तुर्किए-सीरिया भूकंप: हर तरह के भूकंप के लिए तैयारी जरूरी

लंदन: छह फरवरी को गज़ियांटेप के नजदीक आए 7.8 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद के झटको ने दक्षिण-पूर्वी तुर्की और पड़ोसी सीरिया को दहला दिया, हजारों इमारतों को नष्ट कर दिया और हजारों लोगों की जान ले ली. भूकंप से ध्वस्त हुई इमारतों के मलबे में दबे लोगों को बचाने के प्रयासों की आलोचना के जवाब में, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कथित तौर पर कहा कि ‘‘इस स्तर की आपदा के लिए पहले से तैयारी करना असंभव था’’. लेकिन क्या वह सही है? मुझे ऐसा नहीं लगता, और मैं समझाऊंगा कि क्यों. यह सच है कि भूकंप कब और कहां आ सकता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. हालांकि भूकंप आने से कुछ दिन पहले, कभी-कभी एक बड़े भूकंप के चेतावनी संकेत मिलने लगते हैं जैसे कि रात के समय आकाश में असामान्य चमक या असामान्य पशु व्यवहार. लेकिन ये संकेत अविश्वसनीय हैं और कम समझ में आते हैं.

जापान और कैलिफ़ोर्निया में, चेतावनी प्रणालियाँ हैं जो कुछ सेकंड पहले चेतावनी दे सकती हैं, ट्रैफ़िक लाइट को लाल कर सकती हैं और ट्रेनों को रोक सकती हैं - लेकिन यह समय निश्चित रूप से किसी भी तरह के बचाव के लिए पर्याप्त नहीं है. तुर्की सरकार अच्छी तरह से जानती है कि भूकंप गतिविधि के एक लंबे रिकॉर्ड के साथ, देश पृथ्वी की सतह में सक्रिय फॉल्ट क्षेत्रों पर टिका है. फिर भी इसने बिल्डरों को इमारतों के निर्माण के समय भूकंप प्रतिरोधक नियमों की धज्जियां उड़ाने की अनुमति दी.

भूकंप की तैयारी
मान भी लें कि एक विश्वसनीय प्रणाली है जो एक बड़े भूकंप की एक दिन या एक महीने पहले चेतावनी देती है, तो इसका उपयोग कैसे किया जाना चाहिए? यदि यह आप पर निर्भर होता, तो क्या आप प्रभावित होने वाले संभावित क्षेत्र से लाखों लोगों को बाहर निकालने का प्रयास करते? क्या वे जाने को तैयार होंते? यदि वे अपने नष्ट हो चुके घरों को देखने के लिए वापस आते तो वे कहाँ रहते और क्या करते? भूकंप आपदा के लिए तैयारी करने का सबसे अच्छा तरीका, और एर्दोगन के पास जो करने की शक्ति थी, वह भूकंप-प्रतिरोधक तकनीकों का उपयोग करके घरों और बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है. इस तरह, लोग भूकंप के दौरान मारे नहीं जाते हैं और उनके पास घर भी बचे रहते हैं. ऐसे कई तरीके हैं जिनसे इमारतों को भूकंप का सामना करने के लिए डिज़ाइन और निर्मित किया जा सकता है, ताकि वे गिरें नहीं. बड़े भूकंपों के खतरे वाले क्षेत्र में, एक बहुमंजिला इमारत को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए कि जब जमीन हिलने लगे, तो दोनों तरफ की बाहरी दीवारें एक ही दिशा में झुकें. इसके विपरीत यदि दीवारें एक-दूसरे से दूर जाने के लिए बनाई जाती हैं, तो बीच की मंजिलें भूकंप आने पर कुछ ही क्षण में बेआसरा हो जाती हैं, जिससे ऊपरी मंजिलें निचली मंजिलों पर गिरती चली जाती हैं. यह तुर्किए में घातक प्रभाव के साथ यही हुआ.

बिल्डर्स इस तरह के नुकसान को फर्श और दीवारों को एक साथ संरचनात्मक रूप से बांधकर रोक सकते हैं, इमारत के ढांचे को इतना कठोर बनाये बिना कि यह थोड़ा झुकने के बजाय टूट जाता है. इसका मतलब अधिक स्टील और कम कंक्रीट हो सकता है. अधिक खर्च पर अन्य उपाय संभव हैं. उदाहरण के लिए, नींव को गहराई तक खोदा जाए और इसे मिट्टी के नीचे की चट्टान से जोड़ा जाए तो भूकंप आने पर नुकसान कम होगा (क्योंकि यह मिट्टी से कम हिलता है), या उन्हें जमीन की गति से इमारत को अलग करने के लिए लचीले पैड पर लगाया जा सकता है. यह एक त्रासदी है कि तुर्की सरकार यह सब जानती थी. उन्होंने उत्तरोत्तर अधिक कड़े भूकंपीय भवन कोडों की एक श्रृंखला पेश की है, जिसमें दावा किया गया है कि उन्होंने इस्तांबुल के पास इज़मिट शहर के पास 1999 के भूकंप से सबक सीखा है, जिसमें 17,000 लोग मारे गए थे. लेकिन पत्रकार बता रहे हैं कि कैसे तुर्की में इन बिल्डिंग नियमों का व्यापक रूप से उल्लंघन किया गया है. भूकंप प्रतिरोधक उपाय अपनाने पर एक निर्माण परियोजना की लागत में शायद 20% का इजाफा हो जाता है, इसलिए नियमों की अनदेखी करने का प्रलोभन स्पष्ट है.

इस मामले में, सरकार न केवल अपने स्वयं के भवन नियम को लागू करने में विफल रही, उसने बिल्डरों को भी इन नियमों का पालन न करने के लिए प्रोत्साहित किया और उनसे ‘‘निर्माण आम माफी’’ के बदले में बड़ी रकम वसूल की. अब धर्मार्थ संस्‍थाएं केवल आपातकालीन प्रतिक्रिया में मदद करने के लिए करोड़ों पाउंड जुटाने की कोशिश कर रही हैं. तुर्की सरकार ने अपने लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने का दॉव खेला और उसमें हार गई. ‘‘निर्माण आम माफी’’ के बदले में मिला राजस्व उतना नहीं है कि उससे पुनर्निर्माण के कार्य किए जा सकें, हालांकि मैं यह कहने की हिम्मत करता हूं कि निर्माण उद्योग इस अतिरिक्त कार्य को अच्छी तरह करेगा. सोर्स- भाषा