परमाणु डिफेंस संस्थान देहरादून के छात्रों ने उत्तराखंड गढ़वाल क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी नाग टिब्बा पर लहराया तिरंगा

परमाणु डिफेंस संस्थान देहरादून के छात्रों ने उत्तराखंड गढ़वाल क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी नाग टिब्बा पर लहराया तिरंगा

देहरादून: परमाणु डिफेन्स संस्थान देहरादून के छात्रों द्वारा 1 फरवरी को उत्तराखंड गढ़वाल क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी नाग टिब्बा को फ़तेह करके तिरंगा लहराया और उनके द्वारा हमारे देश के वीर शहीदों को ये सफलता समर्पित की गयी. गढ़वाल क्षेत्र में स्थित नाग टिब्बा चोटी उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है. इसकी ऊंचाई 9,915 फ़ीट है. परमाणु डिफेन्स संस्थान के सदस्यों द्वारा तिरंगा लहराते हुए एक्सक्लूसिव फोटो-वीडियो उपलब्ध करवाए. उनका कहना है कि उनके लिए ये अत्यंत गौरव का पल है. इससे पहले भी परमाणु संस्थान के छात्र इस तरह के ट्रैकिंग टूर पर जाते रहते हैं. इस ट्रैकिंग दल में लगभग 40 छात्रों और संस्थान के शिक्षकों द्वारा चढ़ाई की गयी थी. नाग टिब्बा चोटी 9915 फ़ीट की ऊंचाई पर है.

परमाणु संस्थान के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि नाग टिब्बा ट्रेक दुनिया भर के साहसिक प्रेमियों के लिए एक शानदार स्थान है. यहां से आपको स्वर्गरोहिणी, बंदरपूंछ, काला नाग, श्रीखंड महादेवऔर गंगोत्री जैसी बर्फ से ढकी हिमालय पर्वतमालाओं का 100 डिग्री का नजारा दिखाई देता है. नाग टिब्बा में नाग का अर्थ नाग देवता और ‘टिब्बा का अर्थ ऊंच शिखर या पहाड़ से है. मान्यता के अनुसार इस मंदिर में अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अपने पालतू जानवरों की सुरक्षा के लिए यहां पर प्रार्थना करने आते रहते हैं.

नाग टिब्बा की ट्रेकिंग करते समय पगडंडी के एक तरफ पहाड़ों की ऊंची चोटियों के साथ-साथ बहुत सारे चीड़ और देवदार के वृक्ष देखने को मिलें एवं दूसरी तरफ एक गहरी खाई, जिसे देखते हुए ट्रेक करने का एक अलग ही अंदाज होता है. यह ट्रेक मुख्य रूप से पहाड़ों पर कैंपिंग करने वालों और पहाड़ों पर खुद से खाना बनाकर खाने वालों की सबसे पहली पसंद है.ज्यादातर छात्रों के लिए इस तरह के ट्रेक पर जाना बहुत ही बेहतरीन अनुभव था और कई छात्रों के लिए पहला भी संस्थान के एक अधिकारी आशीष सक्सेना व् सदस्य नीतू द्वारा बताया गया की यहाँ का मौसम काफी ठंडा था और रात में तापमान -10 डिग्री से भी ऊपर दर्ज किया गया जिसके लिए सभी छात्रों को गरम कपडों और जैकेट्स की व्यवस्था करवाई गयी और दल के सभी सदस्यों के लिए गरम जल की व्यवस्था भी की गयी.

31 जनवरी की सुबह 7 बजे देहरादून से परमाणु संस्थान के छात्र और शिक्षकों का दल बस द्वारा नागटिब्बा चोटी के लिए प्रस्थान किया और लगभग दोपहर 12 बजे पंतवारी गाँव पहुंच गए जहा थोड़ी देर आराम करने और लंच करने के पश्चात परमाणु संस्थान के 40 सदस्यीय दल ने वहां के लोकल गाइडस की मदद से चोटी के तरफ चलना शुरू किया और लगभग 4 घंटे की लगातार चढाई के पश्चात पूरा ट्रेकिंग दल बेस कैंप 1 पर लगभग शाम को 5:00 बजे पहुंचने में सफल हो पाया. जहाँ पूरे दल के लिए चायपान और नाश्ते की व्यवस्था की गयी. रात्रि में बोन फायर के सामने सभी छात्रों व् दल के अन्य सदस्यों द्वारा अंताक्षरी व् नाच गाने का लुत्फ़ उठाते हुए अपनी थकान मिटाई. 

1 फरवरी की सुबह करीब 5:30 बजे दल के सभी सदस्यों द्वारा नाग टिब्बा चोटी की तरफ चलना प्रारम्भ करना शुरू किया गया तथा लगभग 4 घंटे की पुनः कठिन चढाई के पश्चात सबसे पहले नाग टिब्बा के प्रसिद्ध नाग मंदिर में पहुंचने और दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जहाँ पर चारों तरफ बर्फ से ढकी हुई सुंदर चोटियों किसी का भी मन मोह लेने के लिए काफी थी. जिसका सभी छात्रों द्वारा भरपूर आनंद उठाया गया. नाग मंदिर में कुछ देर विश्राम करने के पश्चात 40 सदस्यीय दल ने नाग टिब्बा समिट की तरफ प्रस्थान किया और लगभग एक घंटे की पुनः ट्रैकिंग के पश्चात नाग टिब्बा की बर्फीली चोटी पर परमाणु संस्थान के छात्रों और शिक्षकों द्वारा तिरंगा लहराकर इस दो दिवसीय ट्रेक को सफलतापूर्वक पूर्ण किया.

ये बेहद मुश्किल और शरीर को थका देने वाला टूर:
नाग टिब्बा के लोकल गाइडस के अनुसार ये बेहद मुश्किल और शरीर को थका देने वाला टूर होता है लेकिन इन बच्चो और स्टाफ द्वारा बहुत ही बेहतर और कम समय में इस टूर को पूर्ण किया गया जो वाकई काबिले तारीफ था इसके अलावा नाग टिब्बा शिखर के नजदीक काफी बर्फ भी देखी गयी .और रात का तापमान तेजी से गिर कर -10 डिग्री तक भी पहुंच गया था. हालांकि परमाणु संस्थान के छात्रों और सभी स्टाफ द्वारा इस ट्रिप पर आने से पहले देहरादून में भरपूर ट्रेनिंग की गयी थी, जिससे सभी रिकॉर्ड समय पर नाग टिब्बा समिट पर पहुंच पाए. इस अभियान में पंतवारी विलेज के लोकल गाइड्स, सभी अभिभावकों और परमाणु संसथान के स्टाफ मेंबर्स द्वारा भी काफी सहयोग किया गया.