Rajasthan News: क्या शहरी दवा दुकानों पर चल रहा सबकुछ ठीक? ड्रग आयुक्तालय का रिस्क बेस्ड रेंडमाइज्ड सैंपलिंग सिस्टम, छवि सुधारने के लिए शुरू की गई कवायद में कई तरह की खामियां

जयपुर: क्या शहरी दवा दुकानों पर चल रहा सबकुछ ठीक ?....जी हां आजकल प्रदेश के दवा कारोबारियों में ये सवाल सबसे ज्यादा चर्चाओं में है. इसके पीछे का कारण है ड्रग आयुक्तालय की छवि सुधारने के लिए शुरू की गई रिस्क बेस्ड रेण्डमाइज्ड सैम्पलिंग सिस्टम की खामी, जिसके चलते शहरी क्षेत्र की दवा दुकानें जांच के दायरे से ही बाहर हो गई है...आखिर क्या है पूरी प्रक्रिया और इसकी खामी से क्या क्या हो रही है दिक्कतें....पेश है फर्स्ट इंडिया की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट...

दवा दुकानों पर इंस्पेक्टर राज के चलते क्या क्या होता है, ये किसी से छिपा नहीं है. कई मामलों में छवि खराब होने के बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण आयुक्तालय ने फील्ड में भ्रष्टाचार पर लगाम कसने और पारदर्शी तरीके से काम के लिए रिस्क बेस्ड रेण्डमाइज्ड सैम्पलिंग सिस्टम डवलप किया. लेकिन तकनीकी खामी ने शहरी क्षेत्र की दवा दुकानों को जांच के दायरे से ही बाहर कर दिया है. खुद अधिकारी स्वीकार कर रहे है कि हर माह फील्ड ऑफिसर्स को जो दुकानों आवंटित हो रही है, उनमें 80 फीसदी से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों की है. जबकि कई प्रकरण ऐसे भी सामने आए है, जिसमें एक ही दुकान का एक-दो माह में फिर से निरीक्षण आवंटित कर दिया गया.

क्या है रिस्क बेस्ड रेण्डमाइज्ड सैम्पलिंग सिस्टम:- 
- दरअसल, पहले हर डीसीओ को हर माह 20 दुकानों की जांच का टॉस्ट मिलता था
- इन दुकानों का चुनाव खुद डीसीओ अपने स्तर पर करते थे, जिसकी कोई मॉनिटरिंग नहीं थी
- मॉनिटरिंग के अभाव में फील्ड में डीसीओ की मनमानी आमबात थी
- लेकिन नई व्यवस्था में डीसीओ के सर्वाधिकार ऑनलाइन सिस्टम ने ले लिए है
- रिस्क बेस्ड रेण्डमाइज्ड सैम्पलिंग सिस्टम में हर डीसीओ को ऑनलाइन माध्यम से दुकानें आवंटित होती है
- डीसीओ सिर्फ इन आवंटित दुकानों पर जाकर ही जांच कर सकते है
- लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में सिस्टम की खामी के चलते 80 फीसदी ग्रामीण दुकानें की आवंटित हो रही है
- जबकि शहरी क्षेत्र की दवा दुकानों पर बड़े स्तर पर कामकाज होता है, जहां मॉनिटरिंग काफी जरूरी है
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रेण्डमाइज्ड सैम्पलिंग का एक साल का रिपोर्ट कार्ड:- 
एक साल में किए गए निरीक्षण - 24,122
एक साल में उठाए गए सैम्पल - 6,440

रिस्क बेस्ड रेण्डमाइज्ड सैम्पलिंग सिस्टम की खामी को लेकर खुद दवा दुकानदारों ने मोर्चा खोल दिया है. पिछले दिनों ही कुछ ग्रामीण इलाकों के दवा दुकानदार ड्रग आयुक्त शिव प्रसाद नकाते से मिले और फील्ड में चल रही दिक्कतों से अवगत कराया. खुद ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने भी स्वीकारा की कम्प्यूटराज्ड सिस्टम से दुकानों का जांच के लिए आवंटन होता है. जिसमें एकरूपता का अभाव है. जिसके चलते एक-एक दुकान कुछ समय में ही दूसरी बार जांच के लिए आवंटित हो रही है. 

हालांकि, इस पूरे मामले को आयुक्त शिव प्रसाद नकाते ने काफी गंभीर है.उन्होंने इस तरह के प्रकरण सामने आने के बाद खुद जांच की, साथ ही प्रक्रिया में सुधार के लिए अधिकारियों को DOIT से समन्वय के निर्देश भी दिए है. अब देखना ये होगा कि ये निर्देश फील्ड में व्याप्त दिक्कतों को कितना दूर कर पाते हैं.