जयपुर: नई भाजपा सरकार के लिए लोकसभा चुनाव के मिशन के साथ खराब होती माली हालत से उबरना भी बड़ी चुनौती होगी. पिछली कांग्रेस सरकार की योजनाओं का राजकोष पर करीब पचास हजार करोड़ का भार है, तो वहीं राज्य में प्रति व्यक्ति 70848 रुपए कर्ज का बोझ है. ऐसे में आम जनता के हितों के लिए काम करने के साथ वित्तीय नियंत्रण रखना प्राथमिकता होगी. बीजेपी की सत्ता में वापसी का जश्न और उत्साह समाप्त होने के बाद सत्ता संभालने पर नई सरकार को कठिन चुनौतियों से निपटना होगा.
नई सरकार को कठिन चुनौतियों से होगा निपटना:
-नई भाजपा सरकार के लिए माली हालत से उबारना होगी बड़ी चुनौती
-जहां पिछली सरकार में एक के बाद एक योजना से बढ़ा था राजकोष पर खासा भार
-सौ यूनिट घरेलू बिजली की योजना में 8000 करोड़
-हर माह 2000 यूनिट फ्री बिजली योजना पर 19000 करोड़,
-न्यूनतम 1000 रुपए पेंशन योजना पर 12000 करोड़
-फूड पैकेट योजना में 3000 करोड़,चिरंजीवी योजना में 2100 करोड़ का हुआ प्रावधान
-वहीं राज्य में प्रति व्यक्ति 70848 रुपए कर्ज का है भार
-ऐसे में नई योजनाओं से पूर्व है सोचना ज़रूरी
-नई सरकार को फुर्सत से सरकारी खजाने पर बोझ कम करने संबंधी सोचना जरूरी
-सालाना करीब 45000 करोड़ की है RBI से राशि लेने की सीमा या बोरोइंग लिमिट
-और अक्टूबर तक करीब 25000 करोड़ से ज्यादा ले चुकी थी राज्य सरकार
-अभी सरकारी कर्मियों के वेतन,पेंशन और अन्य का करीब 21000 करोड़ का है खर्चा
-जिसमें से RBI से ली जाती है हर माह 7000 करोड़ की बोरोइंग
-और करीब 14000 करोड़ की आय से होता है कुल खर्चा वहन
-कुल सालाना बोरोइंग लिमिट में से अक्टूबर से दिसंबर तक के लिए बच रहे थे 20000 करोड़
-ऐसे में नई सरकार को इत्मीनान से विचार करके लेना होगा निर्णय
-माली हालत सुधारने के कदम उठाने के बारे में लेना होगा निर्णय
-हालत यह है कि रिटायर्ड होने वाले कर्मियों को नहीं मिल रही ग्रेच्यूटी राशि
-साथ ही उपार्जित अवकाश के बदले राशि नहीं मिल रही
-कई विभागों/ संस्थाओं आदि में वेतन राशि मिलने में भी देरी की आती रही है शिकायत
पिछली भाजपा सरकार में वित्तीय अनुशासन के नाम पर सरकारी कर्मियों के स्टेशनरी भत्ते में कटौती सहित अन्य कैंची चलाई गई थी. नई सरकार में इन तमाम पहलुओं को लेकर विचार करके निर्णय करना होगा.