जयपुर: राज्य सरकार राज्य में पर्यावरण संरक्षण के साथ प्रदूषण नियंत्रण के लिए संकल्पित है. साथ ही स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी राज्य में स्थित सभी वेटलैंड्स के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया जा रहा हैं. इस क्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा आर्द्रभूमियों के संरक्षण एवं विकास हेतु इस बार के बजट में नौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. आज सांभर के इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट प्लान के लिए एक कार्यशाला का भी आयोजन हुआ.
कार्यशाला में वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि वर्तमान में जब हम हमारी आजादी का 76 वां वर्ष हर्ष और उल्लास से मना रहे हैं, तब पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने 76 वेटलैंड्स अधिसूचित करने की कार्रवाई कर एक विशेष उपलब्धि हासिल की है. इस अवसर पर उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि जल्द ही राज्य में 100 अधिसूचित वेटलैंड्स हो जाएगी. उन्होंने कहा कि राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण के माध्यम से सभी आर्द्रभूमियों को चिन्हित कर अधिसूचित करने की कार्यवाही प्रारंभ कर पूरे देश में सबसे अधिक आर्द्रभूमि अधिसूचित करने का कीर्तिमान स्थापित किया हैं.
राजस्थान राज्य जिसका सबसे अधिक हिस्सा रेगिस्तान से घिरा हुआ हो, उसका जल और आर्द्रभूमि संरक्षण के क्षेत्र में ऐतिहासिक कार्य करना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. इस अवसर पर वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल ने कहा कि सांभर झील के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरंतर निगरानी के साथ डिजास्टर मैनेजमेंट के सभी पहलुओं पर ध्यान देना होगा. इस दौरान उन्होंने सांभर झील की कार्य योजना विकसित करने के लिए संभावित बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा कर कहा कि सांभर झील के साथ आस पास की छोटी झीलें भी अपनी एक विशेष महत्ता को समेटे हुए है.
यही कारण है की सांभर झील के साथ प्रवासी पक्षी आस पास के इलाकों में भी नजर आते है. पर्यटन विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौर ने कहा कि सांभर झील में ईको-टूरिज्म के साथ सस्टेनेबल एवं एस्ट्रो टूरिज्म की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि सांभर झील में आने वाले प्रत्येक पर्यटक एवं स्थानीय नागरिकों की यह मौलिक जिम्मेदारी है कि झील में साफ सफाई के साथ वहां आने वाले प्रवासी पक्षियों एवं स्थानीय वन्यजीवों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयास किये जाये. उन्होंने कहा कि राज्य में सांभर झील न केवल प्रवासी पक्षियों एवं पर्यटन का प्रमुख केंद्र है बल्कि सर्वाधिक नमक उत्पादन के साथ रोजगार का भी महत्वपूर्ण संसाधन है.
कार्यशाला के दौरान डॉ. आर सुरेश, डॉ. जेए जॉनसन, डॉ. संदीप द्वारा पीपीटी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से राज्य में वेटलैंड एवं सांभर झील के विभिन्न पहलुओं, समस्याओं एवं समाधानों पर चर्चा की गई. इस अवसर पर सदस्य सचिव राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण मोनाली सेन ने उपस्थित सभी अधिकारी एवं हितधारकों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि शीघ्र ही कार्यशाला में विचार विमर्श से हासिल हुए सुझावों को शामिल कर सांभर झील के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा.