जयपुर: आमजन से जुड़े प्रकरणों को स्वीकृत करने के मामले में प्रदेश भर के छोटे निकाय बड़े निकायों से कहीं आगे हैं. टॉप परफॉर्मर्स की गिनती में सबसे अधिक छोटे निकाय शामिल हैं. स्वायत्त शासन विभाग की ओर से प्रदेश भर के निकायों के तैयार किए गए रिपोर्ट कार्ड में ये खुलासा हुआ है. कई बड़े निकायों की तो जीरो परफॉरमेंस सामने आई है. स्वायत्त शासन विभाग के सचिव रवि जैन ने पदभार संभालने के बाद हाल ही प्रदेश भर के निकायों के कामकाज की वीसी के माध्यम से समीक्षा की थी.
इस वीसी के लिए प्रदेश भर के नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं में विभिन्न सेवाओं के प्राप्त प्रकरणों और उनके निस्तारण के एक जुलाई तक के आकड़े जुटाए गए. निकायों में विभिन्न सेवाओं के लिए प्राप्त ऑनलाइन प्रकरणों के आकड़े जुटाए गए. इन आकड़ों के आधार पर विभाग की ओर से सभी निकायों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया. इस रिपोर्ट कार्ड में यह खुलासा हुआ है कि आमजन से जुड़े विभिन्न प्रकरणों को स्वीकृत करने के मामले में प्रदेश के बड़े निकायों की परफॉरमेंस खराब रही है. इतनी खराब कि कई बड़े निकायों की परफॉरमेंस जीरो रही. जबकि छोटे निकायों ने बाजी मारी है.
राजस्थान के 13 नगर निगमों के आकड़े:
-पट्टों के ऑनलाइन आवेदनों को स्वीकृति देने को लेकर प्रदेश के 13 नगर निगमों के आकड़े बताते हैं कि
-जोधपुर उत्तर नगर निगम,बीकानेर नगर निगम,उदयपुर नगर निगम की परफॉरमेंस जीरो रही है
-इन बड़े निकायों ने ऑनलाइन प्राप्त आवेदनों में से एक को भी स्वीकृत नहीं किया
-जबकि अजमेर नगर निगम ने प्राप्त आवेदनों में से महज 0.14 प्रतिशत,
-जोधपुर दक्षिण नगर निगम ने 0.3% और पाली नगर निगम ने 0.6% प्रकरण ही स्वीकृत किए
-अलवर नगर निगम ने 1%जयपुर हैरिटेज नगर निगम 1% और
-जयपुर ग्रेटर नगर निगम ने केवल 6 प्रतिशत प्रकरणों में ही स्वीकृति दी
-नगर निगमों में भरतपुर नगर निगम 52% प्रकरणों में स्वीकृति देने के साथ पहले स्थान पर,
-कोटा उत्तर नगर निगम 40% के साथ दूसरे स्थान पर कोटा दक्षिण नगर निगम 38% के स्थान तीसरे स्थान पर रहा
-पट्टे के लिए आए ऑनलाइन आवेदनों स्वीकृति के मामले में 92%सफलता के साथ देवली नगरपालिका पूरे प्रदेश में नंबर एक पर रही
-जबकि 79%आवेदनों को स्वीकृत करने वाली डीग नगर पालिका दूसरे स्थान पर और
-छोटी सादड़ी नगर पालिका व झालरापाटन नगर पालिका 70% सफलता के साथ तीसरे स्थान पर रही
-सवाई माधोपुर,टोंक,इटावा,पिलानी,रामगढ़,माउंट आबू,फलौदी,सुजानगढ़ और
-श्रीडूंगरगढ़ के निकायों ने ऑनलाइन मिले आवेदनों में से एक को भी स्वीकृत नहीं किया
बिल्डिंग प्लान एप्रुवल सिस्टम के तहत भवन मानचित्र अनुमोदन के लिए प्राप्त प्रकरण, नाम हस्तांतरण और उप विभाजन व पुनर्गठन के निकायों में प्राप्त आवेदनों को स्वीकृत करने को लेकर भी कमोबेश यही स्थिति सामने आई है. इन ऑनलाइन प्राप्त सेवाओं के निष्पादन के मामले में आपको प्रदेश के निकायों के बताते हैं स्थिति.
