जयपुरः राजस्थान क्रिकेट संघ अब ईडी की राडार पर आ गया है. आरसीए द्वारा चौंप गांव में बन रहा स्टेडियम विवादों में आ गया है. स्टेडियम के टेंडर से लेकर निर्माण तक में कमीशन के खेल की शिकायत पर अब ईडी ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. आरसीए व निर्माण कार्य से जुड़े कंपनी के प्रतिनिधियों को समन भेजा जा चुका है और कुछ से पूछताछ भी हो चुकी है. सूत्रों की माने तो इस निर्माण कार्य में करोड़ों के कमीशन का खेल हुआ है, अब जांच के बाद ही परतें खुलेंगी.
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का चौंप गांव में बन रहा 75 हजार दर्शकों की क्षमता वाला प्रदेश का सबसे बड़ा स्टेडियम निर्माण के साथ ही विवादों में आ गया है. आरसीए से जेडीए से स्टेडियम के लिए जमीन ली थी और निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया था. स्टेडियम के लिए आरसीए ने लोन भी लिया और वेंदाता कंपनी से बड़ा सहयोग भी. लेकिन यहां पर टेंडर से लेकर निर्माण तक में कमीशन के खेल की शिकायतें सामने आ रही है. एक शिकायत पर अब ईडी ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. स्टेडियम निर्माण से जुड़ी कंपनी डी.वी. प्रोजेक्ट के डायरेक्टर कई को नोटिस देकर पूछताछ की गई है. निर्माण कर रही कंपनी छत्तीसगढ़ से जुड़ी है. आरसीए की पूर्व एडहॉक कमेटी के एक सदस्य से भी ईडी ने कुछ कागजात मांगे थे. पूर्व कमेटी ने ज्योति नगर थाने में भी एक एफआईआर दर्ज कराई थी. एडहॉक कमेटी के वर्तमान कन्वीनर डीडी कुमावत ने कहा है कि पिछली सरकार में आरसीए की कार्यकारिणी से करीब 185 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी हुई थी. अब ईडी की जांच शुरू हो चुकी है. मेरा मानना है कि जांच होने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. हम पूरी तरह से जांच में सहयोग करेंगे. अगर घोटाला हुआ है, तो कार्रवाई भी होनी चाहिए.
इस स्टेडियम के स्टेडियम निर्माण के लिए 485 करोड़ रुपए का कुल बजट प्रस्तावित था. इसमें से 300 करोड़ रुपए की राशि बिजनेसमैन अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता के जरिए मिलनी है. कुछ राशि जारी भी कर दी थी. अभी तक अभी तक 195 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जारी हो चुकी है. जब जमीन आंवटन हुआ था और टेंडर प्रक्रिया चल रही थी, तब काफी शिकायतें हुई थी. आरोप है कि स्टेडियम निर्माण का टेंडर महंगी दरों पर हुआ और इसके बाद भी 10 प्रतिशत राशि बढ़ाई गई. टेंडर देने में सीपीडब्लूडी द्वारा निर्धारित नियम और दरों में फर्क आ रहा है. आरोप यह भी लगा है कि टेंड लेने के लिए कंपनी द्वारा कमीशन के रूप में कैश और काइंड में राशि का वितरण किया गया. हालांकि यह अभी जांच का विषय है. कंपनी ने आरसीए को दावा है कि 220 करोड़ का काम कर दिया है और 20 करोड़ की डिमांड की है, लेकिन जमीन पर इतना काम होता दिख नहीं रहा.