जयपुरः छात्रसंघ चुनाव बहाली की मांग अब पूरे प्रदेशभर से उठ रही है लिहाजा अब एबीवीपी और एनएसयूआई यूनिवर्सिटी से लेकर सड़क तक अलग अलग तरीके से प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे है छात्र संगठनों की पुरजोर मांग के बाद भी अभी तक सरकार की ओर से छात्रसंघ चुनाव को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लिहाजा एक बार फिर से छात्रसंघ चुनावों पर सशय बरकरार है.
शैक्षिक और छात्र विकास संबंधी नुकसान
नेतृत्व कौशल का विकास रुक जाएगा
चुनाव से छात्रों में नेतृत्व,टीमवर्क और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है
चुनाव नहीं होंगे,तो छात्र विश्वविद्यालय की गतिविधियों और नीतियों में कम रुचि लेते हैं.
छात्रों की समस्याएं और सुझाव प्रशासन तक नहीं पहुंच पाते क्योंकि उनका प्रतिनिधि ही नहीं होता.
संस्थागत और प्रशासनिक प्रभाव
प्रशासन पर एकतरफा दबाव
बिना छात्रों की भागीदारी के,प्रशासनिक निर्णयों में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी
छात्रों और प्रशासन के बीच संवाद की कमी
छात्रों और प्रशासन के बीच सीधा संवाद कम
छात्रसंघ चुनाव छात्रों की आवाज, उनकी नेतृत्व क्षमता, और लोकतांत्रिक जिम्मेदारी का एक जीवंत मंच है,जब ये मंच ही नहीं होगा,तो पूरा शैक्षिक वातावरण एक महत्वपूर्ण पहलू से वंचित रह जाएगा,वहीं यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्रों की आवाज को कोई उठाना वाला नहीं होगा लिहाजा प्रशासन अपनी दंबगई और पारदर्शिता भूल जाएगा,इसका उदाहरण यूनिवर्सिटियों में हर साल सीटों में बृर्धि होना,फीस बढोतरी चीजों का विरोध करना शामिल है लेकिन अब ये चीज सिर्फ आगामी दिनों में यादों में ही रह जाएगी.
लोकतांत्रिक माहौल कमजोर पड़ता है
चुनाव लोकतंत्र का अहम हिस्सा हैं
जब छात्रसंघ चुनाव नहीं होते, तो लोकतांत्रिक सोच का अभ्यास करने का अवसर छात्रों को नहीं मिलेगा
युवा पीढ़ी की राजनीतिक समझ कमजोर पड़ सकती है.
कॉलेज और विश्वविद्यालयों में कई सामाजिक मुद्दों पर छात्र आंदोलन होते हैं
जो एक स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं.
चुनाव न होने से यह मंच भी समाप्त हो जाता है.
प्रभावशाली नेताओं की कमी
भारत के कई राष्ट्रीय नेता छात्रसंघों से निकलकर आए हैं
चुनाव न होने से ऐसे संभावित नेता उभर ही नहीं पाते
समाज में भागीदारी की भावना कमजोर होती है
छात्रसंघ लोकतंत्र की बुनियादी समझ को मजबूत करता है
जो आगे चलकर नागरिक जिम्मेदारी में तब्दील होती है
छात्रसंघ चुनाव को राजनीती की पहली सीढी माना जाता है यूनिवर्सिटी परिसरों में छात्रसंघ चुनाव नहीं होने से लोकतांत्रिक माहौल कमजोर होता हुआ नजर आ रहा है इसके नकारात्मक प्रभाव के चलते युवा पीठी की राजनैतिक समझ पर कमजोर पडती हुई नजर आ रही है आज देशभर के राजनैतिक दलों मे अहम ओहदे पर बैठ राजनेता प्रदेश की इन्ही यूनिवर्सिटियों से चुनाव जीतकर यहां पहुचे है
इस बार छात्रसंघ चुनाव होंगे या नहीं इसको लेकर अभी तक शंसय बरकरार है लेकिन छात्रसंगठन छात्रसंघ चुनाव की पुरजोर मांग कर रहे है