जोधपुर: पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल के रूप में पहचान रखने वाले मथुरादास माथुर अस्पताल के मनोरोग विभाग में चूहों के द्वारा मरीज के पैर कुतरने का सनसनीखेज मामला सामने आया है केवल एक नहीं बल्कि चार चार मरीजों के चूहों ने पैर कुतर दिए, यहां चूहों की अधिकता इतनी अधिक है कि एक एजेंसी को चूहों को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी दी गई है बावजूद उसके इस तरह की घटना सामने आई है. मामले के सामने आने के साथ मथुरा दास माथुर अस्पताल के अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने जांच शुरू कराने के साथ भविष्य में इस तरह की घटना नहीं हो, को लेकर आवश्यक कदम उठाने का दावा किया है.
राजस्थान के दूसरे बड़े जिले जोधपुर में एक और जहां मथुरादास माथुर अस्पताल जोधपुर, जैसलमेर,बाड़मेर, जालौर सिरोही, पाली, नागौर और बीकानेर के मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज देने के लिए पहचाना जाता है मगर मथुरादास माथुर अस्पताल के मनोरोग विभाग में मरीजों के पैर चूहों द्वारा कुतरे जाने की घटना के बाद सनसनी फैल गई है. मथुरादास माथुर अस्पताल के मनोरोग विभाग में वार्ड सी में इतने अधिक चूहे बढ़ते जा रहे हैं कि मरीजों के पैर कुतरने लगे हैं. लगातार चूहों की बढ़ती संख्या के कारण आ रही परेशानी से निपटने के लिए राजस्थान स्टेट पेस्ट कंट्रोल एजेंसी को दायित्व भी दिया गया है लेकिन किसी प्रकार का चूहों के कंट्रोल का परिणाम देखने को नहीं मिल रहा है जबकि प्रतिमाह इस काम के लिए ₹27000 अदा किए जाते हैं. अब सूचना यही सामने आ रही है कि इस वार्ड से मरीजों को शिफ्ट करने के साथ वार्ड बदला जा रहा है.
मथुरादास माथुर अस्पताल के अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित का कहना है कि, मनोरोग विभाग में चूहे मारने की दवा डालना जोखिम भरा है एजेंसी द्वारा ठीक से काम नहीं किए जाने की बात सामने आ रही है इस संबंध में जब पूरी तरह जांच हो जाएगी तब ठोस नतीजे पर पहुंच कर भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं हो उनको रोकने के लिए प्रयास किए जाएंगे. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप कच्छवाहा का कहना है कि इस संबंध में इतनी बड़ी घटना सामने आने के बाद अब एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी वैसे चूहे मारने की दवाई मनोरोग विभाग में नहीं डाल सकते यहां से वार्ड को समय रहते खाली करना था जो नहीं कर पाए हैं.