जयपुर: राजस्थान को विकसित राज्यों में अग्रणी स्थान पर ले जाने की सीएम अशोक गहलोत की मंशा को धरातल पर उतारने के लिए चिकित्सा विभाग ने एक करोड़ लोगों से संवाद करके सात सालों का विजन तैयार किया है. इस दौरान लोगों से 53 लाख से अधिक सुझाव मिले है, जिन्हें आधार मानकर विजन-2030 डाक्यूमेंट को अंतिम रूप दिया गया है. इस पूरे कवायद में इस बात पर फोकस रखा गया है कि हेल्थ सेक्टर में राजस्थान को किस तरह से "ग्लोबल-लीडर" के रूप में विकसित किया जाए....आखिर क्या है हेल्थ सेक्टर का विजन 2030....पेश है एक रिपोर्ट
विजन-2030 के लक्ष्य के तहत चिकित्सा विभाग ने अपना ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है. इसके लिए ब्लॉक से लेकर जिला व संभाग स्तर पर न सिर्फ संवाद कार्यक्रम किए गए. बल्कि वहां से मिले 53 हजार सुझावों को एक डॉक्यूमेंट के जरिए धरातल पर उताने का मानस भी बनाया है. विभाग के डाक्यूमेंट में सबसे ज्यादा फोकस इस बात पर दिया गया है कि प्रदेश की हर जनता को बीमा कवर के दायरे में लाते हुए सामाजिक सुरक्षा दी जाए. इसके अलावा हर ग्राम स्तर पर उप स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना करके चिकित्सा सेवाओं को शुरूआती फेज में ही मजबूत किया जाए. इसी तरह की सोच को शहरी क्षेत्र में भी लागू करते हुए हर वार्ड में जनता क्लिनिक स्थापना के साथ ही सभी जरूरी सुविधाएं विकसित करने का प्लान तैयार किया गया है.
आइए आपको बताते है चिकित्सा विभाग सात सालों की प्लानिंग:-
- हर ग्राम स्तर पर उपस्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना
- शहरी क्षेत्र में प्रत्येक वार्ड पर जनता क्लिनिक की सेवा, वहां 8 प्रकार की प्राथमिक जांचें व 325 तरह की निशुल्क दवाएं मिले
- मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का दायरा शतप्रतिशत करके जनता को दी जाए सामाजिक सुरक्षा
- सभी राजकीय व निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य का अधिकारी कानून का विस्तार
- चिकित्सा से जुड़े हर प्रकाश के लाइसेंस व कानूनी प्रक्रिया को सिंगल विंडो सिस्टम पर लाया जाए
- आर्टिफीशियल इंटेलीजेंसी आधारित नवाचार, संभाग स्तर पर चिकित्सालयों में रोबोटिक सर्जरी यूनिट की उपलब्धता
- आईएचएमएस 2.0 के माध्यम से सभी डिजिटल प्लेटफार्म व अन्य सेवाओं को एकीकृत किया जाए
- सभी राजकीय व निजी चिकित्सालयों में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं विकसित हो, जैसे ई-परामर्श, व्यक्तिगत मोबाइल पर इलेक्ट्रॉनिक रिपोर्ट, दवाओं की डोर स्टेप डिलीवरी
- प्रत्येक नागरिक को अत्याधुनिक चिप आधारित इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य कार्ड
- राजस्थान को मेडिकल वेल्यू टूरिज्म के रूप में शीर्ष पर ले जाना
- अंगदान महादान की सोच को घर घर तक ले जाने के लिए जागरूकता फैलाना
- मानसिक, पेलिएटिव, पुनर्वास और वृद्धावस्था स्वास्थ्य देखभाल को स्वास्थ्य सेवाओं के पैकेज में शामिल किया जाए
- आरसीएच, संचारी, गैर संचारी रोगों के अलावा खसरा, रूबेला, तपेदिक, मलेरिया, कुष्ठ रोग, रेबीज, हेपेटाइटिस-सी, एचआईवी, जल जनित रोग व अन्य वेक्टर जनित रोगों के उन्मूलन के लिए प्लान
- राज्य एवं जिला स्तर पर एयर एम्बुलेंस की सुविधा विकसित की जाए
- विशेषज्ञ, जनस्वास्थ्य, स्वास्थ्य प्रबन्धन एवं पैरामेडिकल संवर्ग के लिए कैडर की स्थापना
- मेडिकल और पेरामेडिकल मानव संसाधनों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण में अग्रणी बनाना
- सीएमएचओ, बीसीएमओ, बीपीएमयू कार्यालयों का सुदृढीकरण
- जनजातीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान की स्थापना हो
एक समय बीमारू राज्य समझा जाने वाला राजस्थान अब मॉडल स्टेट के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुका है. फिर चाहे वो हेल्थ बीमा कवरेज हो या फिर सरकारी क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं का विस्तार, हर जगह राजस्थान ने देश-दुनिया में कीर्तिमान स्थापित किया है. ऐसे में उम्मीद ये है कि जिस तरह का सपना विजन 2030 के लिए देखा गया है, वो जल्द ही धरातल पर उतरेगा.