ! ---
टीकाराम जूली--नेता प्रतिपक्ष
जूली की रहेगी इन विभागों पर विशेष नजर.. सामाजिक न्याय,जनजाति विकास,PHED आपदा प्रबंधन,ग्रामीण विकास, संसदीय कार्य पर नजर
गोविंद सिंह डोटासरा -- पीसीसी चीफ
डोटासरा की नजर रहेगी शिक्षा , कार्मिक, पर्यटन और गृह ,सैनिक कल्याण
रामकेश मीना-उप नेता प्रतिपक्ष
रामकेश की नजर रहेगी ग्रामीण विकास व पंचायतीराज, जल संसाधन
रफीक खान -- सचेतक
खान की नजर रहेगी UDH और स्वायत शासन, अल्पसंख्यक मामलात
शांति धारीवाल -गृह, वित्त और UDH
हरिमोहन शर्मा - ऊर्जा , आयुर्वेद, सामान्य प्रशासन
राजेंद्र पारीक- उद्योग वाणिज्य
नरेंद्र बुढ़ानिया - सार्वजनिक निर्माण विभाग
हरीश चौधरी - राजस्व और ग्रामीण विकास पंचायती राज
हरेंद्र मिर्धा - चिकित्सा और स्वास्थ्य
अशोक चांदना - युवा,खेल,कौशल और रोजगार
रतन देवासी - पर्यटन ,पशुपालन,डेयरी और गोपालन
श्रवण कुमार - सिंचाई और कृषि
सी एल प्रेमी - सामाजिक न्याय अधिकारिता
इंदिरा मीणा - महिला बाल विकास और वन
रीटा चौधरी - शिक्षा और सैनिक कल्याण
रोहित बोहरा - वित्त
भीमराज भाटी - सहकारिता
अमीन कागजी - जलदाय
घनश्याम मेहर - खाद्य नागरिक आपूर्ति
गणेश घोघरा- जनजाति क्षेत्रीय विकास
अमित चाचान - जल संसाधन,नहरी क्षेत्र विकास
दीपचंद खेरिया - पंचायती राज ग्रामीण विकास
हाकम अली - अल्पसंख्या मामलात
रमिला खड़िया - जनजाति विकास
मुकेश भाकर - उच्च शिक्षा
मनीष यादव - परिवहन
अनिल शर्मा - देवस्थान
ललित यादव - वन और पर्यावरण,रोजगार
मनोज मेघवाल - सामाजिक न्याय अधिकारिता
डूंगराराम गैदर - सिंचाई ,INGP
विकास चौधरी - उच्च शिक्षा
शिखा मील बराला - स्वास्थ्य
समरजीत सिंह - कला, संस्कृति,जन अभाव अभियोग
पूसा राम गोदारा - कृषि,किसान
रामनिवास गावड़िया - युवा ,रोजगार
फिलहाल विधानसभा को पेपर लेस बनाने का काम चल रहा है. हर विधायक की कुर्सी पर अब टैब लगे होंगे..ये कार्य दिसंबर के आखिर तक पूरा होगा. लिहाजा विधानसभा का भावी सत्र जनवरी से पहले नहीं होगा. जनवरी में कांग्रेस विधायक दल शैडो कैबिनेट से लबरेज़ नजर आ सकता है. शैड़ो कैबिनेट में शामिल विधायक अपनी तैयारी के जरिये मंत्रियों के ऊपर सदन में दबाव बनाने का काम करेंगे. जनता के बीच विधानसभा के जरिये संदेश देने की कोशिश होगी. अभी तक कांग्रेस ने शैड़ो कैबिनेट का विधिवत् गठन नहीं किया है लेकिन तैयारी पूरी है इसके तहत कांग्रेस के नये विधायकों को अनुभवी और पूर्व में मंत्री रह चुके सीनियर विधायकों के साथ एड़जस्ट किया जाएगा जिससे वो भी पारंगत बन सके कुछ ऐसे भी विधायक है जिन्हें मौका पहली बार भले ही मिला लेकिन वो सियासत के धुरंधर पहले से ही कहे जाते है लिहाजा उन्हें विभिन्न महकमों में उनकी रुचि के मुताबिक तैयारी के लिये कहा जाएगा. विधानसभा के भावी सत्र में कांग्रेस विद्यायक दल का यह नया दांव देखने को मिल सकता है .