इंफाल/कोलकाता: मणिपुर के इंफाल शहर में सुरक्षाबलों और भीड़ के बीच शुक्रवार को रातभर हुई झड़पों में दो नागरिक घायल हो गए. अधिकारियों ने शनिवार को जानकारी देते हुए बताया कि इंफाल में भीड़ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के घर जलाने की भी कोशिश की. वहीं, अलग-अलग घटनाओं में मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के क्वाकटा और चुराचांदपुर जिले के कंगवई से पूरी रात गोलीबारी होने की खबर है. इंफाल पश्चिम के इरिंगबाम पुलिस थाने में लूट की कोशिश की गई. हालांकि, इस दौरान कोई हथियार चोरी नहीं हुआ.
केंद्रीय मंत्री के घर पर बड़ा हमला:
अधिकारियों के अनुसार, दंगाइयों को इकट्ठा होने से रोकने के लिए सेना, असम राइफल्स और मणिपुर द्रुत कार्य बल (आरएएफ) ने इंफाल में आधी रात तक संयुक्त मार्च निकाला. उन्होंने बताया कि लगभग 1,000 लोगों की भीड़ ने महल परिसर के पास स्थित इमारतों में आग लगाने की कोशिश की. अधिकारियों के मुताबिक, आरएएफ ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और रबड़ की गोलियां चलाईं. इंफाल में भीड़ ने विधायक बिस्वजीत के घर में आग लगाने की कोशिश भी की. हालांकि, आरएएफ की टुकड़ी ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया.
इसी तरह, आधी रात के करीब इंफाल में पोरमपेट के पास भाजपा (महिला शाखा) की अध्यक्ष शारदा देवी के घर में भीड़ ने तोड़फोड़ करने की कोशिश की. सुरक्षाबलों ने युवकों को खदेड़ दिया. अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले दिन में भीड़ ने शुक्रवार को इंफाल शहर के बीचोंबीच सड़कों को जाम कर दिया और संपत्ति को आग लगा दी. केंद्रीय मंत्री आर के रंजन सिंह के घर पर बृहस्पतिवार रात हमला किया गया और उसे जलाने का प्रयास किया गया. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के एक सेवानिवृत्त आदिवासी अधिकारी का शाही महल के पास स्थित गोदाम शुक्रवार को पूरी तरह से जलकर नष्ट हो गया.
फिलहाल 100 से अधिक लोगों की जा चुकी जान:
सुरक्षा गार्ड और दमकलकर्मी भीड़ द्वारा आगजनी के कई प्रयास नाकाम करने में सफल रहे. गोदाम में आग लगाने के बाद शुक्रवार शाम भीड़ आरएएफ कर्मियों से भिड़ गई. अधिकारियों ने कहा कि भीड़ ने वांगखेई, पोरोमपत और थंगापत में सड़कों पर टायर, लकड़ी और कचरा भी जलाया, जिससे मणिपुर की राजधानी में यातायात प्रभावित हुआ. मणिपुर में एक महीने पहले मैतई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. मणिपुर सरकार ने राज्य में अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए 11 जिलों में कर्फ्यू लगाने के साथ इंटरनेट सेवाओं को प्रतिबंधित कर दिया है.
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार तीन मई को झड़पें हुईं. मैतई समुदाय की आबादी मणिपुर की कुल आबादी का लगभग 53 प्रतिशत है और इसके ज्यादातर सदस्य इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी कुल आबादी का 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं. सोर्स भाषा