नई दिल्ली: राजस्थान सरकार को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें उसे राज्य में ठोस और तरल कचरे के कथित अनुचित प्रबंधन के चलते पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 3,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था.
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने राजस्थान सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी की दलीलों पर ध्यान दिया और एनजीटी के 15 सितंबर के आदेश पर रोक लगा दी. सिंघवी ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कहा कि राजस्थान ने इस संबंध में कदम उठाए हैं.
राज्य के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था:
राज्य सरकार ने अपनी याचिका में एनजीटी के अंतरिम आदेश को रद्द करने का आग्रह किया था. एनजीटी ने अपने आदेश में प्रदूषण में योगदान देने और अपने संवैधानिक कर्तव्यों में विफल रहने के लिए राज्य के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था तथा राज्य में ठोस और तरल कचरे के कथित अनुचित प्रबंधन के चलते पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 3,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था. सोर्स-भाषा