जयपुर : पिछले दिनों भ्रष्टाचार के मामले के मामले को लेकर चर्चाओं में आई राजस्थान मेडिकल काउंसिल में चेयरमैन की नियुक्ति नहीं होने से अब रोजमर्रा के कामकाज भी अटकने लगे है. काउंसिल में दो माह से चेयरमैन का पद खाली है. अब इसे चिकित्सा विभाग की अनदेखी कहे या पिछले दिनों व्यवस्था में किए गए बदलाव का असर, जिसके चलते काउंसिल में चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो पा रही है.
राजस्थान मेडिकल काउंसिल में व्याप्त भ्रष्ट्राचार की बेल पिछले दिनों पूरे सिस्टम को शर्मशार कर चुकी है. इस दौरान काउंसिल में एक तरफ जहां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्रेशन किए गए, वहीं दूसरी ओर मनमाने तरीसे के वेतनभत्ते उठाकर वित्तीय अनियमिताओं का भी बड़ा रिकॉर्ड बनाया. हालांकि, पूरा मामला प्रकाश में आने के बाद चिकित्सा विभाग ने तत्काल एक्शन लेते हुए तत्कालीर रजिस्ट्रार डॉ राजेश शर्मा को निलम्बित कर दिया. साथ ही एसएमएस अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ गिरधर गोयल को काउंसिल रजिस्ट्रार का अतिरिक्त चार्ज सौंपा लेकिन इसके कुछ दिनों बाद ही विभाग ने बड़े स्तर पर तबादले किए,जिसका असर काउंसिल पर भी देखा गया. इस बदलाव की बयार के बाद से ही काउंसिल में चेयरमैन का पद खाली चल रहा है.
आखिर किस कारण से नहीं हो रही चेयरमैन की नियुक्ति ?
बात राजस्थान मेडिकल काउंसिल में सबसे प्रमुख पद से जुड़ी
दरअसल,पिछले दिनों निदेशक(पीएच) के पद का डॉ रविप्रकाश शर्मा मिला था जिम्मा
जबकि यहां कार्यरत डॉ रविप्रकाश माथुर को भेजा गया निदेशक ईएसआई
राजस्थान मेडिकल काउंसिल में भी चिकित्सा विभाग के बदलाव का आया है "इफेक्ट"
क्योंकि पूर्व में निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ माथुर को किया हुआ था चेयरमैन नॉमिनेट
ऐसे में डॉ माथुर का तबादला होते ही चेयरमैन का पद भी हो गया खाली
पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में भी उठा ये प्रमुख मुद्दा
तो सीएस ने सवाल पूछा कि निदेशक(पीएच) को ही क्यों बनाया जाता है चेयरमैन
निदेशक(पीएच) के पास पहले से काफी काम,ऐसे में किसी अन्य को दिया जाए जिम्मा
संभवतया, बैठक के निर्देशों की पालना में ही दूसरे किसी चिकित्सक पर हो रहा विचार
लेकिन काफी लम्बे समय से चल रही इस कवायद में अब कामकाज हो रहा प्रभावित
हालात ये है कि काउंसिल के कार्यवाहक रजिस्ट्रार डॉ गिरधर गोयल कई बार प्रशासन को पत्र भेजकर आग्रह कर चुके है, बावजूद इसके इस महत्वपूर्ण पद नियुक्ति को लेकर गंभीरता नजर नहीं आ रही है. काउंसिल में चेयरमैन की नियुक्ति नहीं होने का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट ये देखा गया है कि हर माह होने वाली जीबीएम की बैठक 70 दिन गुजरने के बावजूद नहीं हुई है. इसके साथ ही वेतन भुगतान, पानी-बिजली भुगतान, टेण्डर प्रक्रिया और जीएसटी रिटर्न जैसे रोजमर्रा के कामकाज भी प्रभावित हो रहे है.