राजेन्द्र राठौड़ नेता प्रतिपक्ष और सतीश पूनिया बने उप नेता प्रतिपक्ष, BJP विधायक दल की बैठक में हुआ ऐलान

राजेन्द्र राठौड़ नेता प्रतिपक्ष और सतीश पूनिया बने उप नेता प्रतिपक्ष,  BJP विधायक दल की बैठक में हुआ ऐलान

जयपुर: राजस्थान विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को रविवार को विपक्ष का नेता जबकि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को विपक्ष का नया उपनेता बनाया गया. यह ऐलान बीजेपी विधायक दल की बैठक में हुआ. राजेंद्र राठौड़ ने नियुक्ति के बाद वरिष्ठ नेताओं का आभार जताया.  राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सांप्रदायिकता की आग में राजस्थान जल रहा है. राजेंद्र राठौड़ ने अपने संबोधन में कहा कि मुझ जैसे साधारण कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दी है. वसुंधरा राजे जी को धन्यवाद. उन्होंने मेरे नाम का अनुमोदन किया. पूरे सामर्थ्य से दायित्व निभाऊंगा. भैरोंसिंह जी इस पद पर रहे. दिए गए दायित्व को निष्ठा से निभाऊंगा. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने अपने संबोधन में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को बधाई दी. साथ ही उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया को भी बधाई दी. सतीश पूनिया ने अपने संबोधन में मंच पर मौजूद सभी लोगों का अभिवादन किया. वहीं राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष बनने पर बधाई दी. 

इस साल फरवरी में गुलाब चंद कटारिया को असम के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद से विपक्ष के नेता का पद खाली था.नई नियुक्तियों के बारे में निर्णय की घोषणा पार्टी प्रदेश मुख्यालय में भाजपा विधायकों की बैठक के बाद की गई. बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी मौजूद रहीं. सतीश पूनिया (58) आमेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह लगभग तीन साल से पार्टी की राज्य इकाई का नेतृत्व कर रहे थे. कुछ दिन पहले उनकी जगह चित्तौडग़ढ़ के सांसद सी.पी. जोशी ने ली है.पार्टी विधायकों की बैठक में, राठौड़ को राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता घोषित किया गया और पूनिया को उपनेता बनाया गया.

सात बार के विधायक 68 वर्षीय राठौड़ चूरू निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. घोषणा पर खुशी व्यक्त करते हुए राठौड़ ने कहा कि पार्टी ने उनके जैसे जमीनी स्तर के कार्यकर्ता को मौका दिया है. राठौड़ ने दिसंबर में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के मुद्दे पर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें 25 सितंबर को सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के विधायकों द्वारा दिए गए इस्तीफे पर फैसला करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने की मांग की गई थी.