जयपुरः राजस्थान पुलिस ने गांवों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और समुदाय पुलिसिंग को प्रभावी बनाने की दिशा में एक अभिनव पहल करते हुए ‘ग्राम रक्षक’ स्वयंसेवकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की है. यह पद पूरी तरह अवैतनिक (निःशुल्क सेवा) होगा, लेकिन इसका उद्देश्य ग्रामीणों को अपने ही गांव की सुरक्षा में सहभागी बनाना है.
कम्यूनिटी पुलिसिंग पुलिस अधीक्षक एवं नोडल अधिकारी पंकज चौधरी ने बताया कि ग्राम रक्षक के रूप में चयनित स्वयंसेवकों को 2 वर्ष की अवधि के लिए पुलिस का सहायक बनकर अपने ही गांव में सेवा देनी होगी. ग्राम रक्षक की भूमिका पूर्णतः स्वयंसेवी और नॉन-सैलरी बेस्ड होगी. उन्हें पुलिस विभाग के नियमित कर्मचारियों की तरह वेतन या भत्ते नहीं मिलेंगे, लेकिन वे अपने गांव में कानून व्यवस्था, सुरक्षा, जागरूकता अभियानों और संकट की घड़ी में पुलिस के साथ मिलकर कार्य करेंगे. यह मॉडल सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देगा और ग्रामीणों के बीच सुरक्षा को लेकर आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करेगा.
शैक्षणिक योग्यता: न्यूनतम 8वीं कक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है.
आयु सीमा: उम्मीदवार की आयु 40 वर्ष से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए.
निवास अनिवार्यता: आवेदक स्थानीय ग्रामवासी होना चाहिए ताकि वह गांव की सामाजिक, भौगोलिक और सुरक्षा से जुड़ी आवश्यकताओं को भली-भांति समझ सके.
ग्राम रक्षक बनने के इच्छुक अभ्यर्थी अपने स्थानीय पुलिस थाने से आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते हैं. भरे हुए आवेदन पत्र को 15 अगस्त 2025 तक उसी पुलिस थाने में जमा करना होगा. आवेदन की प्रक्रिया सरल और निःशुल्क है.विस्तृत जानकारी के लिए इच्छुक अभ्यर्थी राजस्थान पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट www.police.rajasthan.gov.in पर जा सकते हैं. साथ ही वे अपने जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय से भी संपर्क कर विस्तृत दिशा-निर्देश प्राप्त कर सकते हैं.यह योजना न केवल ग्रामीण इलाकों में अपराध नियंत्रण को सशक्त करेगी, बल्कि आम नागरिकों की पुलिस व्यवस्था में भागीदारी सुनिश्चित करेगी. ‘ग्राम रक्षक’ जैसे पहलू सामुदायिक पुलिसिंग को व्यवहारिक रूप देने का सशक्त माध्यम हैं, जो स्थानीय समस्याओं के समाधान में तेजी लाने में मददगार सिद्ध होंगे.