जयपुरः सवाई मानसिंह अस्पताल में निर्माणाधीन आईपीडी टावर प्रोजेक्ट करीब एक साल पीछे चला गया है. प्रोजेक्ट में हो रही भारी लेटलतीफी के कारण इस प्रोजेक्ट के इस नवंबर के बजाए अगले नवंबर तक पूरा होने की आशंका है. साथ ही प्रोजेक्ट वहीं प्रोजेक्ट की मुंह बाए खड़ी चुनौतियों से पार पाने की कवायद भी फिलहाल परवान नहीं चढ़ पाई. आखिर क्यों हैं इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के ये हालात.
देश के सबसे ऊंचे मेडिकल टावर के तौर पर पिछली कांग्रेस सरकार के समय यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. देश भर के नामी चिकित्सकों की मौजूदगी में 5 अप्रेल 2022 को इसका शिलान्यास किया था. आपको सबसे पहले 6 सौ करोड़ रुपए से अधिक लागत के इस प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी देते हैं.
-आईपीडी टावर प्रोजेक्ट का जब शिलान्यास किया गया था तब इसकी मूल लागत 456 करोड़ रुपए थी
-बाद में प्रोजेक्ट की डिजाइन में कई बदलाव करते हुए तीन सर्विस फ्लोर भी डिजाइन में जोड़े गए
-इसके चलते कांग्रेस सरकार के समय ही इसकी लागत बढ़ने के कारण 60 करोड़ रुपए और स्वीकृत किए गए
-इस प्रोजेक्ट को प्रारंभिक मूल डिजाइन के अनुसार पूरा बनाने के लिए 99 करोड़ रुपए की और दरकार है
-इस लिहाज से इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 615 करोड़ रुपए है
-इस प्रोजेक्ट में दो बेसमेंट,ग्राऊंड फ्लोर और ऊपरी 24 मंजिलें प्रस्तावित है
-इसमें बाद में शामिल हुई तीन सर्विस फ्लोर हटा दें तो मूलत: यह प्रोजेक्ट 24 मंजिला ही है
-इस आईपीडी टावर में 1243 बेड, 20 ऑपरेशन थिएटर, 4 कैथ लैब, 100 ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर
-और विश्व स्तरीय मोर्चरी की सुविधा प्रस्तावित है
-आपात स्थिति के लिए टावर के छत पर हेलीपैड भी बनाया जाना है
-प्रोजेक्ट का काम पूरा करने की तिथि नवंबर 2024 है
-मौजूदा सरकार ने इस प्रोजेक्ट की समीक्षा का फैसला किया
-मुख्य सचिव सुधांश पंत की अध्यक्षता में नगरीय विकास विभाग की हुई समीक्षा बैठक में इस पर चर्चा हुई
-इस 11 जून को प्रोजेक्ट की एम्पावर्ड कमेटी की हुई बैठक में प्रोजेक्ट को पूरा 24 मंजिला ही बनाने का फैसला किया गया.
प्रोजेक्ट की एम्पावर्ड कमेटी की इस 11 जून को हुई बैठक में चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर, नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा,नगरीय विकास विभाग,चिकित्सा शिक्षा विभाग,जेडीए,सवाई मानसिंह अस्पताल व आवासन मंडल के आला अधिकारी मौजूद थे. इस बैठक में सैंद्धांतिक तौर पर यह फैसला किया गया कि इस प्रोजेक्ट को अपने मूल डिजाइन के मुताबिक 24 मंजिला ही बनाया जाएगा. आपको बताते हैं कि प्रोजेक्ट को लेकर इस बैठक में क्या फैसले किए गए थे.
-प्रोजेक्ट को 24 मंजिला बनाने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग जल्द जेडीए को 99 करोड़ रुपए देगा
-आवासन मंडल भी प्रोजेक्ट में अपनी हिस्सेदारी की बकाया राशि 163.42 करोड़ रुपए देगा
-इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा विभाग अपनी हिस्सेदारी की पहले से चल रही बकाया राशि 50.48 करोड़ रुपए भी देगा
-बैठक में यह भी तय किया गया जब तक आवासन मंडल और चिकित्सा शिक्षा विभाग अपनी बकाया राश नहीं देते
-तब तक जेडीए इस 24 मंजिला प्रोजेक्ट की 15 वीं मंजिल तक ही काम करेगा
-इसके ऊपर की मंजिलों का निर्माण नहीं किया जाएगा
-प्रोजेक्ट में यह निर्णय लिया गया कि प्रोजेक्ट को लेकर आवश्यक राशि जल्द जुटाई जाएगी
प्रोजेक्ट की एम्पावर्ड कमेटी की बैठक हुए साढ़े तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है. इसके बावजूद प्रोजेक्ट के हालात जस के तस हैं. आपको बताते हैं कि एम्पावर्ड कमेटी के फैसलों पर कितना हुआ काम और क्यों ये प्रोजेक्ट करीब एक साल आगे खिसक गया है.
