जयपुर: विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत लगाए जा रहे शिविरों में गैस वितरकों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वितरक से अपेक्षा की जा रही है की एक दिन में 2 से 3 कैम्प में विभिन्न स्थानों पर सेवाएं दे. एक वितरक के पास सीमित स्टाफ और संसाधन होते हैं. साथ ही गैस वितरण से सम्बंधित नियमित कार्य भी करना होता है. सभी जगह पर सेवाएं देना विरकों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है.
गैस वितरक अपनी समस्याओं को लेकर आज मीडिया से रूबरू हुए. गैस डिस्ट्रीब्यूटर फेडरेशन के अध्यक्ष दीपक गहलोत ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी कैम्प में KYC करने और तुरंत गैस कनेक्शन देने का भी ज़ोर डालते है, जबकि कनेक्शन देने से पहले कम्पनी द्वारा निर्धारित प्रक्रिया को पूरा करना होता है. अपात्र व्यक्तियों को कनेक्शन जारी नहीं किया जा सकता. अधिकारी अपना टार्गेट स्वयं निर्धारित कर उसे पूरा करने पर आमादा हो रहे है और नहीं करने पाने पर वितरकों को लताड़ तक लगा रहे हैं, जबकि इस टारगेट को पूरा करना एक गैस वितरक के हाथ की बात नहीं होती. दूर दराज के गाँवों में तो डाटा नेट्वर्क भी कमजोर होने से eKYC और कनेक्शन बनाना संभव नहीं होता.
गैस वितरक को भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानदेय मिलता है. उस मानदेय में इस प्रकार के अनेक कैम्पों का खर्च होने से गैस वितरक को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. कंपनी और आधार के सर्वर भी धीमी गति से चल रहे है, जिससे कैम्प में कार्य करने और eKYC करने में बाधा आ रही है. गैस की प्रस्तावित सब्सिडी पर बहुत से प्रश्न अभी उत्तर की प्रतीक्षा में है. इससे ग्राहकों को जवाब देने में वितरकों को असमंजस का सामना करना पड़ता है.
इस मामले में फेडरेशन के जिलाध्यक्ष राकेश रस्तोगी का कहना है कि है की गैस वितरण, कैम्प, सब्सिडी इत्यादि विषयों पर वितरक प्रतिनिधियों से बात कर सुविधा अनुसार कार्यक्रम व नीति बताएं ताकि गैस उपभोक्ताओं को विभिन्न योजनाओं का लाभ बिना किसी बाधा के दिया जा सके.
दरअसल एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स के सामने कई प्रकार की व्यवहारिक समस्याएं आ रही हैं. इससे सरकारी योजनाओं का काम भी प्रभावित हो रहा है और वितरक भी मुश्किल में है. ऐसे में जरूरी है कि सरकार वितरकों को चर्चा के लिए बुलाए और समस्याओं को दूर करे तभी समाधान निकल सकता है.