Rajasthan Politics: कांग्रेस की SC-ST पॉलिटिक्स, LDM फॉर्मूले से 59 सीटों को जीतने की रणनीति, जानिए पूरा गणित

जयपुर: कांग्रेस ने राजस्थान में एससी-एसटी सीटों को जीतने के लिए नया फार्मूला ईजाद किया गया है जिसे कहा गया है LDM. इसके तहत SC-ST रिजर्व 59 सीटों पर कांग्रेस लीडरशिप डवलपमेंट मिशन प्रोजेक्ट शुरू करेगी. बीजेपी और क्षेत्रीय दलों के बढ़ते प्रभाव को रोकने के साथ ही यहां दलित-आदिवासी नए चेहरे भी तलाशे जाएंगे. रिजर्व विधानसभा सीटों पर LDM कोऑर्डिनेटर बनाए जायेंगे. राहुल गांधी के करीबी के राजू ने पीसीसी में अहम बैठक लेकर LDM प्रोजेक्ट का आगाज कर दिया. ये भी अहम है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी दलित वर्ग से है. 

राजस्थान की सियासत में 18 प्रतिशत दलित और 12 प्रतिशत आदिवासी वोटों को जोड़े तो यह कुल वोटों का 30 प्रतिशत ठहरता है. राजस्थान में दलित समाज बहुतायत में निवास करता है. राजनीतिक तौर पर भी यह जागरुक समाज है. श्रीगंगानगर एससी रिजर्व लोकसभा क्षेत्र सम्पूर्ण भारत में सर्वाधिक दलित बहुल आबादी वाला क्षेत्र कहलाया जाता है. 1952 से राजस्थान में चुनाव हो रहे हैं. 1952 से ही लगातार कांग्रेस पार्टी का दलित वर्ग में दबदबा है. दलित वर्ग से जुड़ी कुछ जातियां खासतौर पर कोली, रैगर, जाटव, खटीक और वाल्मिकी जातियों का कुछ हद तक झुकाव बीजेपी की ओर रहा. दलितों में सर्वाधिक प्रभुत्व वाली मेघवाल औऱ बैरवा जातियां कांग्रेस के साथ खड़ी नजर आई. 

अब LDM प्रोजेक्ट के तहत दलित वर्ग की उन जातियों को कांग्रेस के करीब लाया जा रहा जो अब तक पूरी तरह नही जुड़ पाई. आदिवासी रिजर्व सीटों की बात करे तो, आदिवासी वर्ग राज्य की 15 प्रतिशत की आबादी के साथ ये समुदाय राज्य की राजनीति में काफी महत्व रखता है. रिजर्व ही नही कई जनरल सीटों पर ये समुदाय निर्णायक भूमिका में है. उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में आदिवासी बहुल सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर कांग्रेस के लगभग बराबर था. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर बढ़कर 52 फीसदी हो गया जबकि कांग्रेस का 38 फीसदी रह गया था. प्रदेश कांग्रेस की एससी सेल की बैठक पीसीसी में हो चुकी इसमें एआईसीसी के फ्रंटल संगठनो के प्रभारी के राजू, कांग्रेस एससी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश लिलोथिया, एलडीएम के राजस्थान संयोजक शंकर यादव, एससी आयोग के चेयरमैन खिलाड़ी लाल बैरवा समेत प्रमुख नेता मौजूद रहे. 

