Rajasthan Politics: जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ने के बाद अब सतीश पूनिया को लेकर भी चर्चा शुरू, लगाई जा रही हैं ये अटकलें

जयपुर: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ाए जाने के साथ ही अब एक नई चर्चा राजस्थान को लेकर भी शुरू हो गई है. अब पार्टी हलकों में इस बात का इंतजार है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा कि नहीं ? फिलहाल तो सतीश पूनिया का कार्यकाल आगे बढ़ना तय माना जा रहा है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कार्यकाल यूं तो सितंबर महीने में पूरा हुआ था लेकिन यदि निर्वाचन की तिथि देखी जाए तो दिसंबर में उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है. क्योंकि सतीश पूनिया की घोषणा सितंबर के दूसरे सप्ताह में हुई थी. 14 सितंबर को सतीश पूनिया की घोषणा उस वक्त हुई जब प्रदेश अध्यक्ष का पद मदन लाल सैनी के निधन के कारण खाली चल रहा था. उसके बाद चुनाव प्रक्रिया के बाद सतीश पूनिया का प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर निर्वाचन भी हो गया. पंचायत चुनाव से लेकर निकाय चुनाव, विधानसभा के उपचुनाव में कई तरीके के हार और जीत के उतार-चढ़ाव के सामने आए. लेकिन पिछले कई दिनों से प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कार्यकाल बढ़ाए जाने को लेकर कई तरीके की चर्चाएं थी. 

सूत्रों की मानें तो सतीश पूनिया कैंप से जुड़े करीबी नेताओं का कहना था कि जब जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा. उसी के साथ कुछ दिन बाद तय मानकर चलिए कि सतीश पूनिया का भी कार्यकाल बढ़ जाएगा. आज जैसे ही आधिकारिक रूप से अमित शाह के द्वारा जेपी नड्डा के कार्यकाल बढ़ाने की चर्चाएं शुरू हुई उसी के साथ ही सतीश पूनिया कैंप से जुड़े करीबी लोगों में इस बात को लेकर खास चर्चा हुई कि अब प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल भी लगभग 1 साल बढ़ाया जा सकता है.

पार्टी में एक धड़ा दलील देते आ रहा है कि कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाएगा:
इस बात को ताकत पिछले दिनों भाजपा के 2 राष्ट्रीय महामंत्रियों के बयान से मिली. एक तरफ अरुण सिंह ने सतीश पूनिया के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के संकेत स्पष्ट तौर पर दिए तो दूसरी तरफ तरूण चुघ ने भी पूनिया के कार्यकाल बढ़ाए जाने के संकेत दे दिए. हालांकि पार्टी में एक धड़ा दलील देते आ रहा है कि कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाएगा. प्रदेश अध्यक्ष मूल ओबीसी या फिर किसी ब्राह्मण को बनाया जाएगा. साथ ही दलील भी दी जाती है कि जब नेतृत्व की घोषणा ही नहीं होगी तो प्रदेश अध्यक्ष कोई भी हो कोई फर्क नहीं पड़ेगा. सतीश पूनिया ने भी इन दिनों प्रदेश के कई हिस्सों में अपने मैराथन दौरे भी कर लिए हैं.

आगामी दिनों में आलाकमान सीधे तौर पर कमान को संभालेगा:
पूनिया भी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं की आगामी दिनों में आलाकमान की तरफ से भेजे हुए नेता या फिर कहें सीधे तौर पर आलाकमान राजस्थान की सियासी कमान को संभालेगा और चुनाव मैदान में शह और मात के खेल में अपना पूरा दखल रखेगा. लेकिन सियासी तौर पर राजस्थान में एक बड़ा चेहरा वसुंधरा राजे का है. किसी भी फैसले में वसुंधरा राजे की राय भी बेहद महत्वपूर्ण होगी. तो वही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर समेत प्रदेश के प्रभारी अरुण सिंह भी आलाकमान को अपना कोई सुझाव दे सकते हैं.

पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं की भी भूमिका पार्टी तय करेगी:
ओम प्रकाश माथुर और भूपेंद्र यादव सरीखे बड़े रणनीतिकार भी इस वक्त राजस्थान के लिये अवश्य कोई ना कोई सलाह की भूमिका में है. ऐसे में अब देखना होगा कि सतीश पूनिया का कार्यकाल चुनाव तक बढ़ाया जाता है या नहीं. लेकिन ये मान कर चलिए कि यदि सतीश पूनिया का कार्यकाल बढ़ाया जाता है तो फिर पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं की भी भूमिका पार्टी तय करेगी. जिसमें वसुंधरा राजे भी एक बड़ा नाम है.

जेपी नड्डा के 23 जनवरी से हो रहे जयपुर दौरे को लेकर इंतजार:
बहरहाल, अब इंतजार इस बात का रहेगा कि सतीश पूनिया का कार्यकाल बढ़ाए जाने की आधिकारिक रूप से घोषणा कब होगी फिलहाल जेपी नड्डा के 23 जनवरी से हो रहे जयपुर दौरे को लेकर इंतजार है. देखना होगा कि जेपी नड्डा जयपुर आकर संगठन की नब्ज़ टटोलने के बाद क्या कुछ फैसला प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के मशवरे के बाद करते हैं.