बिल्डिंग प्लान एप्रुवल सिस्टम:
-नगर निगमों में बिल्डिंग प्लान एप्रुवल सिस्टम के मामले में सबसे खराब परफॉरमेंस जयपुर हैरिटेज नगर निगम व जयपुर ग्रेटर नगर निगम की है
-जयपुर हैरिटेज ने जहां महज एक प्रतिशत प्रकरणों को स्वीकृत किया वहीं जयपुर ग्रेटर ने महज 12 प्रतिशत प्रकरणों का स्वीकृत किया है
-इनमें सबसे ज्यादा 62 प्रतिशत प्रकरणों को भीलवाड़ा नगर निगम ने स्वीकृत किया
-अच्छी परफॉरमेंस के मामले में 60%सफलता के साथ पाली नगर निगम दूसरे नंबर पर है
-नसीराबाद नगर पालिका ने प्राप्त प्रकरणों में 92 प्रतिशत प्रकरणों में स्वीकृति दी
-इस लिहाज से नसीराबाद नगर पालिका पूरे प्रदेश में टॉप पर रही है
-इस मामले में शिवगंज नगर पालिका 86% सफलता के साथ दूसरे नंबर पर और झालरापाटन नगर पालिका और
-सिरोही नगर परिषद 82 प्रतिशत सफलता के साथ तीसरे नंबर पर है
-उदयपुरवाटी,सूरजगढ़,महवा,तिजारा,टोडारायसिंह,चौमूं,अजीतगढ़,छापर,लोसल और
-धरियावद के निकायों ने एक भी प्रकरण को स्वीकृत नहीं किया
नाम हस्तांतरण:
-नगर निगमों में नाम हस्तांतरण के मामले में सबसे खराब परफॉरमेंस जोधपुर उत्तर नगर निगम और कोटा उत्तर नगर निगम की है
-ऑनलाइन प्राप्त आवेदनों में से जोधपुर उत्तर नगर निगम ने महज 0.3% और
-कोटा उत्तर नगर निगम ने 18 प्रतिशत ही प्रकरणों को ही स्वीकृत किया
-नगर निगमों में सबसे अधिक भरतपुर नगर निगम ने 66% प्रकरणों में स्वीकृति दी है
-इस मामले में 65% सफलता के साथ जयपुर हैरिटेज नगर निगम दूसरे स्थान पर रहा है
-पूरे प्रदेश में रामगंजमंडी नगरपालिका ने ऑनलाइन प्राप्त नाम हस्तांतरण के सबसे अधिक प्रकरणों में स्वीकृति दी है
-रामगंजमंडी नगर पालिका ने 96% प्रतिशत प्रकरणों को स्वीकृत किया
-इस मामले में सलूंबर नगर पालिका 93% प्रकरणों में स्वीकृति देने के साथ दूसरे स्थान पर
-और टोंक नगर परिषद 93% प्रकरणों में स्वीकृति देने के साथ दूसरे स्थान पर है
-नदबई,बेगु और छापर के निकायों ने एक भी प्रकरण में स्वीकृति नहीं दी
एकमुश्त लीज प्रमाण पत्र:
-एकमुश्त लीज प्रमाण पत्र के ऑनलाइन प्राप्त आवेदनों को स्वीकृति देने के मामले प्रदेश के नगर निगमों की स्थित सबसे अधिक खराब है
-प्रदेश के कुल 12 नगर निगमों में से दस नगर निगमों की परफॉरमेंस इस मामले में जीरो है
-इन दस नगर निगमों ने ऑनलाइन प्राप्त एक भी आवेदन को स्वीकृत नहीं किया
-केवल उदयपुर नगर निगम ने 18% और अजमेर नगर निगम ने 37% प्रकरणों में स्वीकृति दी है
पुनर्गठन व उप विभाजन:
-नगर निगमों में पुनर्गठन व उप विभाजन के मामले में सबसे खराब परफॉरमेंस जयपुर हैरिटेज नगर व पाली नगर निगम की रही है
-पुनर्गठन व उप विभाजन के ऑनलाइन प्राप्त आवेदनों का जयपुर हैरिटेज निगम ने 3 प्रतिशत प्रकरणों में
-और पाली नगर निगम ने 5.7% प्रकरणों में स्वीकृति दी है
-नगर निगमों में सबसे अधिक जोधपुर दक्षिण नगर निगम ने 51.8% प्रकरणों में स्वीकृति दी
-इस मामले में 50% सफलता के साथ भीलवाड़ा नगर निगम दूसरे और
-47% सफल्ता के साथ अजमेर नगर निगम दूसरे स्थान पर रहा है
-जालौर,बाड़मेर,धौलपुर,दौसा,खैरथल,पुष्कर,सांचौर,चौमूं,बूंदी और केकड़ी के निकायों की परफॉरमेंस खराब रही है
-इन निकायों की ओर से प्रकरणों में स्वीकृति का प्रतिशत महज एक से आठ प्रतिशतत ही रहा है