Rajasthan Politics: मंत्रिपरिषद फेरबदल की अटकलें तेज, उप मुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते; विधानसभा सत्र 14 जुलाई से संभावित

जयपुर: विधानसभा का भावी सत्र 15 जुलाई से संभावित है. सत्र अहम है लेकिन सवाल ये भी है कि कब उन जिलों को मंत्री मिलेगा जो इस अहम पद से महरूम है. राज्य में अभी भी करीब एक दर्जन जिले ऐसे है जहां से 4 साल बीतने के बाद भी गहलोत मंत्रिपरिषद में एक भी मंत्री नहीं है. हालांकि कुछ विधायकों को सीएम सलाहकार, बोर्ड और आयोग चेयरमैन बनाकर जिलों को साधने का प्रयास जरूर हुआ, लेकिन इंतजार मंत्रिपरिषद के संभावित फेरबदल और विस्तार का. 

राजस्थान में विधानसभा सीटों के अनुपात के लिहाज से सरकार में 30 मंत्री ही बनाए जा सकते हैं. गहलोत सरकार में अभी भी 1 दर्जन जिले ऐसे है जहां कोई भी विधायक मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं है. सीएम सलाहकार, बोर्ड और आयोग अध्यक्ष, उपाध्यक्ष बनाकर संतुलन साधने का प्रयास जरूर हुआ हैं. अब कहा जा रहा है कि भावी विधानसभा सत्र से पहले या बाद में मंत्रिपरिषद फेरबदल और विस्तार हो सकता है. मंत्रिपरिषद फेरबदल विस्तार के जरिए जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने का प्रयास किया जायेगा.

---वो जिले जो मंत्रिपरिषद में आने से महरूम--- 
- आदिवासी अंचल के तीन जिलों उदयपुर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर से कोई मंत्रिपरिषद में नहीं. 
 - सिरोही, धौलपुर, टोंक, सवाई माधोपुर हनुमानगढ़ गंगानगर ,चूरू, अजमेर, सीकर से कोई नहीं. 
- टोंक कोटे से पहले सचिन पायलट डिप्टी सीएम थे. 
- सीकर कोटे से पहले गोविंद सिंह डोटासरा शिक्षा मंत्री थे अब पीसीसी चीफ.  

---इन जिलों से सबसे ज्यादा भागीदारी--- 
- 4 जिले ऐसे हैं जिन्हें सबसे ज्यादा भागीदारी मिली हुई है. 
- इनमें जयपुर, भरतपुर, दौसा और बीकानेर शामिल हैं. जयपुर जिले से 4, भरतपुर जिले से 4, दौसा जिले से तीन और बीकानेर जिले से तीन मंत्री शामिल हैं. 

छह जिले ऐसे भी हैं जिनसे मंत्रिमंडल में 1-1 विधायक को मंत्री बनाकर प्रतिनिधित्व दिया हुआ है उनमें भीलवाड़ा, बाड़मेर, करौली, जालोर, बूंदी और जैसलमेर है. भीलवाड़ा से रामलाल जाट, बाड़मेर से हेमाराम चौधरी, करौली से रमेश मीणा, जालोर से सुखराम बिश्नोई, बूंदी से अशोक चांदना और जैसलमेर से साले मोहम्मद हैं. प्रदेश में तीन जिले ऐसे भी हैं जहां पर कांग्रेस का कोई विधायक नहीं है. इनमें पाली, झालावाड़ और सिरोही है. हालांकि सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा मुख्यमंत्री गहलोत के सलाहकार हैं और सरकार को समर्थन दे रहे हैं. 

संतुलन साधने के लिए उप मुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते:
संभावित तीसरे और अंतिम मंत्रिपरिषद फेरबदल और विस्तार के जरिए कांग्रेस पार्टी प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने का प्रयास करेगी. बहरहाल राज्य की कांग्रेस अंदरूनी सियासत से भी जूझ रही, लिहाजा संतुलन साधने के लिए उप मुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते हैं. चुनाव के ठीक पहले होने वाले मंत्रिपरिषद और फेरबदल विस्तार में बनने वााले नए मंत्री हालांकि बेहद कम समय के लिए बनेंगे लेकिन शपथ लेकर मंत्री बनने का ख्वाब हर विधायक रहता है. पहली बार जीते विधायक भी मंत्री बन सकते है ये राइडर आलाकमान हटा सकता है. हालांकि इससे पहले सालासर में सभी विधायकों का शिविर होगा. यहां संकेत दिए जा सकते है कौन मंत्री पद गंवा सकता है.