जयपुर: जे.के.लोन हॉस्पिटल में लाल खून के काले कारोबार के खेल ने चिकित्सा महकमे के होश उड़ा दिए है. प्रशासन ने प्रकरण में जैसे ही लैब टेक्निशियन किशन सहाय कटारिया को दबोचा, तो साफ हुआ कि सरकारी ब्लड बैंक से प्लाज्मा चोरी होकर निजी ब्लड बैंक में सप्लाई होता था. इतना ही नहीं, प्रकरण के खुलासे से कई दूसरे कार्मिंक भी संदेह के घेरे में आ गए है.
दरअसल,जे.के. लोन हॉस्पिटल से प्लाज्मा चोरी के मामले में कई कार्मिंक सवालों के घेरे में आ गए है. हॉस्पिटल में शनिवार को लैब टेक्निशियन किशन सहाय कटारिया रंगे हाथों पकड़ा है, जिसका सम्पर्क हॉस्पिटल के पास ही एक निजी ब्लड बैंक से बताया जा रहा है. प्लाज्मा चोरी के इस खेल में एसएमएस अस्पताल से लेकर अन्य कई जगहों के कार्मिकों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है. क्योंकि ब्लड बैंक प्रभारी सतेन्द्र सिंह ने चोरी का कबुलनामा होने के 24 घंटे बाद तक प्रशासन को सूचना नहीं दी. जब फर्स्ट इंडिया ने खबर चलाई तो आनन-फानन में सूचना प्रशासन को भेजी गई. खुद अस्पताल प्रशासन ने इसे बड़ी लापरवाही माना है. अस्पताल अधीक्षक डॉ कैलाश मीणा के निर्देश पर ब्लड बैंक प्रभारी सतेन्द्र सिंह को जेके लोन अस्पताल से हटाया गया है, साथ ही उन्हें नोटिस देकर सूचना में देरी के लिए जवाब भी मांगा है.
JK लोन अस्पताल के ब्लड बैंक के स्टॉक का होगा सत्यापन
अस्पताल में प्लाज्मा चोरी प्रकरण को लेकर एसीएस सख्त
एसीएस शुभ्रा सिंह के निर्देश पर मुख्यालय से गठित की गई कमेटी
कमेटी में अतिरिक्त निदेशक अस्पताल प्रशासन डॉ. सुशील कुमार परमार,
उप वित्तीय सलाहकार सुरेश चंद जैन, अतिरिक्त निदेशक एड्स डॉ.केसरी सिंह
औषधि नियंत्रक-प्रथम डॉ. अजय फाटक को किया गया है शामिल
यह कमेटी अस्पताल के ब्लड बैंक के स्टॉक का सत्यापन एवं ऑडिट करेगी
साथ ही, सीसीटीवी फुटेज आदि के माध्यम से अनुसंधान कर तीन दिन में देगी रिपोर्ट
ब्लड बैंकों की गुणवत्ता सुधार के लिए बनेगी नई पॉलिसी
अस्पताल में प्लाज्मा चोरी प्रकरण को लेकर एसीएस सख्त
एसीएस शुभ्रा सिंह ने जांच कमेटी गठित करने के साथ ही दी जानकारी
सिंह ने बताया कि ब्लड बैंकों की गुणवत्ता में सुधार के प्रति विभाग गंभीर
29 अप्रेल को ही हाईलेवल बैठक आयोजित कर लिए गए थे अहम फैसले
बैठक में राज्य के समस्त ब्लड बैंकों के गुणवत्ता सुधार एवं
निर्धारित मानकों के अनुरूप संचालन के लिए नई पॉलिसी के दिए थे निर्देश
साथ ही, सभी ब्लड बैंकों को एक सॉफ्टवेयर से जोड़ने के भी निर्देश दिए थे
ताकि इनका रियल टाइम ऑनलाइन असेसमेंट हो सके और
आमजन को रक्त उपलब्धता की जानकारी पारदर्शिता के साथ ऑनलाइन ही मिल सके
उन्होंने कहा कि जेके लोन अस्पताल में सामने आए प्रकरण की गहन से होगी जांच-पड़ताल
जांच में दोषी पाए जाने वाले कार्मिकों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी
इतना ही नहीं, भविष्य में ब्लड बैंकों में अनियमितताएं नहीं हों
इसके लिए एक मजबूत ब्लड ट्रांसफ्यूजन सिस्टम तैयार किया जा रहा है
इससे पारदर्शिता बढ़ने के साथ ही मरीजों को सुगमतापूर्वक रक्त एवं रक्त अवयव उपलब्ध हो सकेंगे
इस पूरे मामले में चिकित्सा विभाग ने हाईलेवल कमेटी गठित की है. कमेटी इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए हॉस्पिटल के सीसीटीवी फुटेज देखेगी. इसके अलावा किस-किस स्टाफ की कब-कब ड्यूटी ब्लड बैंक में लगी है इसको लेकर भी पूरा रिकॉर्ड देखकर उसकी जांच करेगी और स्टाफ के बयान और पूछताछ के आधार पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. ब्लड बैंक से जुड़े एक्सपर्ट्स ने बताया कि चोरी किया गया प्लाज्मा मरीजों के उपयोग का नहीं होता. इस प्लाज्मा को फार्मा कंपनियां मेडिकल रिलिफ सोसायटी के जरिए खरीदती है. इस प्लाज्मा से दवाईयां, प्रोटीन समेत अन्य सप्लीमेंट्स बनाए जाते है. सूत्रों की माने तो लैब टेक्नीशियन कृष्णकांत कटारिया इस प्लाज्मा को चोरी करने के बाद एक निजी ब्लड बैंक को देता था.
Jk लोन अस्पताल में प्लाज्मा चुराने का प्रकरण
प्रकरण को लेकर अस्पताल की कमेटी ने शुरू की जांच
जांच कमेटी सदस्य आईएचटीएम एचओडी डॉ बीएस मीणा ने दी जानकारी
एक लीटर प्लाज्मा 3300 से लेकर 3900 रुपए में बिकता है
अस्पताल द्वारा फेक्सीनेशन यूनिट को बेचा जाता है प्लाज्मा
टेंडर करके फेक्सीनेशन यूनिट को बेचा जाता है प्लाज्मा
फेक्सीनेशन यूनिट प्लाज्मा से निकालती है प्रोटीन
हर साल SMS मेडीकल कॉलेज से क़रीब चार करोड का बेचा जाता है प्लाज्मा
घटनाक्रम की गंभीरता को देखते हुए जेके लोन अस्पताल प्रशासन कल देर रात पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करा दी है. इसके साथ ही अस्पताल व चिकित्सा मुख्यालय के स्तर पर गठित जांच टीमों ने भी अपनी पड़ताल शुरू कर दी है. ऐसे में उम्मीद है कि आरोपी से पूछताछ में कई बड़े खुलासे होंगे. साथ ही रक्त की दलाली में लिप्त सरकारी और निजी लोगों पर भी शिकंजा कंसा जा सकेगा.