---59 एससी एसटी रिजर्व सीटों का गणित---
- राजस्थान में एससी रिजर्व है 34 सीट
- कांग्रेस के 19 विधायक एससी रिजर्व सीट से MLA
-  2 दलित विधायक ऐसे भी जो जनरल सीट से mla
- एसटी रिजर्व सीट है राजस्थान में 25
- कांग्रेस के 16 विधायक जीते एसटी रिजर्व सीटों पर
- चार एसटी विधायक ऐसे जो जनरल सीट से MLA
- इनमे रामकेश मीणा का कांग्रेस को समर्थन
- बाबू लाल नागर का कांग्रेस को समर्थन

गौरतलब है कि बीजेपी ने समय-समय पर दलित और आदिवासी सीटों पर सियासी खेल खेला. बीजेपी ने पहला बड़ा राजनीतिक कार्ड खेला था जब भैरों सिंह शेखावत ने अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में कैलाश मेघवाल को राज्य का गृह मंत्री बनाया. इसके बाद वसुंधरा राजे ने अपनी पहली सरकार और दूसरी सरकार में भी दलितों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिये. मौजूदा गहलोत सरकार में दलित वर्ग से चार कैबिनेट मंत्री है ये है गोविंद मेघवाल, ममता भूपेश, टीकाराम जूली और भजन लाल जाटव ऐसा पहली बार है.  

उधर एसटी सीटों की बात करे तो राजस्थान में आदिवासी इलाके मौटे तौर पर पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान में विभक्त है. मेवाड़ और वागड़ में कांग्रेस को बीजेपी के साथ साथ बीटीपी की चुनौती से जूझना पड़ रहा है. आरएसएस के कारण बीजेपी ने यहां अपनी जड़े जमाई. पूर्वी राजस्थान में एसटी बहुल सीटों पर कांग्रेस का दबदबा है. आदिवासी कांग्रेस का परंपरागत वोट रहा है, यही कारण है गहलोत मंत्रिपरिषद में परसादी लाल मीणा, रमेश मीणा और महेंद्रजीत मालवीय कैबिनेट मंत्री है. दूसरी ओर अर्जुन बामनिया और मुरारी लाल मीणा राज्य मंत्री के ओहदे पर है. सीएम गहलोत ने भी अपने मंत्रिपरिषद में sc और st को साधने का काम किया था, आलाकमान की मंशा के अनुरूप 4 दलित कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे.

---राजस्थान में कांग्रेस के LDM प्रोजेक्ट के समक्ष चुनौतियां---

पहली चुनौती BJP:- 
- बीजेपी ने SC- ST पर पूरा फोकस रखा
- बीजेपी के प्रभावी दलित नेता 
- राजस्थान से सांसद अर्जुन मेघवाल केंद्र में मंत्री
- जोगेश्वर गर्ग विधानसभा में विधायक दल के सचेतक
- अनिता भदेल को हाल ही बेस्ट एमएलए का अवार्ड मिला
- बीजेपी का खटीक, कोली, रैगर, वाल्मीकि, मोची, जीनगर समेत कुछ प्रमुख एससी की जातियों पर प्रभाव
- एसटी वर्ग में पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस के सामने चुनौती डॉ किरोड़ी लाल मीणा
- मीणा ने बीते चार सालों में प्रभावी आंदोलनजीवीं की भूमिका निभाई
- मेवाड़ वागड़ में कनक मल कटारा, अमृत लाल मीणा, बाबू लाल खराड़ी बड़े नेता
- गुजरात का फायदा भी आदिवासी अंचल में बीजेपी को मिलता है
- हाल ही में मानगढ़ आकर पीएम मोदी ने इस क्षेत्र के प्रति अपनी आस्था व्यक्त कर दी थी

दूसरी चुनौती है बहुजन समाज पार्टी:-  
- दलित वर्ग के बीच पुरानी पैठ
- मायावती का पूर्वी राजस्थान,शेखावाटी सीटों पर प्रभाव
- पिछले विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने छह सीटों को जीता था
- जनरल सीटों पर कांग्रेस के एससी वोट बैंक में सेंध लगाने में माहिर हाथी

तीसरी चुनौती भारतीय ट्राइबल पार्टी:- 
- आदिवासी अंचल में BTP कांग्रेस के लिए मुसीबत
- दो विधायक जीताकर BTP ने ताकत दिखा दी थी
- घोर आदिवासी वोटों में डिविजन कांग्रेस के चिंताजनक
- अब एक नई पार्टी का उदय भी यहां हो चुका है