जयपुर: जयपुर RTO प्रथम कार्यालय की ओर से मोटर ड्राइविंग स्कूलों पर किए गए औचक निरीक्षण में भारी खामियां उजागर हुई हैं. आरटीओ राजेंद्र सिंह शेखावत के निर्देश पर गठित 5 विशेष टीमों ने हाल ही में 45 मोटर ड्राइविंग स्कूलों का भौतिक निरीक्षण किया. इस जांच में कई गंभीर गड़बड़ियां सामने आईं हैं. RTO की ओर से गठित टीमों की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 14 मोटर ड्राइविंग स्कूल अपने रजिस्टर्ड पते पर संचालित ही नहीं मिले. यानी यह स्कूल केवल कागजों पर चल रहे थे और इनका वास्तविक संचालन कहीं और हो रहा था या बिल्कुल ही नहीं हो रहा था. इसके अलावा, जांच के दौरान सामने आया कि 100 से अधिक वाहन केवल दस्तावेजों में ही सक्रिय दिखाए गए थे, जबकि वास्तविकता में ये वाहन या तो पंद्रह वर्ष से अधिक पुराने थे, जिनका संचालन संभव नहीं था, या फिर निजी नंबर प्लेट वाले वाहनों को टैक्सी के रूप में दिखाकर प्रशिक्षण में उपयोग किया जा रहा था.
जांच में इन गड़बड़ियों के सामने आने पर RTO प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 102 वाहनों को पोर्टल से डिलीट कर दिया. इससे साफ हो गया कि कई ड्राइविंग स्कूल प्रशिक्षण देने के नाम पर नियमों की खुली अवहेलना कर रहे थे. निजी वाहनों को टैक्सी के रूप में उपयोग करना न केवल नियम विरुद्ध है, बल्कि सड़क सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक साबित हो सकता है. RTO प्रथम ने इस कार्रवाई को गंभीरता से लेते हुए अब 14 स्कूलों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इन संस्थानों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया जा रहा है. यदि इनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया जाता है, तो संबंधित मोटर ड्राइविंग स्कूलों का निलंबन भी किया जा सकता है.
विभाग ने यह भी पाया कि कुछ स्कूल भारी वाहनों (हेवी व्हीकल्स) के प्रशिक्षण के लिए जारी किए जाने वाले फॉर्म-5 का भी दुरुपयोग कर रहे हैं. इस दिशा में भी जांच शुरू की गई है. प्रारंभिक जांच से संकेत मिले हैं कि बिना पर्याप्त साधन-सुविधाओं और मानकों का पालन किए भारी वाहनों का प्रशिक्षण दिया जा रहा था. यदि इसमें गड़बड़ी साबित होती है तो दोषी संस्थानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. RTO राजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मोटर ड्राइविंग स्कूलों की गतिविधियों पर अब और सख्ती से निगरानी रखी जाएगी.
ड्राइविंग स्कूल सड़क सुरक्षा की पहली कड़ी हैं. यदि यही संस्थान प्रशिक्षण के नाम पर लापरवाही बरतेंगे तो सड़क पर दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाएगी. विभाग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वही स्कूल मान्यता प्राप्त रहें, जो सभी नियमों और मानकों का पालन कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ड्राइविंग स्कूलों की अनियमितताओं पर यह कार्रवाई एक बड़ा संदेश है. इससे न केवल फर्जी संस्थानों पर लगाम लगेगी, बल्कि सड़क सुरक्षा को लेकर लोगों का भरोसा भी मजबूत होगा.