उदयपुर में अपनी मोहक आभा बिखेरने लगा सीता-अशोक वृक्ष, लोगों को कर रहा आकर्षित

उदयपुर में अपनी मोहक आभा बिखेरने लगा सीता-अशोक वृक्ष, लोगों को कर रहा आकर्षित

उदयपुर: रावण की लंका में स्थित अशोक वाटिका में जिस वृक्ष की छांव तले बैठने और इसके फूलों की महक से देवी सीता के शोक का हरण हुआ था, वही वृक्ष इन दिनों लेकसिटी उदयपुर में भी अपनी मोहक आभा बिखेरने लगा है. दुर्लभ और औषधीय गुणों से युक्त सीता-अशोक का यह वृक्ष इन दिनों उदयपुर शहर में कई स्थानों पर अपने पूरे सौंदर्य के साथ पुष्पित हो चुका है और लोगों को आकर्षित कर रहा है. 

रावण द्वारा हरण के बाद मां सीता के शोक का निवारण करने में सीता-अशोक वृक्ष की बड़ी भूमिका  धर्म शास्त्रों में रेखांकित की गई है. सीता-अशोक का यही वृक्ष इन दिनों लेकसिटी उदयपुर के करीब दर्जन भर से ज्यादा स्थानों पर पुष्पित और पल्लवित होकर अपनी सुनहरी आभा बिखेर रहा है. दरअसल, करीब 12 वर्ष पहले वन विभाग से सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक वीएस राणा ने इस वृक्ष को अपने आवास पर रोपा था. उसी वृक्ष के बीजों को संकलित कर उन्होंने शहर के दर्जन भर से ज्यादा स्थानों पर भी इन बीजों को बोया और आज इस दुर्लभ सीता-अशोक के पेड़ और पुष्पों को देख लोग मोहित हो रहे हैं.

बॉटनिकल भाषा में सराका इंडिका नाम से पहचाने जाने वाला सीता-अशोक का यह वृक्ष अमूमन दक्षिणी भारत में कर्नाटका, उत्तराखंड और आसपास के इलाकों में पाया जाता है. दरअसल, यह वृक्ष ऊंची, सघन पहाड़ियों पर ठंडे मौसम में पुष्पित और पल्लवित होता है, लेकिन लेकसिटी उदयपुर में इस वृक्ष का पोषित होना प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बड़ी खबर से कम नहीं है.

सीता-अशोक के वृक्ष का भी यहां पोषित होना एक सुखद एहसास: 
यू तो झीलों के शहर उदयपुर की प्राकृतिक आबोहवा कई दुर्लभ और औषधीय महत्व के पौधों की जननी के रूप में विकसित हो चुकी है. यही नहीं ठंडे प्रदेशों में पैदा होने वाले विभिन्न किस्मों के महंगे और सुंदर फूल, आर्किड, एसिटिक लीलीज और ऐसे ही कई वृक्ष लेकसिटी की आबोहवा में पल्लवित हो रहे हैं. ऐसे में सीता-अशोक के वृक्ष का भी यहां पोषित होना एक सुखद एहसास है.

 ....रवि कुमार शर्मा, फर्स्ट इंडिया न्यूज़, उदयपुर