राजसमंद: जिले के नाथद्वारा स्थित प्रभु श्रीनाथजी के मंदिर में करीब 350 साल से मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए हर साल आषाढ़ पूर्णिमा के दिन धान और अन्य खाद्य पदार्थों की तुलाई की जाती है. पूर्णिमा के दिन तूलाई करके उन्हें मिट्टी के घड़े में बंद करके रख दिया जाता है जिसे दूसरे दिन सुबह खोला जाता है. वस्तुओं की घटत बढ़त के आधार पर अगले मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है. इस परंपरा को आषाढ़ी तौलना कहा जाता है, जो कई सालों से सटीक बैठ रही है.
सोमवार को पूर्णिमा पर तौल कर रखे धान आदि वस्तुओं को आज सुबह ग्वाल के दर्शनों में फिर से श्रीजी के मुख्य पंड्या परेश नागर के सानिध्य में खर्च भंडार के भंडारी फतेललाल गुर्जर, दिनेश पालीवाल आदि कर्मचारी की उपस्थिति में तौला गया. जिसके आधार पर अगले वर्ष धान्य की पैदावार में बढ़त बतायी गयी है, वर्षा सामान्य से अधिक आषाढ़ में छः आना, श्रावण में पांच आना, भाद्रपद में तीन आना, आसोज में दो आना और वायु पश्चिम दिशा की होगी.
आपको बता दें कि परम्परानुसार श्रीनाथजी मंदिर में हर वर्ष छोटे-बड़े विभिन्न पात्रों में भर कर मूंग हरा, मक्का, बाजरा, ज्वार, तिल्ली, गेहूं आदि 27 भौतिक सामग्रियों को श्रीजी के मुख्य पंड्या और खर्च भंडारी आदि की देखरेख में तौल कर खर्च भण्डार के एक कोठे में रख दिया जाता हैं. अगले दिन श्रावण कृष्ण प्रतिपदा के दिन उन सभी पात्रों में रखी वस्तुओं को पुनः श्रीजी के मुख्य पंड्या आदि के सानिध्य में तौला जाता है.
इन में हुई वृद्धि अथवा कमी के आधार पर आने वाले वर्ष में फसलों, धन-धान्य, पशुओं के चारे, आपदाओं, वर्षा की मात्रा, वायु का रुख आदि का अनुमान लगाया जाता है जो कि कई हद तक आने वाले समय का सटीक फलित करता है. आसपास के गांवों के ग्रामीण आदि इस आधार पर आगामी वर्ष में फसलों की बुवाई की तो वहीं कई अनाज आदि के व्यापारी अपने व्यापार में स्टॉक आदि की योजना बनाते हैं.