नई दिल्ली : साख तय करने वाली फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को कहा कि भारत का मजबूत वृद्धि परिदृश्य देश की कंपनियों के लिये विदेशी बाजारों में नरमी की भरपाई करेगा. साथ ही कच्चे माल की लागत का दबाव कम होने से उन्हें लाभ मार्जिन बढ़ाने में मदद मिलेगी. उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरूआत में फिच ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिये देश के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को पहले के छह प्रतिशत से बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया था.
फिच ने कहा कि निरंतर आर्थिक वृद्धि सीमेंट और पेट्रोलियम उत्पाद की मांग को बढ़ाएगी. इस वर्ष अबतक जो भी महत्वपूर्ण आंकड़ें (पीएमआई, माल ढुलाई, जीएसटी संग्रह आदि) हैं, वे महामारी पूर्व स्तर से ऊपर पहुंच गये हैं. बुनियादी ढांचे पर बढ़ते खर्च से स्टील की मांग भी बढ़ेगी. रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा कि भारत का मजबूत वृद्धि परिदृश्य देश की कंपनियों के लिये विदेशी बाजारों में नरमी की भरपाई करेगा. साथ ही कच्चे माल की लागत का दबाव कम होने से चालू वित्त वर्ष उनका लाभ मार्जिन 2.20 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है.
कच्चे तेल की कीमतों में नरमी:
फिच ने कहा कि अमेरिका और यूरो क्षेत्र में धीमी मांग से सूचना प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र की बिक्री वृद्धि धीमी होगी. हालांकि, वेतन तथा कर्मचारियों के कंपनी छोड़कर जाने का दबाव कम होने के साथ रेटिंग को लेकर ठोस गुंजाइश को देखते हुए उनके कर्ज को लेकर स्थिति बेहतर होगी. उसने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी से विपणन मार्जिन बढ़ने और रिफाइनिंग मार्जिन ऊपर रहने से तेल विपणन कंपनियों का लाभ बढ़ेगा.
औसत राजस्व 10 से 15 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद:
फिच ने कहा कि भारतीय दूरसंचार कंपनियों के लिये हमारा दृष्टिकोण बेहतर है. इसका कारण हमें उम्मीद है कि शीर्ष दो दूरसंचार कंपनियों के लिये लाभ को समर्थन देने के लिये उद्योग में लगातार एकीकरण होगा. वर्ष 2023 में प्रति उपयोगकर्ता मासिक औसत राजस्व 10 से 15 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है. सोर्स भाषा