जोधपुर: राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से आईआईटी जोधपुर के सभागार में उत्तर-1 एवं उत्तर-2 क्षेत्रों का संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि हिंदी भाषा एक भाषा नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति है जिसने पूरे विश्व को देश को एक सूत्र में पिरो कर रखा है.
गुरुवार को जोधपुर के आईआईटी परिसर में राजभाषा विभाग गृह मंत्रालय की ओर से संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन हुआ इस कार्यक्रम में राज्यपाल कलराज मिश्र मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे वही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की कार्यक्रम में आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर शांतनु कुमार मुख्य रेल प्रबंधक पंकज सिंह विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि हिंदी एक भाषा नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का गौरव है. और यह भारत को जोड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि हिंदी सभी भाषाओं से समृद्ध भाषा है और इसका शब्दकोश सबसे बड़ा है. स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदी में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई.
हिंदी भाषा ने पूरे देश के लोगों को एकजुट कर राष्ट्रभवाना को जगाए रखा है
हिंदी ही भाषा थी जिसने पूरे देश के लोगों को एकजुट कर राष्ट्रभवाना को जगाए रखा. उन्होंने कहा कि आजादी के दौरान महात्मा गांधी भी इस बात को जानते थे कि यदि अंग्रेज चले गए और अंग्रेजी नहीं गई तो हमारे मन से गुलामी का भाव नहीं जाएगा, इसलिए उन्होंने स्वभाषा पर बल दिया. हमारे संविधान बनाते समय यह प्रावधान लिखा गया कि जब तक हिंदी भाषा सभी राज्यों में स्वीकार नहीं हो जाती तब तक अगले 15 वर्षों तक हिंदी के साथ अंग्रेजी भाषा में काम जारी रहेगा कलराज मिश्र ने कहा कि आज इसमें बदलाव की आवश्यकता है. आज सम्मानित होने वाले सभी प्रबुद्ध जल हिंदी के राजदूत हैं.
भाषा कोई भी बुरी नहीं होती
हिंदी में काम करते समय अपने आप में हीन भावना महसूस नहीं करें बल्कि गौरांवित महसूस करें. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा की भाषा कोई भी बुरी नहीं होती है लेकिन अंग्रेजी भाषा में हिंदी के प्रति हीन भावना पैदा की जिसका हमें आज नुकसान उठाना पड़ रहा है. आज कुछ लोग भाषाई भिन्नता के आधार पर देश को बांटने का प्रयास कर रहे हैं, जो अनुचित है. उन्होंने कहा कि जब व्यावहारिक भाषा में हिंदी का उपयोग बढ़ेगा तो अपने आप ही अंग्रेजी की बाध्यता समाप्त हो जाएगी.
2047 में भारत विकसित राष्ट्र औरआत्मनिर्भर बनेगा
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशन में भारतीय भाषा के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आए है. 2047 में जब भारत विकसित राष्ट्र औरआत्मनिर्भर बनेगा तो उस समय हमे संस्कृत और हमारी मातृभाषा में भी आत्मनिर्भर बनना होगा. उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के कारण कुछ समस्याएं हो रही है. संविधान में हिंदी को राजभाषा का तो दर्जा दे दिया गया लेकिन उसे समय प्रावधान किया गया कि जब तक हिंदी सभी जगह स्वीकृत नहीं हो जाती तब तक अगले 15 वर्षों तक हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में काम होगा. 1963 में इस प्रावधान को आगे बढ़ा दिया गया. यदि हमारे संविधान में संसद की भाषा हिंदी अंग्रेजी की जगह हिंदी स्थानीय भाषा होती तो शायद आज हमें यह परेशानी नहीं होती.
कुछ राजनीतिक पार्टियों भाषाई विवाद फैलाकर अपनी राजनीति चमकाई है
संविधान के अनुच्छेद 348 में जोड़ा गया कि भारत की संसद का कोई भी कानून बनेगा उसका मूल पार्ट अंग्रेजी भाषा में ही बनना चाहिए. उस समय कुछ राजनीतिक पार्टियों ने भाषाई विवाद फैलाकर अपनी राजनीतिक चमकाने का काम किया और आज भी भाषा और क्षेत्र के आधार पर बांटने का प्रयास किया जा रहा है जबकि हम इसका व्यावहारिक समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं. आज नई शिक्षा नीति में हमने तीन प्रमुख भाषाओं में शिक्षा अर्जन की बात की की है जिसमें दो भारतीय भाषा होना अनिवार्य है. यूजीसी और आईआईटी के साथ रिसर्च कर हमने हिंदी पाठ्यक्रम तैयार किया है. पहले यह जाना जाता था कि डॉक्टर और इंजीनियर की पढ़ाई अंग्रेजी में ही की जा सकती है , लेकिन अब हमने हिंदी में भी उनका पाठ्यक्रम तैयार किया है और जल्द ही लॉ का पाठ्यक्रम भी हिंदी में तैयार होगा, इसके लिए बार काउंसिल आफ इंडिया ने अपनी सहमति दे दी है.
गृह मंत्रालय का सारा काम हिंदी में ही हो रहा है
आज भारत सरकार के सभी मंत्रालय हिंदी में काम करने लगे हैं और गृह मंत्रालय का सारा काम हिंदी में ही हो रहा है. उन्होंने कहा कि विश्व के 100 से अधिक विश्वविद्यालय हैं जहां हिंदी की पढ़ाई करवाई जाती है. संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में बुलेटिन जारी हो रहे हैं. ब्रिटेन में 1000 से अधिक प्राथमिक स्कूलों में हिंदी शिक्षा शुरू की गई है, वही अमेरिका में भी अगले सत्र में हिंदी में प्राथमिक शिक्षा शुरू की जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से मॉरीशस में विश्व हिंदी सचिवालय तैयार किया गया है जो हिंदी के प्रचार प्रसार का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा है कि विश्व के किसी भी देश में रहने वाला नागरिक भारत को अपना दूसरा घर समझे इसके लिए प्रयास करने की आवश्यकता है. पूरे विश्व में भारत की भूमिका बढ़ी है. हमारे देश में कोई भी भाषा एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी नहीं है, बल्कि एक दूसरे की सहयोगी भाषा है और हमारी भाषा का लाभ पूरे विश्व को मिले इसके लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है.
सम्मेलन में अतिथियों द्वारा राजभाषा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के निष्पादन करने, केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों को विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत राजभाषा में उत्कृष्ट कार्य करने के पुरस्कृत भी किया गया.