Rajasthan Election 2023: सर्वे पर मंथन चेहरे की टेंशन ! करीब 70 सीटों पर कांग्रेस के पास जीताऊ चेहरे नहीं; विस्तार से जानें

जयपुर: दिल्ली में कांग्रेस की अहम बैठके जारी है. यहां विचार हुआ उन सीटों को लेकर जो पिछले दो या तीन चुनावों से कांग्रेस हार रही या फिर ये सीटें चिंता का सबब बनी हुई. कांग्रेस ने बीते दिनों कराए सर्वे पर पंजाब भवन में विचार विमर्श किया. आज कांग्रेस सत्ता में लेकिन तकरीबन 70 सीटें ऐसी जहां कांग्रेस के पास जीताऊ चेहरे नहीं है. सर्वे के जरिए योग्य नामों पर मंथन हुआ. सब कुछ सही चला तो इन सीटों पर सीएम अशोक गहलोत कहे अनुसार एक या दो माह पहले कैंडिडेट चयन कर उसे घोषित किए बगैर सक्रिय कर दिया जायेगा. 

तमाम अटकलों और अंदरूनी राजनीति से परे कांग्रेस ने मिशन 2023 की तैयारी शुरू कर दी. मंगलवार को दिल्ली के पंजाब भवन में तमाम सर्वे रिपोर्ट पर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, सह प्रभारी अमृता धवन, काजी निजामुद्दीन, वीरेंद्र सिंह राठौड़ के बीच एजेंसी के सर्वे और सह प्रभारी की रिपोर्ट पर मंथन हुआ. कमज़ोर सीटों पर पांच पांच नामो को लेकर सर्वे हुआ था अब इनकी सर्वे की रिपोर्ट प्रभारी रंधावा को मिल गई है, अब इसी सिलसिले में भावी चुनावी रणनीति पर फोकस किया जा रहा. अब बड़ी खबर यही है कि राज्य में करीब 70 सीटें ऐसी है जहां कांग्रेस के पास जीताऊ चेहरे नहीं है. पहले उन 42 सीटों के नाम जो कांग्रेस ने पिछले तीन चुनावों से हार रही...

श्रीगंगानगर, भादरा, बीकानेर पूर्व, रतनगढ़, उदयपुरवाटी, खंडेला, शाहपुरा, फुलेरा, विद्याधर नगर, मालवीय नगर, सांगानेर, बहरोड़, थानागाजी, अलवर शहर, रामगढ़, नगर, नदबई, धौलपुर, महुआ, गंगापुर सिटी, मालपुरा, अजमेर उत्तर, ब्यावर, नागौर, खींवसर, जैतारण, पाली, मारवाड़ जंक्शन, बाली, सूरसागर, शिवाना, भीनमाल, सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, आसींद, भीलवाड़ा, बूंदी, लाडपुरा, कोटा दक्षिण, झालरापाटन, खानपुर, अनूपगढ़, अजमेर दक्षिण, मेड़ता, सोजत, भोपालगढ़, रेवदर, रामगंजमंडी, बस्सी, घाटोल और कुंभलगढ़ विधानसभा सीट. 

हालांकि इनमें से श्रीगंगानगर, महुवा, बस्सी से कांग्रेस विचारधारा के निर्दलीय विधायक बने जो अभी कांग्रेस का साथ दे रहे हैं. वहीं उदयपुर वाटी, नगर, नदबई से बीएसपी जीती अब ये विजयी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. भादरा से सीपीएम ने जीत दर्ज की ये भी कांग्रेस के साथ. लेकिन सवाल यही है कि यहां पंजे के निशान ने विजय का परचम नहीं फहराया.

---अब वह सीटें जो लगातार पिछले दो चुनावों से कांग्रेस हार रही---
 सूरतगढ़, संगरिया, लूणकरणसर, श्रीडूंगरगढ़, चूरू, सूरजगढ़, चौमूं, तिजारा, किशनगढ़ बास, मुंडावर, किशनगढ़, पुष्कर, नसीराबाद, मकराना, सुमेरपुर, फलोदी, आहोर, रानीवाड़ा, मावली, चित्तौड़गढ़, बड़ी सादड़ी, कुंभलगढ़, मांडलगढ़, छबड़ा, मनोहर थाना, पिंडवाड़ा, गोगुंदा, झाडोल, उदयपुर ग्रामीण, चौरासी, सागवाड़ा, गढ़ी, आसपुर, रायसिंहनगर, पीलीबंगा, दूदू, जालौर, कपासन, शाहपुरा, के पाटन और डग विधानसभा सीट. 

 

कई सीटें तो ऐसी जहां कांग्रेस पिछले 5 से ज्यादा चुनावों से हार रही:
हमने आपको जिन सीटों के नाम बताएं उनमें से कई सीटें तो ऐसी है जहां कांग्रेस पिछले 5 से ज्यादा चुनावों से हार रही है. आज यह सीटें बीजेपी के गढ़ बनी हुई है इनमें शहरी और कस्बाई सीटें अधिक है. RLP और बीटीपी ने कांग्रेस से सीटें हथियाई है. दूदू में कांग्रेस विचाराधार के निर्दलीय विधायक है. तिजारा, किशनगढ़ बास से बीएसपी से जीते विधायक अब कांग्रेस में हैं.

कांग्रेस आलाकमान हर सीट पर गंभीरता से चिंतन मनन कर रहा:
परिसीमन के बाद भी कांग्रेस चुनाव नही जीत पाई. अब अशोक गहलोत ने ऐसी कुछ सीटों को जिले बनाकर सियासी संदेश देने की कोशिश की है. संगठन की नियुक्तियां राजनीतिक नियुक्तियां, लंबित मसले, 85 नए सचिवों का मामला, जिला अध्यक्षों का मामला. यह सब बातें अपनी जगह है लेकिन दिल्ली में जो कांग्रेस की बैठक मंगलवार को हुई उसमें सर्वे रिपोर्ट पर प्रमुखता से चर्चा हुई है. सह प्रभारियों ने अपना फीडबैक दिया है जिसे सर्वे रिपोर्ट से मिलान किया जा रहा. कांग्रेस आलाकमान राजस्थान की हर सीट पर गंभीरता से चिंतन मनन कर रहा है लेकिन जहां जिताऊ चेहरे नहीं मिल रहे वहां योग्य चेहरों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रणनीति के अनुसार समय से पहले टिकट वितरण का काम पूर्ण करके उन चेहरों को चुनावी समर में उतार दिया जाएगा. भले उनके नाम की घोषणा बाद में की जाए. करीब 70 सीटें वही हो सकती है.