नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपना बजट पेश किया. वित्त मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण का यह लगातार पांचवां बजट है. बजट में अलग-अलग सेक्टरों के लिए कई घोषणाएं की गईं. लेकिन आम इंसान की जेब पर किस चीज का बोझ बढ़ने जा रहा है और किससे उसे राहत मिलेगी, चलिए जानते है क्या महंगा हुआ क्या सस्ता हुआ.
खिलौने, साइकिल और लीथियम बैटरी सस्ती:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा कि कस्टम ड्यूटी, सेस, सरचार्ज दर में बदलाव किया गया है. खिलौनों पर लगने वाले सीमा शुल्क घटाकर 13 प्रतिशत किया गया यानी अब खिलौने सस्ते हो जाएंगे. इसके अलावा साइकिल को भी सस्ता किया गया है. लिथियम आयन बैटरी पर कस्टम ड्यूटी में राहत दी गई है.
मोबाइल फोन और EV होंगे सस्ते:
इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में लगने वाली बैटरी से कस्टम ड्यूटी हटा दी गई और मोबाइल फोन में यूज होने वाली लीथियम बैटरी पर सीमा शुल्क हटाया गया है और यह बैटरियां भी सस्ती हो जाएंगी. इसका असर मोबाइल और EV के दामों पर भी पड़ेगा. बैटरी की कीमत घटने से कुछ मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक व्हीकल सस्ते होंगे.
LED और देशी चिमनी के घटेंगे दाम:
मोदी सरकार की ओर से टेलीविजन पैनल में आयात शुल्क 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा LED टेलीविजन सस्ता कर दिया गया है और बायोगैस से जुड़ी चीजों की कीमतों में भी कटौती का निर्णय किया गया.
क्या सस्ता, क्या महंगा होगा ?
सस्ता | महंगा |
खिलौना | विदेशी किचन चिमनी |
साइकिल | सोना, प्लेटिनम |
मोबाइल फोन | विदेशी चांदी |
मोबाइल कैमरा लैंस | हीरे |
ऑटोमोबाइल | सिगरेट |
इलेक्ट्रिक व्हीकल, बायोगैस से जुड़ी चीजें | पीतल |
लीथियम बैटरी,एलईडी टेलीविजन | विदेशी खिलौने |
सिगरेट-इंपोर्टेड ज्वैलरी महंगी:
वहीं कुछ चीजें महंगी की गई हैं. उनमें सिगरेट और इंपोर्टेड ज्वैलरी शामिल हैं. सिगरेट पर आपदा संबंधी ड्यूटी को बढ़ाने का निर्णय किया गया है. वित्त मंत्री के अनुसार सिगरेट पर आकस्मिकता शुल्क को 16 प्रतिशत बढ़ाया गया. इसके बाद सिगरेट महंगी हो गई है. इसके अलावा सोना, चांदी और प्लेटिनम से बनी इंपोर्टेड ज्वैलरी महंगी हो गई है. इसके अलावा विदेशी किचन चिमनी के दाम बढ़ गए हैं. बजट पेश होने से पहले ही उम्मीद जताई जा रही थी कि केंद्र सरकार के आगामी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले का यह आखिरी पूर्ण बजट लोक लुभावन होगा. एक तरफ जहां टैक्स स्लैब में बदलाव के संकेत मिल रहे थे, तो वहीं किसानों से लेकर कोराबारियों और मजदूर वर्ग तक हर सेक्टर के लोगों को बजट में राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी.