जयपुर: राजस्थान अब तेजी से 'बाघस्थान' के तौर पर अपनी पहचान बना रहा है. रणथंभौर, सरिस्का, धौलपुर और रामगढ़ विषधारी में बाघों की संख्या ऑल टाइम बेस्ट के मार्क को छू रही है. प्रदेश में पहली बार बाघों की संख्या 134 के आंकडे पर पहुंच गई है. प्रदेश में 5 टाइगर रिजर्व हो चुके हैं छठे की तैयारी है. सरिस्का में पिछले तीन महीने में 10 बाघ शावकों का जन्म हुआ है. जल्द ही रणथंभौर और विषधारी से भी खुशखबरी मिल सकती है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और वन मंत्री संजय शर्मा ने भी सरिस्का में शावकों के जन्म पर खुशी जाहिर की है.
टाइगर रिजर्व बाघ बाघिन शावक कुल
रणथंभौर 28 30 15 73
सरिस्का 11 14 15 40
धौलपुर 02 03 05 10
विषधारी 01 02 03 06
मुकंदरा 01 01 - 02
अभेडा टी 114 के 2 शावक
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क टी 79 का एक शावक
प्रदेश में कुल 43 50 41 134
बाघ विहीन हो चुके सरिस्का में अब 40 बाघों की दहाड़ सुनाई दे रही है. वर्ष 2008 में सरिस्का में बाघ पुनर्वास कार्यक्रम शुरू किया था जो आज 40 बाघों की संख्या तक पहुंच गया है. पिछले तीन महीने में तीन बाघिनों ने 10 शावकों को जन्म दिया है. पहले एसटी 12 ने चार शावकों को जन्म दिया फिर एसटी 27 ने दो शावक डिलीवर किए और आज बाघिन एसटी 22 भी चार शावकों के साथ दिखी. फर्स्ट इंडिया न्यूज़ ने सबसे पहले शावकों को लेकर खबर प्रसारित की थी. सरिस्का का बाघों से आबाद होना साबित करता है कि कोर क्षेत्र से गांवों का विस्थापन कितना अहम है. बाघिनों ने शावकों को जन्म देने के लिए उन्हीं स्थानों को चुना है जहां कभी ग्रामीण रहते थे और अब वहां जोरदार ग्रासलैंड है. इसका मतलब है कि बाघ अब स्ट्रेस में नहीं है और मानवीय दखल कम होने से नैसर्गिक वातावरण में वंश वृद्धि कर रहे हैं. इस मामले में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय का कहना है कि बाघ संरक्षण में बेहतर काम का ही प्रतिफल है. जल्द ही गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया को और सरल व सर्वमान्य बना रहे हैं.
दरअसल प्रदेश में बढ़ती बाघों की संख्या को लेकर वन विभाग उत्साहित तो है लेकिन इन बाघों को संरक्षित रखने और बेहतर प्रे बेस के लिए संजीदगी से काम भी किए जा रहे हैं. जल्द ही प्रदेश के सभी पांचों टाइगर रिजर्व में हर्बीवोरस यानी शाकाहारी वन्यजीवों के एनक्लोजर बनाए जाएंगे जहां चीतल और दूसरे हर्बीवोरस को रिलीज किया जाएगा. यही नहीं मुकंदरा को भी दोबारा आबाद करने के लिए यहां डीजीज को लेकर साइंटिफिक स्टडी करवाई जाएगी. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय कहते हैं कि बढ़ती बाघों की संख्या के लिए हम तैयार हैं. अभी पर्याप्त क्षेत्र है और जरूरत पड़ी तो कुंभलगढ़ के टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद वहां भी ट्रांसलोकेशन किया जाएगा.
प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वन विभाग ने धौलपुर से कुंभलगढ़ तक वृहद टाइगर कॉरिडोर को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. इस वर्ष कुंभलगढ़ को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल सकता है. इसी तरह सरिस्का में जल्द ही दूसरे वन मंडलों का 607 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जोड़े जाने की प्रक्रिया चल रही है.
राजस्थान अब बाघों के लिए सेफस्थान बनता जा रहा है. यहां बाघों की संख्या 134 पहुंच गई है. इससे न केवल टाइगर टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा वरन वन और वन्य जीव संरक्षण की दिशा में किए जा रहे वन विभाग के प्रयासों को भी देशभर में आदर मिलने लगेगा.