जयपुर: जिस परिवहन और सड़क सुरक्षा विभाग के पास सड़कों से वाहनों का दबाव हटाकर सड़क हादसों को कम करने की जिम्मेदारी है. उसी विभाग की गलती के कारण सड़कों पर वाहनों का दबाव बढ़ रहा है. प्रदेश में सीमित आरटीओ कार्यालय होने के कारण लोगों को करीब 300 किलोमीटर दूर जाकर आरटीओ से अपना काम कराना पड़ रहा है.
परिवहन विभाग एवं सड़क सुरक्षा विभाग की जिम्मेदारी है कि वह सड़कों पर से वाहनों का दबाव कम करें जिससे प्रदेश में होने वाले बेतहाशा सड़क हादसों में कमी आ सके, लेकिन विभाग की गलती के कारण सड़कों से वाहनों का दबाव कम होने के कारण बढ़ रहा है. प्रदेश में समय 33 जिलों के लिए महज 13 आरटीओ कार्यालय काम कर रहे हैं यह संख्या बहुत ही कम है क्योंकि एक ओर जहां जिला परिवहन कार्यालयों की संख्या प्रदेश में 50 के पार चली गई है तो वही आरटीओ कार्यालयों की संख्या अभी भी महज 13 है. परिवहन विभाग में 1 दर्जन से अधिक काम ऐसे हैं जिन्हें करने का अधिकार सिर्फ आरटीओ के पास ही है.
ऐसे में लोगों को लंबी दूरी तय करके आरटीओ कार्यालय जाना पड़ता है खासकर जैसलमेर से जोधपुर श्री गंगानगर से बीकानेर समेत कई जगह ऐसी है जहां कई सौ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद लोग अपना काम करवाने के लिए आरटीओ कार्यालय में पहुंच रहे हैं. सड़क हादसों को कम करने के लिए यूं तो प्रदेश में तमिलनाडु मॉडल को फॉलो किया जा रहा है लेकिन आरटीओ कार्यालयों की संख्या बढ़ाने के लिए तमिलनाडु मॉडल पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. तमिलनाडु में 37 जिले हैं लेकिन यहां आरटीओ कार्यालयों की संख्या 87 है. तमिलनाडु के लोगों को इस प्रयोग का फायदा एवं मिल रहा है उनको वाहनों से जुड़े काम करवाने के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ रही है.
सरकार पर इससे कोई विशेष वित्तीय भार नहीं पड़ेगा:
राजस्थान में भी अगर तमिलनाडु की तर्ज पर आरटीओ कार्यालयों की संख्या बढ़ाई जाए तो सरकार पर इससे कोई विशेष वित्तीय भार नहीं पड़ेगा क्योंकि अधिकतर जिलों में इस समय जिला परिवहन कार्यालय पहले से ही संचालित है जन्हें सिर्फ क्रमोन्नत करने की जरूरत है. अगर अधिकतर जिला परिवहन कार्यालय में को प्रादेशिक परिवहन कार्यालय में क्रमोन्नत कर दिया जाए तो हजारों लोगों को बड़ी सहूलियत मिल सकती है. मौजूदा समय में एक प्रादेशिक परिवहन कार्यालय के अधीन दो से चार जिला परिवहन कार्यालय आते हैं. जिला परिवहन कार्यालय से जुड़े लोगों को अधिकतर काम करवाने के लिए आरटीओ कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं.
अब आपको बताते हैं कौन से हैं वह प्रमुख काम जिन्हें करवाने के लिए आरटीओ कार्यालय जाना है जरूरी...
- भारी वाहनों के नेशनल परमिट
- बसों के स्टेज कैरिज परमिट
- रूट समय की सुनवाई
- आल इण्डिया टूरिस्ट परमिट
- अन्तर्राष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस
- मोटर ड्राइविंग स्कूल, फ़िटनेस सेंटर, ट्रैवेल्स एजेन्ट एवं ट्रांसपोर्ट कम्पनी एजेंट लाइसेंस
- बस स्टेशन
- 15 वर्ष पुरानी निरस्त निजी वाहनों की अपील जैसे कार्य केवल आरटीओ ही कर सकते हैं