Shashi Tharoor का पलटवार, मुशर्रफ से इतनी ही नफरत थी तो उनके साथ साझा बयान पर हस्ताक्षर क्यों किया

Shashi Tharoor का पलटवार, मुशर्रफ से इतनी ही नफरत थी तो उनके साथ साझा बयान पर हस्ताक्षर क्यों किया

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ के निधन के बाद किए गए अपने एक ट्वीट पर भारतीय जनता पार्टी के हमले को लेकर पलटवार करते हुए सोमवार को कहा कि अगर मुशर्रफ से इतनी ही नफरत थी तो अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उनके साथ 2003 में संघर्ष विराम पर बातचीत तथा 2004 में साझा बयान पर हस्ताक्षर क्यों किया था.

 

थरूर ने रविवार को मुशर्रफ के निधन पर शोक जताते हुए कहा था कि ‘‘एक समय वह भारत के कट्टर दुश्मन’’ थे लेकिन बाद में ‘‘शांति के लिए वास्तविक ताकत’’ बन गये थे. थरूर के इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उनकी पार्टी पर 1999 में हुए करगिल युद्ध के मुख्य सूत्रधार की ‘‘तारीफ’’ करने का आरोप लगाया.

शांति के विश्वसनीय साझेदार के रूप में नहीं देखा गया:
मुशर्रफ का रविवार को एक लाइलाज बीमारी से वर्षों तक जूझने के बाद दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 79 वर्ष के थे. कांग्रेस सांसद थरूर ने सोमवार को ट्वीट किया कि भाजपा नेताओं के लिए सवाल: अगर सभी देशभक्त भारतीयों को मुशर्रफ को लेकर नफरत थी तो फिर भाजपा सरकार ने उनके साथ 2003 में संघर्ष विराम पर बातचीत तथा 2004 में साझा बयान पर हस्ताक्षर क्यों किया था? क्या उस समय मुशर्रफ को शांति के विश्वसनीय साझेदार के रूप में नहीं देखा गया था?

दुश्मनों के साथ ‘हाथ-से-हाथ जोड़ो’ अभियान:
उधर, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि एक भारतीय राष्ट्रीय पार्टी के नेता पहले हमारे सैनिकों की बहादुरी पर संदेह करते हैं. फिर एक और नेता उस परवेज मुशर्रफ की तारीफ करते हैं जो कारगिल युद्ध के लिए जिम्मेदार थे. दुश्मनों के साथ ‘हाथ-से-हाथ जोड़ो’ अभियान! सोर्स-भाषा