नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा पिछले कुछ समय में हाउसिंग बोर्ड के कामों को लेकर काफी बदलाव किये गये है. जिसका सबसे बड़ा और अहम सूत्र है रेरा कानून. रियल एस्टेट की सेक्टर में कानून काफी सफल रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस कानून के चलते रियल एस्टेट में काफी सुधार देखे गये है. जिसने ना सिर्फ देरी को कम किया है बल्कि हाउसिंग बोर्ड के कार्यों में चार चांद लगा दिये है.
एक रिपोर्ट बताती है कि रियल एस्टेट के सेक्टर मे रेरा कानून लागू होने के बाद जितने हासिंग प्रोजेक्ट लॉन्च हुए हैं उनमें से 86 फीसदी 5 साल में तैयार हो गए हैं. जबकि साल 2017 की दूसरी छमाही और 2018 के दौरान देश के टॉप-7 शहरों में जो हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च हुए, उनमें से कम से कम 86 फीसदी का काम पूरा हो चुका है. जिससे की ना सिर्फ सरकार को फायदो हो रहा है बल्कि जनता को भी बड़ा फायदा सीधे रूप में पहुंच रहा है.
चेन्नई टॉप में शामिलः
वहीं अगर इसके सबसे ज्यादा असर की बात करें तो चेन्नई में सबसे ज्यादा 90 फीसदी प्रोजेक्ट तैयार हुए हैं. उन डेढ़ सालों के दौरान शहर में 119 प्रोजेक्ट लॉन्च हुए, जिनमें 107 का काम पूरा हो गया है. जबकि बचे 12 प्रोजेक्ट जल्द ही तैयार होने की सूरत में है. जिसमें से टाउनशिप को छोड़ छोटे प्रोजेक्ट में 5 साल का समय भी नहीं लगा है. बता दें कि 2022 के दौरान देश के टॉप-7 शहरों में 4.02 लाख से ज्यादा घर तैयार किए गए. यह 2017 के बाद किसी एक साल के दौरान घरों के तैयार होने का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
वहीं अगर बात करें रेरा कानून की तो बता दे कि इसे रियल एस्टेट के हित को देखते हुए 2016 में पारित किया गया था. और 1 मई 2017 से लागू किया गया था. रेरा अधिनियम रियल एस्टेट डेवलपर्स, घर खरीदारों, रियल्टी एजेंटों और अन्य रियल एस्टेट क्षेत्र के हितधारकों की चिंताओं और शिकायतों को दूर करने के लिए लागू किया गया था. रेरा अधिनियम के लागू होने के बाद, घर खरीदारों द्वारा रेरा अनुमोदित परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है