जयपुर: एक चेहरा जिस पर पूरे उप चुनावों में नजर टिकी है.वो है डॉ किरोड़ी लाल मीणा.दौसा और देवली उनियारा दो विधानसभा उपचुनाव में उनके प्रभाव की चर्चा.दौसा में तो उनके अनुज जगमोहन मीना बीजेपी के टिकट पर मैदान में है.वहीं देवली उनियारा में उन्हें मीणा वोटों के मद्देनजर बीजेपी उम्मीदवार की मदद करनी है.खास बात है डॉ किरोड़ी दौसा और सवाई माधोपुर दोनों लोकसभा सीटों से विधायक रह चुके.उनके चुनौती है दोनों सीटों पर कमल खिलाने की.व्यक्ति विशेष में बात किरोड़ी लाल मीणा की.
भजन लाल सरकार के कैबिनेट मंत्रीपद से इस्तीफा देने के बाद डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा एक दम से चर्चा में आ गए थे कारण था उनका "वचन ".अब चर्चा में है भाई जगमोहन मीना के कारण.जगमोहन मीना है दौसा विधानसभा सीट से उप चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार. काफी जतन के बाद किरोड़ी लाल मीणा अपने अनुज को टिकट दिलाने में कामयाब हो गए..लेकिन उनके सामने बाधाएं. चुनौती है दौसा के साथ ही मीणा बहुल देवली उनियारा सीट की भी.
डॉ किरोड़ी और उप चुनाव पॉलिटिक्स:
-दौसा की सीट पर भाई जगमोहन मीना को विजय दिलाना चुनौती
-फिलहाल सामान्य वर्ग के वोटों पर फोकस
-जनरल सीट से भाई को टिकट दिलाने के कारण नाराजगी पनपी थी
-पुजारियों और जनरल के लिए किए गए संघर्ष की याद अब वो दिला रहे
-डॉ किरोड़ी और उनके भतीजे राजेंद्र सामान्य सीट से ही विधायक
-परंपरागत कांग्रेस के मीना वोट बैंक को भी साधना चुनौती
-गुर्जर वर्ग के वोट बैंक को भी साधना चुनौती पूर्ण क्योंकि दौसा में पायलट फैक्टर प्रभावी
-मीणा वोटों के कारण पार्टी को किरोड़ी से देवली उनियारा में भी आस
-कांग्रेस से मीना चेहरा होने के कारण किरोड़ी के सामने बाधाएं
-SC ST आरक्षण को लेकर भी उनके पूर्व में दिए गए बयान चर्चा में
डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा हमेशा से राजस्थान की सियासत में चर्चा के केंद्र बिंदु बने हुए रहते है, चाहे पक्ष की सरकार हो या विपक्ष की.लोकसभा चुनाव परिणाम में दौसा में बीजेपी को मिली पराजय के कारण किरोड़ी लाल मीणा ने अपना त्यागपत्र दिया है.उन्होंने घोषणा की थी कि दौसा लोकसभा सीट पर बीजेपी हारी तो मंत्री पद छोड़ दूंगा.नड्डा से मिलने के बाद तेवर नरम पड़े थे फिर कैबिनेट की बैठक में भी भाग लिया.उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्वी राजस्थान में हार का सामना करना पड़ा था.दौसा,करौली धौलपुर ,टोंक सवाई माधोपुर और भरतपुर में बीजेपी के उम्मीदवार हार गए,यहां डॉ किरोड़ी का व्यापक प्रभाव माना जाता है अपने वर्ग के बीच.कहा जाता है कि बीजेपी लीडरशिप ने डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को पूर्व राजस्थान की सात लोकसभा सीटों की जिम्मदारी दी थी.
दौसा के रोड शो में पीएम मोदी ने अपने साथ रखा था.चुनाव के दौरान उन्होंने दावा किया था कि दौसा और टोंक सवाई माधोपुर में भाजपा प्रत्याशियों की जीत होगी.अगर भाजपा के प्रत्याशी जीत नहीं पाते हैं तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.भाजपा के प्रत्याशी दौसा और टोंक दोनों ही सीटों पर हार गए.यह एक बड़ा कारण है डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के त्याग पत्र का.मंत्री पद छोड़ने को लेकर नाराजगी की बात भी सामने आई है.हालांकि उनके समर्थक मानते है कि डॉ किरोड़ी के कारण मीना समाज के विधायक अच्छी संख्या में विधानसभा चुनाव में जीते थे फिर डॉ किरोड़ी को ना तो उप मुख्यमंत्री बनाया गया और विभाग के आवंटन से भी उनके समर्थक ना खुश थे.समर्थक मानते थे डॉक्टर किरोड़ी को उनके कद के मुताबिक पद नही मिला.
डॉ किरोड़ी की विशेषताएं:
-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से तृतीय वर्ष शिक्षित
- भारतीय जनता पार्टी के एक ऐसे आदिवासी नेता है
-किरोड़ीलाल मीणा छात्र जीवन से ही राजनीति में हैं
-विद्यार्थी परिषद में रहे ,आगे चलकर बीजेपी के हरावल दस्ते युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके
-जिन्होंने कांग्रेस के परंपरागत मीना वोट बैंक को बीजेपी से जोड़ने में बड़ा योगदान दिया
- खासतौर से पूर्वी राजस्थान में
- शिक्षक भर्ती समेत विभिन्न परीक्षाओं की धांधली को उजागर किया
- RPSC में चल रहे चयन कराने से जुड़े करप्शन को सामने लाया
- कांग्रेस राज के दौरान संघर्ष शील छवि को पांच साल तक अपनाए रखा
- शुरुआती सियासत में सवाई माधोपुर के सीमेंट फैक्ट्री के कारण चर्चित हुए थे
साल 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने पीए संगमा की पार्टी का दामन थामा और करीब 122 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे.चार सीटों पर राजपा ने जीत भी दर्ज की.10 साल तक पार्टी से बाहर रहने के बाद 2018 में उनकी भाजपा में वापसी हुई.दौसा से अकेले दम पर जग के चुनाव चिन्ह पर डॉ किरोड़ी लोकसभा का चुनाव जीत चुके है वो भी निर्दलीय.भारतीय जनता पार्टी में संघर्ष के प्रतीक के तौर पर डॉ किरोडी को जाना जाता है. अब चुनौती है दौसा का उप चुनाव.