जयपुर: हिंदू धर्म में एकादशी को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है जो व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति इस लोक में समस्त सुख भोगकर मृत्य के बाद स्वर्ग में स्थान पाता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं. ये महीने में दो बार आती है. एक शुक्ल पक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद. पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं. इस तरह साल 24 एकादशी तिथियों को अलग-अलग नाम दिए गए हैं. हर एकादशी का अपना अलग महत्व है. हिंदू धर्म व्रतों और त्योहारों का विशेष महत्व है. एकादशी व्रत का भी सभी व्रत में विशेष महत्व है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी व्रत हर माह में 2 बार पड़ता है एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में. इस तरह से साल में 24 एकदशी पड़ती हैं.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस व्रत की महिमा स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी. एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को मोक्ष मिलता है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं, दरिद्रता दूर होती है, अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता, शत्रुओं का नाश होता है, धन, ऐश्वर्य, कीर्ति, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है
यज्ञ से भी ज्यादा फल देता है एकादशी व्रत:
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों के मुताबिक, एकादशी को हरी वासर यानी भगवान विष्णु का दिन कहा जाता है. विद्वानों का कहना है कि एकादशी व्रत यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है. पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मिलने वाले पुण्य से पितरों को संतुष्टि मिलती है. स्कंद पुराण में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है. इसको करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं.
पुराणों और स्मृति ग्रंथ में एकादशी व्रत:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि स्कन्द पुराण में कहा गया है कि हरिवासर यानी एकादशी और द्वादशी व्रत के बिना तपस्या, तीर्थ स्थान या किसी तरह के पुण्याचरण द्वारा मुक्ति नहीं होती. पदम पुराण का कहना है कि जो व्यक्ति इच्छा या न चाहते हुए भी एकादशी उपवास करता है, वो सभी पापों से मुक्त होकर परम धाम वैकुंठ धाम प्राप्त करता है. कात्यायन स्मृति में जिक्र किया गया है कि आठ साल की उम्र से अस्सी साल तक के सभी स्त्री-पुरुषों के लिए बिना किसी भेद के एकादशी में उपवास करना कर्त्तव्य है. महाभारत में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सभी पापों ओर दोषों से बचने के लिए 24 एकादशियों के नाम और उनका महत्व बताया है.
एकादशी व्रत का महत्व:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक संस्कृति में प्राचीन काल से ही योगी और ऋषि इन्द्रिय क्रियाओं को भौतिकवाद से देवत्व की ओर मोड़ने को महत्व देते आ रहे हैं. एकादशी का व्रत उसी साधना में से एक है. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार एकादशी में दो शब्द होते हैं एक (1) और दशा (10). दस इंद्रियों और मन की क्रियाओं को सांसारिक वस्तुओं से ईश्वर में बदलना ही सच्ची एकादशी है. एकादशी का अर्थ है कि हमें अपनी 10 इंद्रियों और 1 मन को नियंत्रित करना चाहिए. मन में काम, क्रोध, लोभ आदि के कुविचार नहीं आने देने चाहिए. एकादशी एक तपस्या है जो केवल भगवान को महसूस करने और प्रसन्न करने के लिए की जानी चाहिए.
2024 के एकादशी व्रत:
तारीख और एकादशी का नाम
पौष माह
• सफला एकादशी (कृष्ण पक्ष) - 7 जनवरी 2024
• पौष पुत्रदा एकादशी (शुक्ल पक्ष) - 21 जनवरी 2024
माघ माह
• षटतिला एकादशी (कृष्ण पक्ष) - 6 फरवरी 2024
• जया एकादशी (शुक्ल पक्ष) - 20 फरवरी 2024
फाल्गुन माह
• विजया एकादशी (कृष्ण पक्ष) - 6 मार्च 2024
• आमलकी एकादशी (शुक्ल पक्ष) - 20 मार्च 2024
चैत्र माह
• पापमोचिनी एकादशी (कृष्ण पक्ष) - 5 अप्रैल 2024
• कामदा एकादशी (शुक्ल पक्ष) - 19 अप्रैल 2024
वैशाख माह
• बरूथिनी एकादशी (कृष्ण पक्ष) - 4 मई 2024
• मोहिनी एकादशी - 19 मई 2024
ज्येष्ठ माह
• अपरा एकादशी (कृष्ण पक्ष) - 2 जून 2024
• निर्जला एकादशी (शुक्ल पक्ष) - 18 जून 2024
आषाढ़ माह
• योगिनी एकादशी (कृष्ण पक्ष) - 2 जुलाई 2024
• देवशयनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) - 17 जुलाई 2024
सावन माह
• कामिका एकादशी (कृष्ण पक्ष) - 31 जुलाई 2024
• सावन पुत्रदा एकादशी (शुक्ल पक्ष) - 16 अगस्त 2024
भाद्रपद माह
• अजा एकादशी (कृष्ण पक्ष)- 29 अगस्त 2024
• परिवर्तिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) - 14 सितंबर 2024
अश्विन माह
• इंदिरा एकादशी (कृष्ण पक्ष) - 28 सितंबर 2024
• पापांकुशा एकादशी (शुक्ल पक्ष) - 13 अक्टूबर 2024
कार्तिक माह
• रमा एकादशी (कृष्ण पक्ष)- 28 अक्टूबर 2024
• देवउठनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) - 12 नवंबर 2024
मार्गशीर्ष माह
• उत्पन्ना एकादशी (कृष्ण पक्ष) - 26 नवंबर 2024
• मोक्षदा एकादशी (शुक्ल पक्ष) - 11 दिसंबर 2024