जयपुर : राजस्थान में हर साल मानसून के आगमन के साथ ही टाइगर रिजर्व्स के कोर क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों पर तीन महीने का ब्रेक लग जाता है. इस वर्ष भी एक जुलाई से रणथंभौर, सरिस्का और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कोर जोन बंद कर दिए हैं. यह प्रतिबंध 30 सितंबर तक लागू रहेगा. इस दौरान पर्यटकों के लिए केवल बफर जोन ही खुले रहेंगे.
वन विभाग के आदेश के अनुसार रणथंभौर टाइगर रिजर्व के जोन 6 से 10 तक पर्यटन की अनुमति बनी रहेगी, जबकि सरिस्का में टहला, सदर और बफर रूट पर पर्यटक सफारी का आनंद ले सकेंगे. रामगढ़ विषधारी में एकमात्र बफर रूट को खुला रखा गया है, लेकिन कोर जोन में पूर्ण प्रतिबंध लागू होगा. इस कदम का उद्देश्य वन्यजीवों को प्राकृतिक प्रजनन और आवासीय सुरक्षा प्रदान करना है. लेकिन इन बंदिशों के बीच जयपुर स्थित झालाना लेपर्ड सफारी और आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व पर्यटन के आकर्षण केंद्र बने रहेंगे. दोनों शहरी सफारी स्थल अब मानसून सीजन में वाइल्डलाइफ प्रेमियों के लिए ‘मोस्ट वांटेड डेस्टिनेशन’ बनते जा रहे हैं.
झालाना – शहरी जंगल का बेजोड़ उदाहरण
राजधानी जयपुर के बीचोंबीच स्थित झालाना लेपर्ड रिजर्व देश का पहला आधिकारिक शहरी लेपर्ड सफारी पार्क है. यहां लगभग 45 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले जंगल में 35 से अधिक तेंदुए निवास करते हैं. विशेष बात यह है कि यहां तेंदुओं की साइटिंग दर 90% से अधिक रहती है, जो इसे रणथंभौर और सरिस्का के समकक्ष खड़ा करती है. कोर जोन बंद होते ही झालाना में बुकिंग की मांग बढ़ जाती है. इस बार भी जुलाई के पहले सप्ताह की अधिकांश स्लॉट पहले से फुल हो चुके हैं. वन विभाग ने झालाना में पर्यटन प्रबंधन के लिए विशेष मॉनसून गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनमें पर्यटकों को सफारी के दौरान शोर ना मचाने, निर्धारित ट्रेल पर रहने और वन्यजीवों को परेशान ना करने की सख्त हिदायत दी गई है.
आमागढ़ – उभरता हुआ लेपर्ड डेस्टिनेशन
जयपुर के आमेर क्षेत्र में स्थित आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व अब झालाना का विकल्प बनता जा रहा है. यह क्षेत्र प्राकृतिक विविधता और जैविक श्रृंखला की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है. हाल ही में किए गए कैमरा ट्रैप सर्वे में आमागढ़ में भी 10 से अधिक तेंदुओं की मौजूदगी दर्ज की गई है. यहां की पर्वतीय भौगोलिक संरचना और शहरी इलाकों से निकटता इसे रोमांचकारी अनुभव का केंद्र बनाती है. वन विभाग ने आमागढ़ में भी सफारी संचालन के लिए कुछ निजी एजेंसियों को अधिकृत किया है. जुलाई से सितंबर के दौरान यहां पर्यटकों की संख्या में 40% तक वृद्धि की संभावना जताई गई है.
पर्यटन विभाग की तैयारियां और रणनीति
राज्य पर्यटन विभाग और आरटीडीसी ने झालाना और आमागढ़ को प्रमोट करने के लिए विशेष डिजिटल अभियान चलाने की योजना बनाई है. मानसून सीजन में राज्य के वन्यजीव पर्यटन को गति देने के लिए ये दो स्थल सबसे उपयुक्त विकल्प माने जा रहे हैं. विभाग जल्द ही “शहरी जंगल – वाइल्ड जयपुर” नाम से एक नया पैकेज भी लॉन्च करने वाला है, जिसमें झालाना, आमागढ़, नाहरगढ़ और चुलगिरी को जोड़ा जाएगा. जहां एक ओर मानसून के कारण प्रदेश के टाइगर रिजर्व्स में तीन महीने का विराम लगेगा, वहीं दूसरी ओर झालाना और आमागढ़ जैसे शहरी लेपर्ड रिजर्व राजस्थान के वन्यजीव पर्यटन को नई दिशा देंगे. यह न केवल इको-टूरिज्म को बढ़ावा देगा, बल्कि शहरी जनता को वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता और संरक्षण की भावना से जोड़ने का भी काम करेगा. आगामी दिनों में इन दो स्थलों की भूमिका राजस्थान के मानसूनी पर्यटन में अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होने वाली है.