जयपुर: निशुल्क दवा योजना में एक तरफ जहां राजस्थान देशभर में सिरमौर का तमंगा लिए है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में जरूरी दवाओं के लिए मरीज इधर से उधर भटकने को मजबूर है. ये सबकुछ हो रहा है RMSCL-SMS के बीच समन्यवय की कमी से, जिसका खामियाजा मरीज और उनके परिजनों को उठाना पड़ रहा है. आश्चर्य की बात ये है कि कैल्शियम जैसी सामान्य दवा पर भी अस्पताल में अनुपलब्धता की मुहर लगाई जा रही है.
राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल SMS में इन दिनों मरीजों को कई दवाइयों के लिए भटकना पड़ रहा है. ओपीडी में डॉक्टरों को दिखाने के बाद मरीज पहले तो डीडीसी काउंटर पर लम्बी कतार में खड़े होते है, लेकिन वहां हर मरीज पर्ची में दो से तीन दवाओं पर अनुपलब्धता की मुहर लगाई जा रही है. फर्स्ट इंडिया की टीम ने जब पर्चियों का जायजा लिया तो पता चला कि अस्पताल की इमरजेंसी में कैल्शियम की दवा भी उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा एजिथ्रोमाइसिन और कुछ आई ड्रॉप की भी किल्लत दर्शाई जा रही है. इस बारे में अधीक्षक डॉ.सुशील भाटी ने कहा कि दवा आपूर्ति का जिम्मा RMSCL है. किसी भी दवा की कमी होने पर आरएमएससीएल को अस्पताल से रिमाइंडर भेजा जाता है. कैल्शियम,एजिथ्रोमाइसिन और कुछ आई ड्रॉप की खपत एकदम से बढ़ी,जिससे दिक्कत आई है. वैसे कैल्शियम कोई लाइफसेविंग ड्रग नहीं है, लेकिन ये दवाएं मिलनी चाहिए. शॉर्ट सप्लाई के चलते फिलहाल ये दवा नहीं मिल रही है.
अस्पताल में दवाओं की अनुपलब्धता की पड़ताल में सामने आया कि RMSCL-SMS के बीच समन्यवय की कमी के चलते दिक्कतें हो रही है. अस्पताल प्रशासन ने कैल्शियम की दवा के लिए तीन माह में आधा दर्जन से अधिक बार डिमाण्ड RMSCL को भेजी. लेकिन ना तो वहां से दवा मिली और ना ही एनओसी. कुछ इसी तरह अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज में जरूरी "ऐसब्रोफीलिन" को लेकर पांच बार डिमाण्ड नोट भेजने के बावजूद पर्याप्त आपूर्ति नहीं मिली. एटोरवास्टेटिन, सोडियम वैल्प्रोएट, प्रीगैबलिन जैसी जरूरी दवाओं को लेकर भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिल रही है. अस्पताल प्रशासन की मजबूरी ये है कि जब तक RMSCL से किसी दवा की एनओसी नहीं मिलती, तब तक लोकल परर्चेज से दवा नहीं खरीदी जा सकती है. इसी दिक्कत के चलते अस्पताल में जरूरी दवाओं का भी टोटा हो गया है. इतना ही नहीं, कई तरह की महत्वपूर्ण जाचें भी किट के अभाव में बन्द चल रही है.
सूबे के चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर और एसीएस शुभ्रा सिंह ने पिछले दिनों ही मौसमी बीमारियों की समीक्षा बैठक ली थी. इस दौरान उन्होंने आगामी दिनों में मौसमी बीमारियों के प्रकोप की आशंका जताते हुए पर्याप्त दवाओं की उपलब्धता के निर्देश दिए, लेकिन न तो RMSCL और ना ही एसएमएस अस्पताल प्रशासन इन आदेशों के प्रति गंभीर नजर आ रहे है. जिसका खामियाजा मरीजों को दवा के लिए इधर से उधर भटकने के रूप में उठाना पड़ रहा है. चिंता की बात ये है कि आगामी दिनों में मौसमी बीमारियों का सीजन शुरू होने वाला है, ऐसे में यदि अनदेखी का आलम ये ही रहा तो मरीजों की दिक्कतें और बढ़ सकती है.