जयपुर: जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया को मिनरल एक्सप्लोरेशन के दौरान सीकर जिले के दरीबा में खनिज बेसमेटल के भण्डार मिले हैं वहीं हनुमानगढ़ के जोखिया साउथ ब्लॉक और खुनजा नार्थ ब्लॉक में पोटाश के भण्डार मिले हैं. जीएसआई ने सीकर क्षेत्र में जी 2 स्तर और हनुमानगढ़ के क्षेत्र में जी 3 स्तर की खोज पूरी कर ली है जिससे इन क्षेत्रों में नीलामी की आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर अब खनन लीज के लिए ऑक्शन की कार्यवाही की जा सकती है.
एसीएस माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल को राज्य व केन्द्र सरकार के ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप की बैठक के दौरान जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया के उपमहानिदेशक रामजीवन ने एक्सप्लोरेशन रिपोर्ट दी. उन्होंने बताया कि प्रदेश में खनिज खोज कार्य खनिज विभाग के साथ ही केन्द्र सरकार के जीएसआई, एमईसीएल, आईबीएम सहित संस्थाओं द्वारा एक्सप्लोरेशन रिपोर्ट सबमिट की जाती है. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि जीएसआई की रिपोर्ट के अनुसार सीकर जिले के दरीबा ब्लॉक में जी 2 स्तर के एक्सप्लोरेशन के परिणाम स्वरुप 0.33 प्रतिशत कॉपर बेसमेटल के 2.81 मिलियन टन भण्डार होने की संभावना है तो दूसरी और नागौर-गंगानगर बेसिन के हनुमानगढ़ के सतीपुरा सब बेसिन में जी 3 के एक्सप्लोरेशन के परिणाम स्वरुप खनिज पोटाश के करीब 340 मिलियन टन के भण्डार मिले हैं.
डॉ. सुबोध अग्रवाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि समयवद्ध कार्ययोजना बनाकर इन ब्लॉकों के ऑक्शन की आवश्यक कार्यवाही प्राथमिकता से पूरी की जाए ताकि बेसमेटल व पोटाश जैसे बहुमूल्य खनिजों का दोहन हो सके, विदेश से आयात पर निर्भरता कम हो और प्रदेश में राजस्व में बढ़ोतरी हो सके. निदेशक माइंस संदेश नायक ने बेसमेटल और पोटाश के भण्डार मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन ब्लॉकों की खनन लीज के लिए ऑक्शन की कार्यवाही में तेजी लाई जाएगी. उन्होंने बताया कि प्रदेश में खनिज खाोज और खनन दोनों ही कार्यों को गति मिली है और उसके सकारात्मक परिणाम आने लगे हैं. वर्चुअल बैठक में भारत सरकार के निदेशक माइंस प्रदीप सिंह ने केन्द्र सरकार द्वारा आवश्यक सहयोग का विश्वास दिलाया.
ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप की बैठक में डीएस नीतू बारुपाल, अतिरिक्त निदेशक अनिल वर्मा, एसजी संजय गोस्वामी, जीएसआई के निदेशक तकनीकी डॉ.शैलेन्द्र कुलश्रेष्ठ व विेवेक शर्मा के साथ ही एमईसीएल के प्रदीप कुलकर्णी, अतिरिक्त निदेशक जीएस निर्वाण व वन विभाग व माइंस विभाग के अधिकारियों ने भी वर्चुअली हिस्सा लिया. उम्मीद की जा रही है कि इस नई खोज से प्रदेश में खनन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी और राज्य सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी.