Rajasthan News: इंदिरा रसोई योजना के फर्जीवाड़े के मामलों की सूचना जुटाने में स्वायत्त शासन विभाग को पड़ रहा जूझना; जानिए किस तरह होती है गड़बड़ी

जयपुर: शहरी गरीबों का पेट भरने वाली इंदिरा रसोई योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले रसोई संचालकों के संबंध में जानकारी जुटाने के लिए स्वायत्त शासन विभाग को जूझना पड़ रहा है. सभी निकायों को तीन दिन में इस बारे में विभाग को सूचना देनी थी, लेकिन 13 दिन बीतने के बावजूद किसी निकाय ने सूचना विभाग को नहीं भेजी है. 

प्रदेश के शहरों में मात्र आठ रुपए में गरीब व जरूरतमंद लोगों के लिए सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए इंदिरा रसाई योजना क्रियान्वित हैं. शहरों में विभिन्न स्थानों पर 980 रसोईयों में सम्मान पूर्वक भोजन कराया जाता है. रसोई संचालक को प्रति थाली कुल 25 रुपए का भुगतान मिलता है. इसमें से आठ रुपए लाभार्थी से और सत्रह रुपए राज्य सरकार की ओर से अनुदान के तौर पर दिए जाते हैं. 

योजना में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं हो. इसके लिए योजना का अलग से एक वेबपोर्टल संचालित है. प्रदेश भर में किस रसोई में किस लाभार्थी ने क्या खाना खाया, क्या साफ-सुथरे माहौल में खाना परोसा गया, क्या भोजन मानकों के अनुरूप था, इन सबकी इस वेबपॉर्टल के माध्यम से ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जाती है. इसी मॉनिटरिंग के चलते ही रसोई संचालकों की ओर से फर्जीवाड़ा करने के मामले पकड़ में आए हैं.

इसी मामले में विधायक राजेन्द्र राठौड़ की ओर से विधानसभा प्रश्न के माध्यम से जानकारी मांगी गई है. यहीं जानकारी जुटाने के लिए स्वायत्त शासन विभाग ने इसी 18 जनवरी को सभी निकायों को निर्देश दिए थे. आपको सबसे पहले बताते हैं कि स्वायत्त शासन विभाग इन निकायों से क्या जानकारी मांग रहा है.

विभाग ने निकायों से ये मांगी है सूचना:- 
- रसोई संचालकों की ओर से फर्जीवाड़े के कौन-कौनसे मामले हैं?
-इन मामलों में रसोई संचालकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
-जिलों में जिला स्तरी समन्वय व निगरानी समिति का गठन कब किया गया?
-निगरानी समिति के गठन से इस जनवरी तक सरकारी अनुदान की राशि में गबन
- भ्रष्टाचार के कितने प्रकरण दर्ज किए गए हैं?

इंदिरा रसोई योजना में गड़बड़ी के करीब सौ मामले स्वायत्त शासन विभाग की जानकारी में आए हैं. लेकिन विधानसभा प्रश्न का जवाब तैयार करने के लिए पूरे प्रदेश के सभी निकायों से इन मामलों की जानकारी मांगी गई है.  आपको बताते हैं कि इस योजना में किस तरह गरीब के लिए दी गई राशि फर्जीवाड़ा कर हथियाने की कारगुजारी की जाती है. 

किस तरह होती है गड़बड़ी:- 
- योजना के नियमों के अनुसार रसोई में आने वाले न्यूनतम 10% लाभार्थियों के मोबाइल पोर्टल पर दर्ज करना जरूरी है. 
- लेकिन कुछ रसोई संचालकों ने 10% लाभार्थियों के भी मोबाइल नंबर दर्ज नहीं किए. 
- एक ही व्यक्ति के एक ही समय में दो या तीन कूपन जारी करने के मामले सामने आए हैं. 
- हांलाकि एक ही व्यक्ति दुबारा थाली मांगता है तो उसे नियमों के तहत दी जा सकती है. 
- लेकिन कोई व्यक्ति जब पहली थाली का भोजन खा लेगा तब ही वह दूसरी मांगेगा. 
- ऐसे में दूसरा कूपन जारी होने में कम से कम 10 से 15 मिनट का समय लगेगा. 
- ये मामले एक ही समय में कूपन जारी होने के कारण पकड़ में आए. 
- नियमों के अनुसार जो भी लाभार्थी आएगा,उसकी फोटो खींचने के बाद ही कूपन जारी होगा.
- लेकिन फर्जी फोटो खींचकर कूपन जारी करने के मामले भी सामने आए हैं. 
- भरतपुर की एक रसोई में सीएम अशोक गहलोत की फोटो से फोटों खीचकर 11 कूपन जारी कर दिए गए.  
- इसी तरह एक ही लाभार्थी की दुबारा धुंधली सी फोटो अपलोड कर फर्जी कूपन जारी करने के मामले सामने आए हैं.