जयपुर: दस लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हो चुके जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर आरके मीना एक बार फिर मुश्किल में पड़ते नजर आ रहे है. भ्रष्टाचार के आरोपी रहे आरके मीना के पास जल जीवन मिशन की अहम जिम्मेदारी है, लेकिन अब काम में घोर लापरवाही के चलते उनको एक के बाद एक कुल चार नोटिस थमाए गए हैं. इस बीच बड़ा सवाल यह भी है कि ट्रेप हो चुके एक अफसर को इतना पॉवरफुल क्यों बना रखा है? जलदाय विभाग में 2016 के चर्चित एसपीएमएल घूसकांड में 10 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए तत्कालीन स्पेशल प्रोजेक्ट विंग के चीफ इंजीनियर आरके मीना को गिरफ्तार किया गया था. कई महीनों तक जेल में रहने वाले आरके मीना को अब 60 हजार करोड़ के जल जीवन मिशन की जिम्मेदारी सौंप रखी है, लेकिन उनकी कारगुजारियां व लापरवाही अभी भी बदस्तूर जारी है. इन घोर लापरवाही के चलते आर के मीना को जलदाय विभाग के एसीएस सुबोध अग्रवाल के निर्देश पर चार नोटिस थमाए गए हैं.
आरके मीना के साथ ही एडिशन चीफ इंजीनियर अरुण श्रीवास्तव को भी दो कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं. आरके मीना पर आरोप है कि उन्होंने आठ मार्च 2023 की वित्त समिति की 841वीं बैठक में वैध तारीख समाप्त हो चुके प्राइस बिड के प्रकरण को देरी से प्रस्तुत किया. आरके मीना ने कई एजेंडे बैठक में रखे, लेकिन हकीकत तो यह थी कि उनकी वैधता तारीख ही समाप्त हो चुकी थी. उन्होंने ज्यादातर प्रकरण नियमों के अंतर्गत तय समय सीमा के मापदंडो की अवधि को पार हो जाने के बाद प्रस्तुत किए थे. आरके मीना को दिए गए नोटिस में साफ लिखा है कि बड़ी संख्या में देरी से प्राप्त वैधता समाप्त प्रकरण वित्त समिति के समक्ष प्रस्तुत करना घोर लापरवाही को द्योतक है. इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि इतने उच्च सतर पर आरके मीना द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले प्रकरण बिना देखे व बिना मूल्यांकन के प्रस्तुत किए गए है. नोटिस में यह भी लिखा है कि इस तरह का कृत्य जल जीवन मिशन के चीफ इंजीनियर जैसे महत्वपूर्ण पद पर उनकी असक्षमता दर्शाता है. कुछ इसी तरह की लापरवाही एडिशनल चीफ इंजीनियर अरुण श्रीवास्तव ने भी बरती है. अरुण श्रीवास्तव को भी घोर लापरवाही के आरोप में दो नोटिस थमाए गए हैं. दोनों ही अफसरों की कार्यशैली पहले भी विवादों में रही है.
जलदाय विभाग में यह क्या चल रहा खेल ?:
-आखिर क्या मंशा थी चीफ इंजीनियर आरके मीना की
-8 मार्च को हुई वित्त समिति की 841वीं बैठक का सच
-20 से अधिक एजेंडे लेकर आए इस बैठक में आरके मीना
-लेकिन अधिकतर एजेंडा की वैधता तिथि समाप्त हो चुकी थी
-तय समय सीमा के मापदंडो की अवधि पार हो चुकी थी
-अब जलदाय विभाग ने घोर लापरवाही मानी आरके मीना की
-आरके मीना को कारण बताओ नोटिस थमाया विभाग ने
-कहा - पहले भी लापरवाही की गई थी चीफ इंजीनियर द्वारा
-मौखिक चेतावनी के बावजूद कार्यशैली नहीं सुधारी मीना ने
-जबकि जल जीवन मिशन की जिम्मेदारी है मीना के पास
-अब जल्द ही गाज गिर सकती है आरके मीना पर
-चीफ इंजीनियर आरके मीना की असक्षमता !
-जलदाय विभाग में जिम्मेदारों की लापरवाही
-14 मार्च को हुई वित्त समिति की 842वीं बैठक का मामला
-हिंडोन में 4.74 करोड़ की पाइप लाइन स्कीम का मामला
-सक्षमता नहीं होने के बावजूद वित्तीय प्रस्ताव खोलकर नेगोशियेशन की
-वित्तीय प्रस्ताव को दूषित करने का आरोप लगा है आरके मीना पर
-आरके मीना को विभाग ने थमाया कारण बताओ नोटिस
-लिखा - यह कृत्य महत्वपूर्ण पद पर आपकी असक्षमता दर्शाता है
-जल जीवन मिशन का जिम्मा है आरके मीना के पास
-एडिशनल चीफ इंजीनियर अरुण श्रीवास्तव को नोटिस
-घोर लापरवाही बरतने पर दिए गए 2 नोटिस
-खंडेला व अजीतगढ़ में करीब 44 करोड़ से जुड़ा मामला
-प्राइस बिड प्रकरण को देरी से प्रस्तुत किया श्रीवास्तव ने
-नोटिस में श्रीवास्तव की असक्षमता के बारे में भी लिखा गया
-अरुण श्रीवास्तव पर हो सकती है अनुशासनात्मक कार्रवाई
इन नोटिस के बाद एक बार फिर आरके मीना व अरुण श्रीवास्तव पर तो सवाल उठ ही चुके है कि आखिर किस मंशा से इन दोनों ने लापरवाही की या फिर जानबूझकर ऐसा किया. वहीं सवाल जलदाय विभाग के कर्ताधर्ताओं पर उठता है कि उन्होंने ट्रेप हो चुके अफसर को प्रदेश के इस चर्चित मिशन - जल जीवन मिशन की जिम्मेदारी क्यों दी. दरअसल जल जीवन मिशन में भी राजस्थान पिछड़ा हुआ है. देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश की सूची में राजस्थान 31वें नंबर पर है. केवल झारखंड, प. बंगाल व लक्षद्वीप ही राजस्थान से पीछे है. राजस्थान में 9 जिले ऐसे हैं जहां पर 25 फीसदी भी काम नहीं हुआ. प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा व जैसलमेर सबसे पिछड़े जिले है. महज 7 जिलों ने 50 फीसदी का आंकड़ा छुआ अब तक.
जलदाय मंत्री महेश जोशी का गृह जिला जयपुर भी आठवें नंबर पर है. इतना ही नहीं प्रदेश में अब तक जहां पर काम हुए है, उनकी क्वालिटी को लेकर भी लगातार सवाल खड़े हुए है.अलवर रीजन में तो जांच में ही साफ हो गया कि किस तरह से जल जीवन मिशन के कार्यों में भ्रष्टाचार हुआ है. दूदू में तो वर्क ऑर्डर दिए बिना ही ठेकेदार ने पानी की टंकिया खड़ी कर दी. अब भ्रष्टाचार की इन टंकियों को गिराया गया है. ऐसे में अब इस बात को इंतजार है कि क्या लापरवाही व भष्टाचार के आरोपी आके मीना पर विभाग मेहरबान रहेगा या फिर किसी ईमानदार अफसर को जिम्मेदारी देकर विभाग अपनी छवि सुधारने का प्रयास करेगा.