कुप्रबंधन के बीच इलाज करवा रहे मासूम ने तोड़ा दम ! SCI में ब्लड कैंसर पीड़ित बच्चे के पैर चूहे ने कुतरे, मरीजों का दर्द बढ़ाती दयनीय हालात

जयपुर: राजस्थान में कैंसर के सबसे बड़े इंस्टीट्यूट को एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कचरागाह बना दिया है.जी हां, ये कोई हमारा आरोप नहीं, बल्कि स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के उस कुप्रबन्धन की बानगी है, जिसमें गंभीर संक्रमण के बीच इलाज को मजबूर दस साल के अंश ने आखिरकार दम तोड़ दिया.ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित ये अंश वहीं बच्चा था, जिसके पैर को अस्पताल में उपचार के दौरान चूहों ने कुतर लिया था.घटना के बाद एकतरफ जहां पूरे इंस्टीट्यूट में हड़कंप मच गया तो वहीं दूसरी ओर सभी जिम्मेदार एक दूसरे पर पल्ला झाडते नजर आए.

कुप्रबन्धन से कचरागाह में तब्दील होता कैंसर इंस्टीट्यूट:
-सबसे बड़े कैंसर हॉस्पिटल में मरीजों का दर्द बढ़ाती दयनीय हालात
-फर्स्ट इंडिया से लिया RUHS अस्पताल मे चल रहे SCI के वार्ड का जायजा
-तो वहां बारूथम में जगह जगह गंदगी के ढ़ेर दिखाकर रो पड़े कैंसर के मरीज
-गंदगी की वजह से आलम ये था कि चूहों ने वार्ड से लेकर गार्डन तक मचा रखा आतंक
-मरीजों के बैड्स पर उछलते कूदने नजर आए चूहें, तो महिलाएं अव्यवस्थाओं से दिखी शर्मशार
-एक महिला ने तो नजरें नीचे करते हुए कहा कि हमें तो यहां हर पल शर्मिंदा होना पड़ता है
-कई बार शिकायत कर चुके है,लेकिन शायद जिम्मेदारों को मरीजों का दर्द नजर नहीं आता है

आखिर कहां जा रहा सफाई का करोड़ों का बजट !:
-सबसे बड़े कैंसर हॉस्पिटल में मरीजों का दर्द बढ़ाती दयनीय हालात
-स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के अधीक्षक डॉ संदीप जसूजा की माने तो
-इंस्टीट़्यूट में हर माह 22 से 25 लाख रुपए साफ सफाई पर होते है खर्च
-पेस्ट कंट्रोल का भी टेंडर में प्रावधान, लेकिन मौके पर चूहों का मचा आतंक
-लेकिन जिस तरह से मुख्य बिल्डिंग और वार्ड में देखी जा रही बदहाल
-उसको देखकर खुद चिकित्सक और स्टॉफ ही उठा रहे खर्च पर सवाल
-क्योंकि, अस्पताल में इस गंदगी के आलम को वे खुद भी झेलने को मजबूर
-हालांकि, डॉ जसूजा का दावा- एसएमएस मेडिकल कॉलेज से होते है टेंडर
-हमने तो फर्म को ब्लैक लिस्ट करने के लिए कई बार कॉलेज प्रशासन को लिखा है
-अब सवाल ये, आखिर किसके इशारे पर गंदगी के बावजूद हो रहा करोड़ों का भुगतान ?

मरीज हैरान-परेशान, स्टॉफ हो रहा शर्मशार:
-सबसे बड़े कैंसर हॉस्पिटल में मरीजों का दर्द बढ़ाती दयनीय हालात
-फर्स्ट इंडिया टीम ने जब मरीजों से की बातचीत, तो खुलकर सामने आया दर्द
-उन्होंने बताया कि गंदगी-बदबु के चलते हर एक घंटे में वार्ड से बाहर जाना मजबूरी
-महिलाओं के लिए अलग से बाथरूम नहीं,जिससे वे होती नजरें झुकाने को मजबूर
-इस दौरान स्टॉफ ने भी खुलकर बयां किया कैंसर मरीज, परिजनों और खुद का दर्द
-कहां, कई बार तो दुर्गंध के हालात ये होते है कि काम छोड़ने का मन करता है
-लेकिन फिर मरीजों की पीड़ा देखकर रूकना मजबूरी हो जाता है