नई दिल्लीः चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन सूरज पर अपना मिशन 2 सितंबर को लॉन्च करने जा रहा हैं. मिशन सूर्ययान को सुबह 11ः50 पर लॉन्च किया जायेगा, श्रीहरिकोट से इसका प्रक्षेपण किया जायेगा. जिसकी जानकारी खुद इसरो ने दी है.
23 अगस्त को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद ही भारत ने इतिहास रचते हुए चांद के साउथ पोल पर लैंड किया है इसके साथी ही भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है. चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद ही इसकी घोषणा कर दी थी हालांकि आदित्य एल-1 को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं कि गयी थी कि इसे कब और कितनी बजे लॉन्च किया जायेगा. ऐसे में इसरो द्वारा सोमवार को जानकारी देते हुए बताया गया कि सूरज पर मिशन को 2 सितंबर को सुबह 11ः50 बजे लॉन्च किया जायेगा.
सूर्ययान अंतरिक्ष आधारित पर्यवेक्षण श्रेणी में रखाः
अपने केंद्रीय क्षेत्र में 1.5 करोड़ डिग्री व सतह पर 5,500 डिग्री सेल्सियस तापमान रखने वाले सूर्य पर भौतिक रूप से मिशन भेजना संभव नहीं है. अत्यधिक तापमान के कारण इसमें लगातार हल्के नाभिकों का आपस में जुड़ भारी तत्व का नाभिक बनाना होता है. ऐसे में इस अभियान को अंतरिक्ष आधारित पर्यवेक्षण श्रेणी में रखा है.
भारत का आदित्य एल1 अभियान सूर्य की अदृृश्य किरणों और सौर विस्फोट से निकली ऊर्जा के रहस्य सुलझाएगा. वहीं इसके माध्यम से अन्य तारों और आकाश गंगा के बारें में भी पता लगाने में मदद होगी.
सात उपकरणों के साथ भरेगा उड़ानः
विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ: यह सूर्य के कोरोना और उत्सर्जन में बदलावों का अध्ययन करेगा.
सोलर अल्ट्रा-वॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप: यह सूर्य के फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेगा. यह निकट-पराबैंगनी श्रेणी की तस्वीरें होंगी. यह रोशनी लगभग अदृश्य होती है.
सोलेक्स और हेल1ओएस: सोलर लो-एनर्जी एक्स रे स्पेक्ट्रोमीटर (सोलेक्स) और हाई-एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स रे स्पेक्ट्रोमीटर (हेल1ओएस) बंगलूरू स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर ने बनाए. इनका काम सूर्य एक्सरे का अध्ययन है.
एसपेक्स और पापा: इनका काम सौर पवन का अध्ययन और ऊर्जा के वितरण को समझना है.
मैग्नेटोमीटर: यह एल1 कक्षा के आसपास अंतर-ग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापेगा.