जयपुर : राजस्थान में अवैध खनन के खिलाफ मुख्यमंत्री और खान मंत्री भजनलाल शर्मा के स्पष्ट निर्देशों के तहत बीते 107 दिनों से चल रहा महाअभियान अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. प्रमुख सचिव टी. रविकांत और खान निदेशक दीपक तंवर के नेतृत्व में यह राज्य स्तरीय अभियान प्रदेश के खनन क्षेत्रों में बड़ी सख्ती के साथ संचालित हो रहा है. खान विभाग की संयुक्त टीमों ने इस दौरान रिकॉर्ड स्तर पर कार्रवाई की है.
अभियान के तहत पूरे प्रदेश में कुल 3598 प्रकरण दर्ज किए गए, जिनमें अवैध खनन के 290, अवैध निर्गमन के 3075 और अवैध भंडारण के 233 मामले शामिल हैं. विभाग ने 77.24 लाख टन खनिज जप्त करते हुए कुल 553.26 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, जिसमें से 23.30 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है. वहीं, अब तक 427 एफआईआर दर्ज करते हुए 212 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इस अभियान में कुल 3232 वाहन और 177 मशीनें जब्त की गईं.
-जयपुर सर्किल में एनएस शक्तावत के नेतृत्व में अभियान के दौरान 686 प्रकरण दर्ज हुए, जिसमें सबसे अधिक 577 मामले अवैध परिवहन से जुड़े थे. कुल 1.96 लाख टन खनिज जब्त किए गए और 10.58 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया.
-अजमेर सर्किल में जेके गुरुबक्षाणी के नेतृत्व में 341 प्रकरण दर्ज हुए, जिनमें से नागौर कार्यालय ने 161.31 करोड़ रुपये के पंचनामे बनाकर सबसे बड़ी कार्रवाई की.
-जोधपुर सर्किल में डीपी गौड़ की टीम ने 507 प्रकरणों में 1.60 लाख टन खनिज जब्त किए. यहां सोजत सिटी कार्यालय की 61.51 करोड़ की कार्रवाई उल्लेखनीय रही.
-कोटा सर्किल में अविनाश कुलदीप के नेतृत्व में 324 प्रकरणों में 76.67 करोड़ का जुर्माना लगाया गया, जिसमें बूंदी द्वितीय कार्यालय की कार्रवाई 73.23 करोड़ रुपये की रही.
-भरतपुर सर्किल में सुनील शर्मा के नेतृत्व में 559 प्रकरणों में 231.95 करोड़ का जुर्माना लगाया गया, जो पूरे अभियान में अब तक का सर्वाधिक है.
प्रदेश के कमजोर प्रदर्शन वाले क्षेत्र भी इस अभियान में उजागर हुए हैं. सीकर, मकराना, बालेसर, बूंदी प्रथम, सलूम्बर, निंबाहेड़ा और SME भीलवाड़ा में अपेक्षित कार्रवाई नहीं हो पाई, जबकि इन क्षेत्रों में अवैध खनन की दर्जनों शिकायतें पहले से लंबित थीं. उदाहरण के लिए, सीकर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में मात्र 24 प्रकरण ही दर्ज किए गए. SME स्तर पर जयपुर, अजमेर, जोधपुर, कोटा और भरतपुर क्षेत्रों की कार्रवाई सबसे प्रभावशाली रही. वहीं, खनिज अभियंता कार्यालयों की बात करें तो नागौर, सोजत सिटी, बूंदी द्वितीय और ब्यावर कार्यालयों की कार्रवाइयों ने प्रदेशभर में अपनी अलग छाप छोड़ी.
अभियान की मॉनिटरिंग अतिरिक्त निदेशक पीआर आमेटा और एमपी मीणा द्वारा की जा रही है. जिलों में सहायक खनिज अभियंता और अधीक्षक अभियंता लगातार संयुक्त प्रवर्तन टीमों के साथ क्षेत्र में सक्रिय हैं.सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी स्थिति में अवैध खनन को बख्शा नहीं जाएगा. मुख्यमंत्री ने संकेत दिए हैं कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक अवैध खनन पर पूरी तरह लगाम नहीं लग जाती.
यह सख्ती न केवल खनिज संपदा की सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, बल्कि राजस्व बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी एक निर्णायक पहल मानी जा रही है. यह महाअभियान राज्य में पारदर्शी शासन और कानून व्यवस्था के सुदृढ़ इरादों का परिचायक बन चुका है, जिससे न केवल खनन माफियाओं में खलबली मची है, बल्कि अधिकारियों की जवाबदेही भी तय हो रही है.