राजस्थान की भजनलाल सरकार ने दी बड़ी राहत, 300 वर्ग मीटर तक के भूखंडों को लेकर प्रक्रिया की आसान, भूखंड का मिल सके मालिकाना हक

जयपुर: शहरों में पुरानी आबादी क्षेत्र में बसे लोगों को प्रदेश की भजनलाल सरकार ने बड़ी राहत दी है. शहरी जनता को राहत देने के लिए चल रहे शहर चलो अभियान में इन लोगों को पट्टे देने की प्रक्रिया आसान कर दी है. किस तरह प्रक्रिया की गई है आसान और इससे पुरानी आबादी क्षेत्र में बसे लोगों को राहत किस तरह मिलेगी. वर्ष 2015 में राजस्थान नगर पालिका अधिनियम में बदलाव किया गया था. अधिनियम में बदलाव करते हुए नई धारा 69 ए जोड़ी गई थी.  इस धारा के तहत शहरों में पुरानी आबादी क्षेत्र में बसे लोगों को उनके भूखंड का पट्टा देने का प्रावधान किया गया था.

प्रदेश की पिछली कांग्रेस सरकार के समय चलाए गए प्रशासन शहरों के संग अभियान में इस धारा के तहत लोगों को पट्टे जारी किए गए थे. प्रदेश की मौजूदा सरकार ने शहरी जनता को निकायों की सेवाएं सुगम तरीके से उपलब्ध कराने और विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए 17 सितंबर से शहर चलो अभियान शुरू किया है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि जब यह अभियान शुरू किया गया था तब पुरानी आबादी क्षेत्र में बसे लोगों को भूखंड देने के लिए क्या प्रावधान किए गए थे.

स्वायत्त शासन विभाग ने 14 सितंबर को विस्तृत दिशा-निर्देश किए थे जारी:
-इन निर्देशों में कहा गया था कि वैकल्पिक दस्तावेज और
-कब्जे को नहीं माना जाएगा भूखंड के स्वामित्व का आधार
-इसका सीधा मतलब था कि भूखंड का नहीं दिया जाएगा पट्टा
-वैकल्पिक दस्तावेज व कब्जे के आधार पर नहीं दिया जाएगा पट्टा
-पट्टे के वैधानिक स्वामित्व के दस्तावेज पर ही मिलना था पट्टा
-पुरानी आबादी क्षेत्र में बसे अधिकतर लोगों के पास नहीं हैं स्वामित्व दस्तावेज
-साथ ही अधिकतर लोगों के पास हैं 300 वर्गमीटर तक के भूखंड
-इसे देखते हुए प्रदेश की भजनलाल सरकार ने इन लोगों को बड़ी राहत दी है
-स्वायत्त शासन विभाग की ओर से इस बारे में जारी किया है स्पष्टीकरण
-स्पष्टीकरण जारी कर छोटे भूखंडों के मामले में राहत दी गई है
-लेकिन गैर आवासीय भूखंडों के मामले में पट्टे शुल्क में बढ़ोतरी की गई है
-इन भूखंडों का पट्टा लेने के लिए पहले देनी होती थी राशि
-पहले 200 रुपए प्रति वर्गमीटर के अनुसार देना होता था शुल्क
-अब 500 रुपए प्रति वर्ग गज के अनुसार देना होगा पट्टा शुल्क
-इसके साथ ही विभाग ने निकायों को स्पष्ट किया है कि
-नगर पालिका अधिनियम की इस धारा 69ए के तहत दिए जाएंगे पट्टे
-सेटलमेंट के समय में शहरों में जो था पुराना आबादी क्षेत्र
-उस क्षेत्र में ही इस धारा 69ए के तहत दिए जा सकेंगे पट्टे
-लेकिन जो सिवायचक भूमि जिला कलक्टरों की ओर से की गई है ट्रांसफर
-निकायों को समय-समय पर जो सिवायचक भूमि की गई है ट्रांसफर
-उस भूमि पर बसे लोगों को इस धारा के तहत पट्टा नहीं किया जाएगा जारी
-हांलाकि यह भूमि भी राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है गैर मुमकिन आबादी

शहरों में पुरानी आबादी क्षेत्र में छोटे भूखंडों पर बसे लोगों को कब्जे के दस्तावेजों के आधार पर पट्टा मिल सकेगा. इसके लिए स्वायत्त शासन विभाग की ओर से निकायों को जारी स्पष्टीकरण में पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई है. आपको बताते हैं कि क्या होगी प्रक्रिया और कब्जे के साक्ष्य के तौर पर कौनसे दस्तावेज पट्टा लेने के लिए देने होंगे.

प्रदेश की भजनलाल सरकार ने दी बड़ी राहत:
-शहरों में पुरानी आबादी क्षेत्र में बसे लोगों को राहत
-इन लोगों को उनके भूखंड का मिल सके मालिकाना हक
-शहर चलो अभियान में मिल सकेगा भूखंड का पट्टा
-इसके लिए सरकार ने प्रक्रिया को कर दिया है आसान
-300 वर्ग मीटर तक के भूखंडों का लेकर प्रक्रिया की आसान
-अब इन भूखंडों का पट्टा लेने के लिए नहीं होगा जरूरी
-लोगों को भूखंड के स्वामित्व के दस्तावेज देना नहीं होगा जरूरी
-भूखंड का पट्टा लेने के लिए अब लोगों को करने होंगे प्रस्तुत
-सामान्य वर्ग के लोगों को 1 जनवरी 1990 से पहले के और
-एससी-एसटी वर्ग के लोगों को निकाय में करने होंगे प्रस्तुत
-1 जनवरी 1996 से पहले के भूखंड पर कब्जे के देने होंगे दस्तावेज
-अब तक अभियान में ऐसे मामलों में पट्टा लेने के लिए था जरूरी
-भूखंड के स्वामित्व के दस्तावेज प्रस्तुत करना था जरूरी
-पुरानी आबादी क्षेत्र में बसे अधिकतर लोगों के पास नहीं हैं दस्तावेज
-अधिकतर लोगों के पास नहीं हैं स्वामित्व के दस्तावेज
-इन दस्तावेजों के अभाव में लोगों को नहीं मिल पा रहा था पट्टा
-लेकिन अब कब्जे के दस्तावेजों के आधार पर मिल सकेगा पट्टा
-निर्धारित तिथि से पहले के ये दस्तावेज करने होंगे प्रस्तुत
-बिजली-पानी के बिल,वोटर आईडी,राशन कार्ड,
-निष्पादित बेचान पत्र,पारिवारिक बंटवारानामा,
-आवेदन के साथ इनमें से उपलब्ध दस्तावेज निकाय में देने होंगे
-इन दस्तावेजों के आधार पर भूखंड का मिल सकेगा पट्टा