जयपुर: राजस्थान रोडवेज़ ने एक बार फिर से दुर्घटना रहित संचालन पर फ़ोकस किया है. रोडवेज में सड़क हादसों को रोकने के लिए रोडवेज़ MD नथमल डिडेल ने सख़्त दिशा निर्देश जारी किए हैं. राजस्थान रोडवेज़ में इस समय बसों की भारी कमी है. बसों की कमी के कारण कई प्रमुख मार्ग ऐसे हैं जिन पर बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है. ग्रामीण इलाक़ों में तो हालात और भी अधिक ख़राब है, जो बसें अभी सड़कों पर दौड़ रहीं हैं. उनकी कंडीशन बहुत दयनीय है. हर रोज अलग अलग इलाकों से बसों के ब्रेकडाउन होने की शिकायतें आ रहीं हैं. रोडवेज में बसों की इस दुर्दशा का बड़ा कारण है. रोडवेज की बसों से होने वाले सड़क हादसे, सड़क हादसों के कारण बसों की हालत जल्दी ख़राब हो रही है.बीते कुछ दिनों से रोडवेज में सड़क हादसों की संख्या भी काफ़ी बढ़ गई है.
सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण यह है चालक और परिचालक यातायात के नियमों का पालन नहीं करते हैं.अधिकतर आगारों में चालक बिना यातायात नियमों की पालना किए वाहन चला रहे हैं.इसका परिणाम यह हो रहा है कि बड़ी संख्या में बसें हादसे का शिकार हो रहीं है. अब हादसों को नियंत्रित करने के लिए रोडवेज एमडी नथमल डिडेल ने सख़्त दिशा निर्देश जारी किए हैं. अब सभी चालकों और परिचालकों को इन नये नियमों का पालन करना होगा ऐसा नहीं करने पर चालक परिचालक के साथ ही स्थानीय आगार के प्रबंधक पर भी कार्रवाई की जाएगी.
अगर रोडवेज में MD के नए निर्देशों के बाद सड़क दुर्घटना कम होंगी तो रोडवेज़ को इससे अच्छा फ़ायदा होगा. बसों के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण रोडवेज को काफ़ी आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ता है. हैरानी की बात यह है कि बसों के सुरक्षित संचालन के लिए भी रोडवेज में एमडी को आदेश निकालने पड़े हैं जबकि अगर स्थानीय आगार प्रबंधन चाहें तो भी हादसों को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा सकता है.
रोडवेज एमडी के नए निर्देश:
1. प्रत्येक चालक / परिचालक को मार्ग पर भेजते समय / मार्ग पर ब्रेथ एनालाइजर से परीक्षण अनिवार्य रूप से किया जावे. नशे में पाये जाने वाले कर्मचारी को डयूटी पर नहीं भिजवाया जाये और उसके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जावे.
2. 50 वर्ष से अधिक आयु के चालकों का वर्ष में दो बार नेत्र / शारीरिक परीक्षण अवश्य करवाया जाए.
3. एजेंसी के माध्यम से चालकों को अनुबंध पर लेते समय उनका सही प्रकार से परीक्षण किया जाये. वाहन संचालन योग्य पाये जाने की स्थिति में ही अनुबंध पर रखा जाये.
4. प्रत्येक चालक से अनिवार्य रूप से चालक सीट बैल्ट का उपयोग कराया जाना सुनिश्चित किया जाये.
5. किसी भी स्थिति में फिटनेस रहित वाहन को मार्ग पर संचालन हेतु नहीं भेजा जाये.
6. लक्ष्य के अनुरूप चालकों को प्रशिक्षण के लिए चालक प्रशिक्षण संस्थान, केन्द्रीय कार्यशाला अजमेर में भिजवाया जाये.
7. चालकों को समय-समय पर उचित विश्राम दिया जाये, ताकि चालक तनावमुक्त होकर वाहन का संचालन कर सके.
8. वाहन संचालन के दौरान चालकों द्वारा मोबाइल स्वीच ऑफ रखने की प्रक्रिया को सख्ती से अपनाया जाये.