-एम्पावर्ड कमेटी के फैसले के अनुसार प्रोजेक्ट के लिए कुल 312.90 करोड़ रुपए की राशि दी जानी थी
-लेकिन हकीकत यह है कि अब तक जेडीए को इसमें से एक रूपया भी नहीं मिला है
-हांलाकि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 37.24 करोड़ रुपए मंजूर तो कर दिए हैं
-यह राशि भी अब तक जेडीए के खाते में जमा नहीं हुई
-प्रोजेक्ट के लिए जितनी राशि की जरूरत है, उसका दस प्रतिशत से कुछ अधिक राशि मिलने के आसार हुए हैं
-लेकिन यह राशि प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के लिए काफी नहीं हैं
-इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की डेडलाइन इस वर्ष नवंबर है
-इस 24 मंजिला इमारत में कॉलम और बीम स्टील के लगाए जा रहे हैं
-पैसा नहीं मिलने के कारण इनका प्रोक्योरमेंट नहीं किया जा रहा है
-इनका प्रोक्योरमेंट रेगुलर रहता तो ऊपरी मंजिलें चढ़ाने का काम लगातार चलता रहता
-मौके पर जेडीए की ओर से 14 मंजिला और तीन अतिरिक्त सर्विस फ्लोर का निर्माण किया जा चुका है
-14 वीं मंजिल के ऊपर एक सर्विस फ्लोर तक टावर का ढांचा खड़ा हो चुका है
-एम्पावर्ड कमेटी के फैसले के अनुसार और मंजिल चढ़ाने के बजाए जेडीए निचली मंजिलों की फिनिशिंग का काम कर रहा है
-विशेषज्ञों के मुताबिक अगर समस्त आवश्यक राशि अब भी मिल जाती है तो भी
-स्टील के कॉलम और बीम का प्रोक्योरमेंट रेगुलर होने में काफी समय लगेगा
-ऐसे में विशेषज्ञ पूरी आशंका जता रहे हैं कि प्रोजेक्ट अब अगले साल नवंबर तक ही पूरा हो पाए
आईपीडी टावर प्रोजेक्ट के लिए धन की आवश्यकता के साथ प्रोजेक्ट की संपर्क सड़क को चौड़ा करना और पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था किया जाना भी जरूरी है. आपको बताते हैं कि सड़क चौड़ी करना और पार्किंग की व्यवस्था आखिर क्या हैं जरूरी और इस दिशा में अब तक कितना काम हुआ है.
-आईपीडी टावर से लगती जेएलएन मार्ग और टोंक रोड को जोड़ने वाली सड़क मौके पर महज 50 फीट है
-इस सड़क को 100 फीट चौड़ा किया जाना है
-सवाई मानसिंह अस्पताल राजस्थान का ही सबसे बड़ा अस्पताल नहीं बल्कि उत्तर भारत के प्रमुख अस्पतालों में शुमार है
-इसके चलते यहां राजस्थान और इसके बाहर के राज्यों के मरीज बड़ी संख्या में इलाज के लिए आते हैं
-आईपीडी टावर से लगती जेएलएन मार्ग और टोंक रोड को जोड़ने वाली सड़क मौके पर महज 50 फीट है
-इस अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों की भारी भीड़ के चलते इस सड़क को 100 फीट चौड़ा किया जाना है
-पिछली कांग्रेस सरकार में यह प्रोजेक्ट शुरू तो कर दिया गया लेकिन यहां आने वाले लोगों के लिए पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गई
-जानकारों के अनुसार यहां मरीजों का बढ़ता भार देखते हुए बड़ी संख्या में वाहनों की क्षमता के पार्किंग स्थल की आवश्यकता है
-सड़क को चौड़ा नहीं किया गया और पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गई
-तो यह आईपीडी टावर मरीजों और उनके परिजनों की सुविधा के बजाए बड़ी परेशानी का कारण बन जाएगा
-प्रोजेक्ट की एम्पावर्ड कमेटी की बैठक में तय किया गया था कि सड़क को चौड़ा करने के लिए महाराजा कॉलेज परिसर की जमीन ली जाएगी
-इसके लिए राज्य सरकार उच्च स्तर पर विचार कर फैसला किया जाएगा
-लेकिन इस मामले में अब तक फिलहाल कोई ठोस कार्यवाही शुरू नहीं की गई है
-कमेटी की बैठक में पार्किंग स्थल के निर्माण की योजना पर भी जल्द काम शुरू करने पर सहमति जताई गई थी
-चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पार्किंग स्थल विकसित करने के लिए करीब 117 करोड़ रुपए का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा है
-प्रस्ताव में 800 से 1000 चौपहिया वाहनों की पार्किंग स्थल के निर्माण के लिए विभिन्न विकल्प दिए गए हैं
-लेकिन अभी तक यह तय नहीं हुआ है पार्किंग कहां बनेगी और कौनसी एजेंसी बनाएगी.