राजस्थान में स्वच्छ मोबिलिटी नीति लागू, CAQM ने NCR की वायु गुणवत्ता सुधार के दिए निर्देश, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः राजस्थान परिवहन विभाग ने प्रदेश के एनसीआर से जुड़े जिलों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बड़ा फैसला लिया है. अब 1 जनवरी 2026 से अलवर, खैरथल-तिजारा, डीग और भरतपुर जिलों में केवल CNG और इलेक्ट्रिक वाहनों को ही ऑनलाइन परिवहन और डिलीवरी सेवाओं में शामिल किया जा सकेगा

परिवहन विभाग के इस फ़ैसले केवल हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि राज्य में स्वच्छ और टिकाऊ परिवहन व्यवस्था को भी गति मिलेगी. कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट CAQM ने ये निर्देश जारी किए. इसका उद्देश्य एनसीआर क्षेत्र की वायु गुणवत्ता में सुधार करना और परिवहन क्षेत्र से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करना है.दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र हर वर्ष सर्दी के मौसम में गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में रहता है. वाहनों से निकलने वाला धुआं और औद्योगिक उत्सर्जन इस प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से हैं. सीएक्यूएम ने पाया कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर से एनसीआर की वायु गुणवत्ता पर 30-40 प्रतिशत तक सीधा प्रभाव पड़ता है. इसी को देखते हुए आयोग ने राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को यह निर्देश दिया कि वे अपने-अपने एनसीआर क्षेत्रों में “स्वच्छ ईंधन आधारित मोबिलिटी नीति” लागू करें. राजस्थान सरकार ने इसी के तहत यह फैसला लिया है कि 1 जनवरी 2026 से पेट्रोल और डीजल चालित दोपहिया, तिपहिया और हल्के वाणिज्यिक वाहन (LCV, LGV) किसी भी ऑनलाइन एग्रीगेटर या डिलीवरी सर्विस प्लेटफॉर्म जैसे ओला, उबर, जोमैटो, स्विगी, अमेज़न और फ्लिपकार्ट से नहीं जोड़े जाएंगे.

राजस्थान में यह आदेश अलवर, खैरथल-तिजारा, डीग और भरतपुर जिलों में लागू होगा, जो दिल्ली-एनसीआर के दायरे में आते हैं. इन जिलों में चलने वाली एग्रीगेटर सेवाओं और डिलीवरी कंपनियों को अब अपने प्लेटफॉर्म पर केवल CNG या इलेक्ट्रिक वाहनों को ही शामिल करना होगा. CAQM ने स्पष्ट किया है कि जो वाहन पहले से एग्रीगेटर सेवाओं या डिलीवरी कंपनियों में पंजीकृत हैं, वे फिलहाल सेवाएं जारी रख सकते हैं. हालांकि, नए पेट्रोल या डीजल वाहनों को किसी भी परिस्थिति में 1 जनवरी के बाद शामिल करने की अनुमति नहीं होगी.इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर और उससे सटे राजस्थान के जिलों में वाहन उत्सर्जन से होने वाले प्रदूषण को कम करना है.राजस्थान परिवहन विभाग का यह कदम राज्य के “ग्रीन मोबिलिटी मिशन 2030” को भी मजबूत करेगा, जिसके तहत इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग से चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार होगा, जिससे हरित ऊर्जा और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे. 

कौन से वाहन शामिल होंगे, कौन से नहीं
अनुमति प्राप्त वाहन:
• CNG और इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर ऑटो रिक्शा
• CNG/इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन (बाइक, स्कूटी)
• इलेक्ट्रिक लाइट कमर्शियल व्हीकल्स (LCV)
प्रतिबंधित वाहन:
• पेट्रोल या डीजल चालित ऑटो रिक्शा, मिनी ट्रक, LCV और डिलीवरी वैन
• पारंपरिक ईंधन (ICE इंजन) वाले सभी नए वाहन जो 1 जनवरी 2026 के बाद जोड़े जाने थे