सुप्रीम कोर्ट ने पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र पर 2022 के अपने आदेश में संशोधन किया

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2022 के अपने उस आदेश में बुधवार को संशोधन किया, जिसमें निर्देश दिया गया था कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों जैसे प्रत्येक संरक्षित के एक किलोमीटर के दायरे में पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) जरूर होना चाहिए. न्यायालय केंद्र द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दलील दी गई थी कि यदि निर्देशों में संशोधन नहीं किया गया तो पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र में रहने वाले लाखों लोगों को काफी परेशानी होगी.

सरकार ने दलील दी कि उसने नौ फरवरी, 2011 को राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभ्यारण्यों के चारों ओर के क्षेत्र को ‘ईएसजेड’ घोषित करने के लिए पहले ही दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं और ये दिशानिर्देश राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से परामर्श करने के बाद तैयार किये गये थे. सरकार ने कहा कि इसलिए, इस तरह के क्षेत्रों के सीमांकन पर न्यायालय के तीन जून 2022 के आदेश में संशोधन करने का अनुरोध किया गया है. न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य में और उनकी सीमा से एक किलोमीटर के दायरे में खनन की अनुमति नहीं होगी क्योंकि यह वन्यजीवों के लिए खतरनाक होगा. अदालत के 2022 के आदेश में ईएसजेड का सीमांकन करने के अलावा, देशभर में ऐसे उद्यानों और अभयारण्यों के भीतर खनन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.

न्यायालय ने पिछले साल जारी अपने आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि इसका निर्देश उन जगहों पर लागू नहीं होगा, जहां राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य अंतर-राज्यीय सीमाओं पर स्थित हैं और सीमाएं साझा करते हैं. न्यायालय ने कहा कि यह आदेश पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के संबंध में मसौदा और अंतिम अधिसूचनाओं तथा मंत्रालय द्वारा प्राप्त प्रस्तावों के संबंध में भी लागू नहीं होगा. न्यायालय ने केंद्र को यह भी निर्देश दिया कि वह मसौदा अधिसूचना को व्यापक रूप से प्रचारित करे, ताकि सभी लोगों को इसके बारे में जानकारी मिल सके. सोर्स- भाषा